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नगर निगम में ग्रामीणों को शामिल करने से ग्रामीणों का विकास नहीं विनाश होगा: टिकेंद्र सिंह

सोलन में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान हिमाचल किसान सभा की ओर से पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र सिंह पवार ने कहा कि वह सोलन को नगर निगम में शामिल न करने का समर्थन करते हैं. अगर सरकार को नगर निगम बनाना है तो सबसे पहले नगर पंचायतें बनाई जाए, उसके बाद नगर परिषद फिर नगर निगम बनाया जाएगा.

नगर निगम
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Published : Sep 9, 2020, 6:08 PM IST

सोलन: प्रदेश सरकार की ओर से नगर निगम बनाने के लिए सोलन को चुना गया है और ग्रामीण इसका विरोध कर रहे है. वहीं, अब ग्रामीण क्षेत्रों के नगर निगम में विलयिकरण पर बीजेपी और कांग्रेस में भी राजनीति देखने को मिल रही है. एक ओर बीजेपी के लोग सरकार का समर्थन कर रहे है. दूसरी ओर बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस और वामपंथी दल ग्रामीण लोगों को उकसाया रहे है.

वहीं, नगर निगम में ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल ना किया जाए, इसके लिए अब हिमाचल किसान सभा भी किसानों के साथ खड़ी हो चुकी है. सोलन में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान हिमाचल किसान सभा की ओर से पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र सिंह पवार ने कहा कि वह सोलन को नगर निगम में शामिल न करने का समर्थन करते हैं. उनका कहना है कि प्रदेश सरकार की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल करने की जारी अधिसूचना को रद्द किया जाए.

वीडियो रिपोर्ट.

आगामी 20 सालों की सोच रखे सरकार

पूर्व डिप्टी मेयर ने कहा कि सरकार का फैसला सोलन को नगर निगम में शामिल करना ग्रामीणों और 8 पंचायतों के लोगों का विकास नहीं विनाश होगा. उन्होंने कहा कि अगर सरकार को नगर निगम बनाना है तो सबसे पहले नगर पंचायतें बनाई जाए, उसके बाद नगर परिषद फिर नगर निगम बनाया जाएगा.

टिकेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार को अगर काम करना है तो अगले 20 सालों के वीजन के साथ यह फैसला लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि कृषि योग्य ग्रामीण क्षेत्रों में नगर निगम को शामिल किया जाए तो वहां पर किसानों से उनका हक छीन जाएगा. ग्रामीणों से बिना पूछे लोगों से बात किए बिना नगर निगम शामिल करना गलत है.

2021 की जनगणना का इंतजार करें सरकार

टिकेंद्र सिंह पंवर ने कहा कि नगर परिषद से नगर निगम बनाए जाने से कुछ नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अगर सरकार नगर निगम बनाना ही चाहती है तो शहर की 40 हजार पोपुलेशन से ही नगर निगम बनाए या फिर 2021 की जनगणना का इंतजार करें. उन्होंने कहा कि सरकार के पास प्रदेश में कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए फंड नहीं है.

इस कारण सरकार नगर परिषद और नगर निगमों पर बोझ डाल रही है, जिससे संसाधन जुटाकर पैसा कमाया जाए. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का रोष जायज है. अगर उन क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल किया जाता है तो जो उनके हक है वह उनसे छीन जाएंगे.

पढ़ें: संघर्ष तभी होगा अगर सरकार मांगों को नहीं मानेगी: ग्रामीण संघर्ष समिति

सोलन: प्रदेश सरकार की ओर से नगर निगम बनाने के लिए सोलन को चुना गया है और ग्रामीण इसका विरोध कर रहे है. वहीं, अब ग्रामीण क्षेत्रों के नगर निगम में विलयिकरण पर बीजेपी और कांग्रेस में भी राजनीति देखने को मिल रही है. एक ओर बीजेपी के लोग सरकार का समर्थन कर रहे है. दूसरी ओर बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस और वामपंथी दल ग्रामीण लोगों को उकसाया रहे है.

वहीं, नगर निगम में ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल ना किया जाए, इसके लिए अब हिमाचल किसान सभा भी किसानों के साथ खड़ी हो चुकी है. सोलन में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान हिमाचल किसान सभा की ओर से पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र सिंह पवार ने कहा कि वह सोलन को नगर निगम में शामिल न करने का समर्थन करते हैं. उनका कहना है कि प्रदेश सरकार की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल करने की जारी अधिसूचना को रद्द किया जाए.

वीडियो रिपोर्ट.

आगामी 20 सालों की सोच रखे सरकार

पूर्व डिप्टी मेयर ने कहा कि सरकार का फैसला सोलन को नगर निगम में शामिल करना ग्रामीणों और 8 पंचायतों के लोगों का विकास नहीं विनाश होगा. उन्होंने कहा कि अगर सरकार को नगर निगम बनाना है तो सबसे पहले नगर पंचायतें बनाई जाए, उसके बाद नगर परिषद फिर नगर निगम बनाया जाएगा.

टिकेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार को अगर काम करना है तो अगले 20 सालों के वीजन के साथ यह फैसला लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि कृषि योग्य ग्रामीण क्षेत्रों में नगर निगम को शामिल किया जाए तो वहां पर किसानों से उनका हक छीन जाएगा. ग्रामीणों से बिना पूछे लोगों से बात किए बिना नगर निगम शामिल करना गलत है.

2021 की जनगणना का इंतजार करें सरकार

टिकेंद्र सिंह पंवर ने कहा कि नगर परिषद से नगर निगम बनाए जाने से कुछ नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अगर सरकार नगर निगम बनाना ही चाहती है तो शहर की 40 हजार पोपुलेशन से ही नगर निगम बनाए या फिर 2021 की जनगणना का इंतजार करें. उन्होंने कहा कि सरकार के पास प्रदेश में कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए फंड नहीं है.

इस कारण सरकार नगर परिषद और नगर निगमों पर बोझ डाल रही है, जिससे संसाधन जुटाकर पैसा कमाया जाए. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का रोष जायज है. अगर उन क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल किया जाता है तो जो उनके हक है वह उनसे छीन जाएंगे.

पढ़ें: संघर्ष तभी होगा अगर सरकार मांगों को नहीं मानेगी: ग्रामीण संघर्ष समिति

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