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चायल की वादियों में बसा है काली मंदिर, यहां पंचमुखी हनुमान और गणेश के साथ विराजमान हैं शिव - solan temple

काली का टिब्बा चायल की पहाड़ियों में बसा एक खूबसूरत मंदिर है. ये मंदिर यहां की सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित है. मंदिर में 5 शिवलिंग स्थापित है, इस मंदिर का निर्माण 2002 में किया गया था. चायल की वादियों में काली मंदिर के साथ-साथ पंचमुखी हनुमान मंदिर, गणेश व शिव के भी कई मंदिर हैं. काली का टिब्बा मंदिर चारों ओर से संगमरमर के पत्थरों से बना हुआ है.

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काली टिब्बा
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Published : Jan 9, 2021, 3:48 PM IST

सोलन: हिमाचल प्रदेश एक खूबसूरत पहाड़ी राज्य है. यहां ऐसे सैंकड़ों पर्यटन स्थल हैं, जिन्हें देश के मानचित्र पर लाने की जरूरत है. ईटीवी भारत की इस खास सीरीज अनछुआ हिमाचल में हम आपको ऐसी ही जगहों से रूबरू करवाते हैं, जो लोगों को अपनी खूबसूरती से आकर्षित करता हैं. आज अनछुआ हिमाचल में हम आपको सोलन जिला में स्थित काली का टिब्बा मंदिर के बारे में जानकारी देंगे.

काली का टिब्बा चायल की पहाड़ियों में बसा एक खूबसूरत मंदिर है. ये मंदिर यहां की सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित है. मंदिर में 5 शिवलिंग स्थापित है, इस मंदिर का निर्माण 2002 में किया गया था. चायल की वादियों में काली मंदिर के साथ-साथ पंचमुखी हनुमान मंदिर, गणेश व शिव के भी कई मंदिर हैं. काली का टिब्बा मंदिर चारों ओर से संगमरमर के पत्थरों से बना हुआ है. मान्यता है कि देवी के दरबार में सच्चे और साफ दिल से मांगी हुई हर मुराद जरूर पूरी होती है.

वीडियो.

राजधानी शिमला से चायल की दूरी 45 किलोमीटर है. शिमला से चायल जाने के लिए आप कुफरी से होते हुए चायल पहुंच सकते हैं. इसके अलावा सोलन से चायल की दूरी 40 किलोमीटर है. ट्रैकिंग का शौक रखने वाले लोग इस मंदिर तक ट्रैक कर भी पहुंच सकते हैं. यहां सूर्यास्त के समय का दृष्य और भी सुंदर हो जाता है.

काली का टिब्बा मंदिर आने वाले लोग चायल महल भी जा सकते हैं. चायल महल को पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह ने बनवाया था. चायल महल लगभग 115 साल पुराना है. बता दें कि चायल पटियाला के राजा भूपिंदर सिंह की ग्रीष्मकालीन राजधानी था. चायल से काली का टिब्बा मंदिर जाते समय विश्व के सबसे ऊंचाई पर बने क्रिकेट मैदान का भी आप दीदार कर सकते हैं. इस मैदान को पोलो खेलने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. यहां से सिद्धबाबा मंदिर का रूख भी कर सकते हैं.

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चायल की पहाड़ियां

स्थानीय लोगों का कहना है कि चायल में तंग रास्ते के कारण कई बार लोगों को परेशानी होती है. सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है. लोगों का कहना है कि काली का टिब्बा मंदिर सरकार के लिए करोड़ों की आय का साधन हो सकता है. इसलिए पर्यटन की दृष्टि से इस जगह को उभारा जाना चाहिए.

सोलन: हिमाचल प्रदेश एक खूबसूरत पहाड़ी राज्य है. यहां ऐसे सैंकड़ों पर्यटन स्थल हैं, जिन्हें देश के मानचित्र पर लाने की जरूरत है. ईटीवी भारत की इस खास सीरीज अनछुआ हिमाचल में हम आपको ऐसी ही जगहों से रूबरू करवाते हैं, जो लोगों को अपनी खूबसूरती से आकर्षित करता हैं. आज अनछुआ हिमाचल में हम आपको सोलन जिला में स्थित काली का टिब्बा मंदिर के बारे में जानकारी देंगे.

काली का टिब्बा चायल की पहाड़ियों में बसा एक खूबसूरत मंदिर है. ये मंदिर यहां की सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित है. मंदिर में 5 शिवलिंग स्थापित है, इस मंदिर का निर्माण 2002 में किया गया था. चायल की वादियों में काली मंदिर के साथ-साथ पंचमुखी हनुमान मंदिर, गणेश व शिव के भी कई मंदिर हैं. काली का टिब्बा मंदिर चारों ओर से संगमरमर के पत्थरों से बना हुआ है. मान्यता है कि देवी के दरबार में सच्चे और साफ दिल से मांगी हुई हर मुराद जरूर पूरी होती है.

वीडियो.

राजधानी शिमला से चायल की दूरी 45 किलोमीटर है. शिमला से चायल जाने के लिए आप कुफरी से होते हुए चायल पहुंच सकते हैं. इसके अलावा सोलन से चायल की दूरी 40 किलोमीटर है. ट्रैकिंग का शौक रखने वाले लोग इस मंदिर तक ट्रैक कर भी पहुंच सकते हैं. यहां सूर्यास्त के समय का दृष्य और भी सुंदर हो जाता है.

काली का टिब्बा मंदिर आने वाले लोग चायल महल भी जा सकते हैं. चायल महल को पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह ने बनवाया था. चायल महल लगभग 115 साल पुराना है. बता दें कि चायल पटियाला के राजा भूपिंदर सिंह की ग्रीष्मकालीन राजधानी था. चायल से काली का टिब्बा मंदिर जाते समय विश्व के सबसे ऊंचाई पर बने क्रिकेट मैदान का भी आप दीदार कर सकते हैं. इस मैदान को पोलो खेलने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. यहां से सिद्धबाबा मंदिर का रूख भी कर सकते हैं.

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चायल की पहाड़ियां

स्थानीय लोगों का कहना है कि चायल में तंग रास्ते के कारण कई बार लोगों को परेशानी होती है. सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है. लोगों का कहना है कि काली का टिब्बा मंदिर सरकार के लिए करोड़ों की आय का साधन हो सकता है. इसलिए पर्यटन की दृष्टि से इस जगह को उभारा जाना चाहिए.

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