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कृषि मंत्री ने किसानों को बताया जीरो बजट खेती के लाभ, कम लागत में ज्यादा मुनाफा के दिए टिप्स - सोलन

कृषि, जनजातीय विकास एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रामलाल मारकंडा ने यूनिवर्सिटी की एलएस नेगी ऑडिटोरियम में कार्यशाला का शुभारंभ किया. उन्होंने बताया कि साल 2018 में जीरो बजट खेती से सिर्फ 500 किसान जुड़े थे, लेकिन साल 2022 तक हमारा लक्ष्य 350000 लोगों को जोड़ना है.

कार्यशाला में कृषि मंत्री रामलाल मारकंडा
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Published : May 26, 2019, 6:24 AM IST

सोलन: जिला सोलन के डॉ. वाईएस परमार बागवानी व वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में शून्य बजट कृषि को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया.

ramlal markanda on zero budget farming
शून्य बजट कृषि को लेकर आयोजित कार्यशाला

किसानों को सम्बोधित करते हुए रामलाल मारकंडा ने कहा कि जीरो बजट खेती में लागत कम लगती है और मुनाफा ज्यादा होता है. उन्होंने कहा कि जीरो बजट प्राकृतिक खेती तकनीक के जरिए जो किसान खेती करते हैं, उन्हें किसी भी प्रकार के केमिकल और कीटनाशकों तत्वों को खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती. इस तकनीक में किसान केवल अपने द्वारा बनाई गई चीजों का इस्तेमाल केमिकल की जगह करते हैं. जिसके चलते इस प्रकार की खेती करने के दौरान कम लागत लगती है.

ramlal markanda on zero budget farming
शून्य बजट कृषि को लेकर आयोजित कार्यशाला

रामलाल मारकंडा ने बताया कि जीरो बजट प्राकृतिक खेती के तहत केवल खुद से बनाई गई खाद का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा होने से किसानों को किसी भी फसल को उगाने में कम खर्चा आता है और कम लागत लगने के कारण उस फसल पर किसानों को अधिक मुनाफा होता है. कार्यशाला के दौरान लगभग 100 से अधिक किसानों, वैज्ञानिकों, कृषि अधिकारियों ने भाग लिया.

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सोलन: जिला सोलन के डॉ. वाईएस परमार बागवानी व वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में शून्य बजट कृषि को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया.

ramlal markanda on zero budget farming
शून्य बजट कृषि को लेकर आयोजित कार्यशाला

किसानों को सम्बोधित करते हुए रामलाल मारकंडा ने कहा कि जीरो बजट खेती में लागत कम लगती है और मुनाफा ज्यादा होता है. उन्होंने कहा कि जीरो बजट प्राकृतिक खेती तकनीक के जरिए जो किसान खेती करते हैं, उन्हें किसी भी प्रकार के केमिकल और कीटनाशकों तत्वों को खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती. इस तकनीक में किसान केवल अपने द्वारा बनाई गई चीजों का इस्तेमाल केमिकल की जगह करते हैं. जिसके चलते इस प्रकार की खेती करने के दौरान कम लागत लगती है.

ramlal markanda on zero budget farming
शून्य बजट कृषि को लेकर आयोजित कार्यशाला

रामलाल मारकंडा ने बताया कि जीरो बजट प्राकृतिक खेती के तहत केवल खुद से बनाई गई खाद का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा होने से किसानों को किसी भी फसल को उगाने में कम खर्चा आता है और कम लागत लगने के कारण उस फसल पर किसानों को अधिक मुनाफा होता है. कार्यशाला के दौरान लगभग 100 से अधिक किसानों, वैज्ञानिकों, कृषि अधिकारियों ने भाग लिया.

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---------- Forwarded message ---------
From: Ricky Yogesh <rickyyogesh000@gmail.com>
Date: Sat, May 25, 2019, 3:58 PM
Subject: शून्य बजट खेती पर किसानों को टिप्स, नौणी यूनिवर्सिटी में सजी वर्कशॉप
To: <rajneeshkumar@etvbharat.com>


शून्य बजट खेती पर किसानों को टिप्स, नौणी यूनिवर्सिटी में सजी वर्कशॉप


लोकेशन:-सोलन:-योगेश शर्मा

डाॅ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में शून्य बजट कृषि को लेकर शनिवार को एल एस नेगी ऑडिटोरियम में  कृषि, जनजातीय विकास एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डाॅ. रामलाल मारकण्डा ने अधिकारी एवं उत्तम किसान कार्यशाला का शुभारंभ किया।


किसानों को सम्बोधित करते हुए डॉ मार्कण्डे ने कहा कि जीरो बजट खेती में लागत कम लगती है और मुनाफा ज्यादा होता है उन्होंने कहा कि जीरो बजट प्राकृतिक खेती तकनीक के जरिए जो किसान खेती करते हैं उन्हें किसी भी प्रकार के केमिकल और कीटनाशकों तत्वों को खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है और इस तकनीक में किसान केवल अपने द्वारा बनाई गई चीजों का इस्तेमाल केमिकल की जगह करते हैं. जिसके चलते इस प्रकार की खेती करने के दौरान कम लागत लगती है।
जीरो बजट प्राकृतिक खेती के तहत केवल खुद से बनाई कई खाद का इस्तेमाल किया जाता है और ऐसा होने से किसानों को किसी भी फसल को उगाने में कम खर्चा आता है और कम लागत लगने के कारण उस फसल पर किसानों को अधिक मुनाफा होता है।
वहीं उन्होंने कहा कि 2018 में जीरो बजट खेती से सिर्फ 500 किसान जुड़े थे लेकिन 2022 तक हमारा लक्ष्य 350000 लोगों को जोड़ना है।

कार्यशाला के दौरान लगभग 100 से अधिक किसानों व वैज्ञानिकों , कृषि अधिकारियों ने भाग लिया व उन्हें शून्य बजट कृषि को लेकर जानकरी दी  गई

इस दौरान राकेश कवर (आईएस) प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर ,  कृषि निर्देशक देश राज शर्मा  ,  नौणी विवि के कुलपति डॉ हरी चंद शर्मा ,डॉ राजेश्वर सिंह चंदेल कार्यकारी निर्देशक प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना   व अन्य वैज्ञानिक मौजूद रहे ।


शॉट:-वर्कशॉप नौणी यूनिवर्सिटी किसान जीरो बजट खेती

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