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सोलन सदर सीट: क्या शांडिल को फिर मिलेगा जनता का साथ या कश्यप पलट देंगे बाजी ? - Himachal Pradesh poll result

सोलन सदर सीट पर मुकाबला कांग्रेस के कद्दावर नेता धनीराम शांडिल और भाजपा के राजेश कश्यप के बीच है. 12 नवंबर को हुई वोटिंग के अनुसार सोलन सदर सीट पर 66.84 % मतदान हुआ है. जनता किसे जिताएगी ये फैसला भी 8 दिसंबर को होगा. खैर क्या है सोलन सीट के समीकरण इस पर डालते हैं नजर...(solan assembly seat) (Dhaniram Shandil vs Rajesh Kashyap)

सोलन सदर सीट
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Published : Nov 16, 2022, 1:03 PM IST

सोलन: विधानसभा सीट सोलन पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज नेता धनीराम शांडिल और भाजपा के राजेश कश्यप के बीच है. 12 नवंबर को हुई वोटिंग के अनुसार सोलन सदर सीट पर 66.84 % मतदान हुआ है. बता दें कि धनीराम शांडिल, राजेश कश्यप के ससुर हैं. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा की ससुर और दामाद के बीच के मुकाबले में कौन बाजी मारता है. (Dhaniram Shandil vs Rajesh Kashyap) (solan assembly seat)

कौन है कांग्रेस प्रत्याशी धनीराम शांडिल: उम्मीदवार कर्नल धनीराम शांडिल का जन्म 20 अक्टूबर 1940 को सोलन के गांव बशील में हुआ था. 1962 से 1996 तक कर्नल धनीराम शांडिल भारतीय सेना में रहे और कर्नल के रूप में सेवानिवृत्त हुए. उसके बाद 1994 में शांडिल ने हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी की ओर से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते. फिर 2004 में कांग्रेस की ओर से शांडिल ने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

शांडिल की राजनीति में मजबूत पकड़: कांग्रेस प्रत्याशी धनीराम शांडिल मिजोरम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश के जनरल सेक्रेटरी के पद पर रहे. 2012 में शांडिल ने सोलन सदर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और पूर्व वीरभद्र सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री बने. 2017 विधानसभा चुनाव में शांडिल फिर चुनावी रण में उतरे और 671 वोटों के अंतर से चुनाव जीता. वहीं, 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है. शांडिल 10 जनपथ यानी सोनिया गांधी के करीबी भी माने जाते हैं. (Congress candidate from Solan seat).

कितनी संपत्ति के मालिक हैं शांडिल: धनीराम शांडिल के पास चल संपत्ति 1 करोड़ 76 लाख 24 हजार है और अचल संपत्ति 2 करोड़ 36 लाख 73 हजार है. बात अगर इनकी शिक्षा की करें तो धनीराम शांडिल ने एमए, एमफिल, और पॉलिटिक्ल साइंस में पीएचडी की है.

कौन हैं भाजपा प्रत्याशी राजेश कश्यप: भाजपा उम्मीदवार डॉ. राजेश कश्यप का जन्म 10 जनवरी 1963 को सोलन के चायल क्षेत्र में हुआ. राजेश कश्यप की राजनीतिक पृष्ठभूमि कुछ खास नहीं है. 2017 के विधानसभा चुनाव में वह पहली बार चुनावी मैदान में उतरे थे. वहीं, इस बार वह भाजपा की तरफ से चुनाव लड़ रहे हैं. राजेश कश्यप पेशे से डॉक्टर हैं और 2017 के विधानसभा चुनाव में सेवानिवृत्ति लेकर उन्होंने चुनाव लड़ा था. राजेश कश्यप एमडी मेडिसिन हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में राजेश कश्यप ने अपने ही ससुर कर्नल धनीराम शांडिल के खिलाफ चुनाव लड़ा था और 671 वोटों के अंतर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, एक बार फिर भाजपा ने उन्हें सोलन सदर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. (BJP candidate from Solan seat).

