सोलन: जिला सोलन के डॉ. वाईएस परमार बागवानी व वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में शून्य बजट कृषि को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया.
किसानों को सम्बोधित करते हुए रामलाल मारकंडा ने कहा कि जीरो बजट खेती में लागत कम लगती है और मुनाफा ज्यादा होता है. उन्होंने कहा कि जीरो बजट प्राकृतिक खेती तकनीक के जरिए जो किसान खेती करते हैं, उन्हें किसी भी प्रकार के केमिकल और कीटनाशकों तत्वों को खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती. इस तकनीक में किसान केवल अपने द्वारा बनाई गई चीजों का इस्तेमाल केमिकल की जगह करते हैं. जिसके चलते इस प्रकार की खेती करने के दौरान कम लागत लगती है.
रामलाल मारकंडा ने बताया कि जीरो बजट प्राकृतिक खेती के तहत केवल खुद से बनाई गई खाद का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा होने से किसानों को किसी भी फसल को उगाने में कम खर्चा आता है और कम लागत लगने के कारण उस फसल पर किसानों को अधिक मुनाफा होता है. कार्यशाला के दौरान लगभग 100 से अधिक किसानों, वैज्ञानिकों, कृषि अधिकारियों ने भाग लिया.
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