सोलन: ईटीवी की टीम ने क्षेत्रीय अस्पताल में मरीजों को परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता का जायजा लिया. ग्राउंड रिपोर्ट में एक अच्छी बात निकलकर सामने आई. अस्पताल में मरीजों के स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखा जाता है. मरीजों को दिए जाने वाले खाने की गुणवत्ता पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है.
डॉक्टर की रिकमंडेशन के बाद दी जाती है एक्सट्रा डाइट
अस्पताल में खाने की गुणवत्ता को लेकर सीनियर मेडिकल ऑफिसर इंचार्ज डॉक्टर सुमित सूद ने बताया कि सरकार की तरफ से अस्पताल में मरीजों को खाना मुफ्त दिया जाता है. इसके लिए हर साल टेंडर किया जाता है. उन्होंने बताया कि खाने की गुणवत्ता की जांच के लिए अस्पताल में डायटिशियन है जो खाने की गुणवत्ता को रोजाना जांचते हैं. उन्होंने कहा कि अगर किसी मरीज को एक्स्ट्रा डाइट की जरूरत होती है तो डॉक्टर के रिकमेंडेशन के बाद मरीजों को एक्स्ट्रा डाइट भी दी जाती है. वहीं, गर्भवती महिलाओं को दलिया, सूजी की खीर भी दी जाती है. वहीं, हफ्ते में एक दिन नॉन वेज भी दिया जाता है. साथ ही साथ जो लोग कैंटीन में खाना बनाते हैं उनका 6 महीने में मेडिकल चेकअप भी करवाया जाता है.
तीन टाइम मिलता है घर जैसा पौष्टिक आहार
ब्रेकफास्ट में दूध और ब्रेड, लंच में चावल, सब्जी और दाल दी जाती है. साथ ही डिनर में चपाती, सब्जी और दाल स्वादिष्ट बना कर उन्हें परोसी जाती है. अस्पताल में कुछ मरीज एक महीने से उपचाराधीन है तो कई तीन-चार दिन पहले ही अस्पताल में आए हैं. उन सभी लोगों का कहना है कि अस्पताल में उन्हें खाना अच्छे तरीके से और सही समय पर बांटा जाता है.
मरीज के खाने की मात्रा | |||
ब्रेकफास्ट | 250 ML दूध | 4 ब्रेड पीस | 25 ग्राम बटर |
लंच | 100 ग्राम चावल | 37.5 ग्राम दाल | 125 ग्राम सब्जी |
डिनर | 4 चपाती | 37.5 ग्राम दाल | 125 ग्राम सब्जी |
चाय | रोजाना 4 बजे 150ml |
रोजाना की जाती है खाने की गुणवत्ता की जांच
अस्पताल में मरीजों के लिए खाने की मात्रा को लेकर क्षेत्रीय सोलन अस्पताल की डाइटिशियन प्रेरणा गुप्ता ने बताया कि अस्पताल में सबसे पहले वह खाना चेक करती हैं. उसके बाद वार्ड सिस्टर और उसके बाद एमएस भी खाने की गुणवत्ता को चेक करते हैं. अस्पताल में मरीजों को पौष्टिक और भरपूर मात्रा में खाना मिले इसके लिए रजिस्टर भी लगाया है जिसमें दिनभर की दिनचर्या को लिखकर रखा जाता है. खाना पूरी तरह से चेक होने के बाद ही मरीजों को परोसा जाता है.
कच्चे राशन की भी होती है जांच
डाइटिशन प्रेरणा गुप्ता ने बताया कि खाना बनाने से पहले कच्चे राशन की गुणवत्ता की भी जांच की जाती है. जांच मे देखा जाता है कि क्या कच्चे चावल, दाल ठीक है या नहीं. चपाती के लिए आने वाला आटा पोष्टिक है या नहीं. उन्होंने बताया कि खाने को लेकर कभी-कभी मरीजों की शिकायत भी आती थी जिसके बाद खाने की गुणवत्ता में सुधार किया गया है. प्रेरणा गुप्ता ने कहा कि वैसे तो किचन से लेकर मरीजों के वार्ड तक सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है लेकिन कोरोना के बाद से पूरी एहतियात बरती जा रही है. खाना मास्क और ग्लव्स पहनकर बनाया और परोसा जाता है.
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