राजेश कश्यप के पास संपत्ति: राजेश कश्यप के पास चल संपत्ति 69 लाख 33 हजार है और अचल संपत्ति 1 करोड़ 77 लाख 22 हजार है. वहीं, राजेश कश्यप पेशे से डॉक्टर हैं. सुसद-दामाद के बीच मुकाबले पर सबकी नजरें टिकी हुई है कि इस बार चुनाव कौन ज

मुकाबला ससुर-दामाद के बीच: सोलन सीट पर मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है. हालांकि आम आदमी पार्टी ने भी यहां से अंजु राठौर को टिकट दिया है. वहीं, बहुजन समाज पार्टी से राजिंदर चुनावी समर में उतरे हैं. खैर चुनावी रण में मुकाबला ससुर दामाद के बीच ही है. अब देखना ये हैं कि जनता किस पर भरोसा जताती है और किस प्रत्याशी को विधानसभा भेजती है.

क्या है सोलन सीट के समीकरण: आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो सोलन विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा कब्जा कांग्रेस ने ही किया है. सोलन विधानसभा क्षेत्र में 1977 के बाद से अब तक हुए 10 विधानसभा चुनाव में चार बार भाजपा, पांच बार कांग्रेस और एक बार जनता पार्टी को जीत मिली है. आंकड़े बताते हैं कि यहां की जनता किसी पार्टी विशेष के बजाय क्षेत्रीय व्यक्तित्व पर भरोसा जताती है. बता दें कि सोलन विधानसभा क्षेत्र में इस बार 85,950 मतदाता हैं. जिसमें से 44,027 मतदाता पुरुष और 41,920 मतदाता महिलाएं हैं.

सोलन में कांग्रेस और भाजपा की जनसभाएं: सोलन में पीएम मोदी ने जनसभा को संबधित किया था और प्रदेश की जनता से भाजपा की सरकार बनाने का आग्रह किया था. वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सोलन से ही हिमाचल में प्रचार का श्री गणेश किया था. इसके अलावा आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी सोलन में रोड शो किया था.

क्या है सोलन की जनता के मुद्दे: सोलन की जनता का मुख्य मुद्दा बेरोजगारी और महंगाई ही है. जनता खाद्य वस्तुओं से लेकर पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों से परेशान है. इसके अलावा बेसहारा पशुओं का मुद्दा भी काफी बड़ा है. खैर जनता ने किस प्रत्याशी पर भरोसा जताया है ये तो 8 दिसबंर को ही पता चल पाएगा.

सोलन: विधानसभा सीट सोलन पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज नेता धनीराम शांडिल और भाजपा के राजेश कश्यप के बीच है. 12 नवंबर को हुई वोटिंग के अनुसार सोलन सदर सीट पर 66.84 % मतदान हुआ है. बता दें कि धनीराम शांडिल, राजेश कश्यप के ससुर हैं. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा की ससुर और दामाद के बीच के मुकाबले में कौन बाजी मारता है. (Dhaniram Shandil vs Rajesh Kashyap) (solan assembly seat)

कौन है कांग्रेस प्रत्याशी धनीराम शांडिल: उम्मीदवार कर्नल धनीराम शांडिल का जन्म 20 अक्टूबर 1940 को सोलन के गांव बशील में हुआ था. 1962 से 1996 तक कर्नल धनीराम शांडिल भारतीय सेना में रहे और कर्नल के रूप में सेवानिवृत्त हुए. उसके बाद 1994 में शांडिल ने हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी की ओर से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते. फिर 2004 में कांग्रेस की ओर से शांडिल ने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

शांडिल की राजनीति में मजबूत पकड़: कांग्रेस प्रत्याशी धनीराम शांडिल मिजोरम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश के जनरल सेक्रेटरी के पद पर रहे. 2012 में शांडिल ने सोलन सदर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और पूर्व वीरभद्र सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री बने. 2017 विधानसभा चुनाव में शांडिल फिर चुनावी रण में उतरे और 671 वोटों के अंतर से चुनाव जीता. वहीं, 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है. शांडिल 10 जनपथ यानी सोनिया गांधी के करीबी भी माने जाते हैं. (Congress candidate from Solan seat).

कितनी संपत्ति के मालिक हैं शांडिल: धनीराम शांडिल के पास चल संपत्ति 1 करोड़ 76 लाख 24 हजार है और अचल संपत्ति 2 करोड़ 36 लाख 73 हजार है. बात अगर इनकी शिक्षा की करें तो धनीराम शांडिल ने एमए, एमफिल, और पॉलिटिक्ल साइंस में पीएचडी की है.

कौन हैं भाजपा प्रत्याशी राजेश कश्यप: भाजपा उम्मीदवार डॉ. राजेश कश्यप का जन्म 10 जनवरी 1963 को सोलन के चायल क्षेत्र में हुआ. राजेश कश्यप की राजनीतिक पृष्ठभूमि कुछ खास नहीं है. 2017 के विधानसभा चुनाव में वह पहली बार चुनावी मैदान में उतरे थे. वहीं, इस बार वह भाजपा की तरफ से चुनाव लड़ रहे हैं. राजेश कश्यप पेशे से डॉक्टर हैं और 2017 के विधानसभा चुनाव में सेवानिवृत्ति लेकर उन्होंने चुनाव लड़ा था. राजेश कश्यप एमडी मेडिसिन हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में राजेश कश्यप ने अपने ही ससुर कर्नल धनीराम शांडिल के खिलाफ चुनाव लड़ा था और 671 वोटों के अंतर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, एक बार फिर भाजपा ने उन्हें सोलन सदर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. (BJP candidate from Solan seat).

राजेश कश्यप के पास संपत्ति: राजेश कश्यप के पास चल संपत्ति 69 लाख 33 हजार है और अचल संपत्ति 1 करोड़ 77 लाख 22 हजार है. वहीं, राजेश कश्यप पेशे से डॉक्टर हैं. सुसद-दामाद के बीच मुकाबले पर सबकी नजरें टिकी हुई है कि इस बार चुनाव कौन ज

मुकाबला ससुर-दामाद के बीच: सोलन सीट पर मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है. हालांकि आम आदमी पार्टी ने भी यहां से अंजु राठौर को टिकट दिया है. वहीं, बहुजन समाज पार्टी से राजिंदर चुनावी समर में उतरे हैं. खैर चुनावी रण में मुकाबला ससुर दामाद के बीच ही है. अब देखना ये हैं कि जनता किस पर भरोसा जताती है और किस प्रत्याशी को विधानसभा भेजती है.

क्या है सोलन सीट के समीकरण: आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो सोलन विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा कब्जा कांग्रेस ने ही किया है. सोलन विधानसभा क्षेत्र में 1977 के बाद से अब तक हुए 10 विधानसभा चुनाव में चार बार भाजपा, पांच बार कांग्रेस और एक बार जनता पार्टी को जीत मिली है. आंकड़े बताते हैं कि यहां की जनता किसी पार्टी विशेष के बजाय क्षेत्रीय व्यक्तित्व पर भरोसा जताती है. बता दें कि सोलन विधानसभा क्षेत्र में इस बार 85,950 मतदाता हैं. जिसमें से 44,027 मतदाता पुरुष और 41,920 मतदाता महिलाएं हैं.

सोलन में कांग्रेस और भाजपा की जनसभाएं: सोलन में पीएम मोदी ने जनसभा को संबधित किया था और प्रदेश की जनता से भाजपा की सरकार बनाने का आग्रह किया था. वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सोलन से ही हिमाचल में प्रचार का श्री गणेश किया था. इसके अलावा आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी सोलन में रोड शो किया था.

क्या है सोलन की जनता के मुद्दे: सोलन की जनता का मुख्य मुद्दा बेरोजगारी और महंगाई ही है. जनता खाद्य वस्तुओं से लेकर पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों से परेशान है. इसके अलावा बेसहारा पशुओं का मुद्दा भी काफी बड़ा है. खैर जनता ने किस प्रत्याशी पर भरोसा जताया है ये तो 8 दिसबंर को ही पता चल पाएगा.

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