सोलनः जिला परिषद में निर्दलीयों ने भाजपा के समीकरण को बिगाड़ कर रख दिया है. सात निर्दलीयों ने कांग्रेस समर्थित 2 प्रत्याशियों के साथ मिलकर बहुमत का दावा किया है. वीरवार को 2 कांग्रेस समर्थित निर्वाचित सदस्यों सहित 8 निर्दलीयों ने शपथ ली है, लेकिन वह कुनिहार से निर्दलीय चुनाव जीते अमर सिंह ठाकुर के अपने साथ होने का दावा कर रहे हैं.
अमर सिंह ठाकुर वीरवार को अपने पिता पूर्व मंत्री स्वर्गीय हरिदास ठाकुर की पुण्यतिथि पर कुनिहार में आयोजित समारोह में व्यवस्ता के चलते शपथ लेने नहीं पहुंच पाए. यदि निर्दलीयों के दावे सही हुए तो भाजपा की बड़ी फजीहत हो सकती है.
हालांकि, वीरवार को शपथ से नदारद रहे 9 जिला परिषद सदस्यों की 1 फरवरी को शपथ होगी. उसी दिन अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होगा. यह चुनाव उस दिन दोपहर 2:00 बजे होगा. लेकिन इसके लिए उस दिन निर्वाचित सदस्यों की संख्या दो तिहाई अनिवार्य होगी. यदि उस दिन अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ तो 6 फरवरी को 9 सदस्यों की उपस्थिति से अध्यक्ष,उपाध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा.
कुनिहार से जीते अमर सिंह पर सबकी नजरें
कुनिहार से निर्दलीय चुनाव जीते अमर सिंह ठाकुर भी अभी सार्वजनिक तौर पर अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं. इसलिए यह भी नहीं कहा जा सकता कि यह निर्दलीय व कांग्रेस के गठबंधन के साथ है या फिर भाजपा नेताओं के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन फिलहाल निर्दलीय उन्हें अपने खेमे में ही बता रहे हैं. इस तरह से निर्दलीय व कांग्रेस का गठजोड़ वर्तमान में बहुमत के 9 के आंकड़े तक पहुंच गया है.
इतिहास में पहली बार निर्दलीय बनाएंगे जिला परिषद
वहीं निर्दलीय चुनाव जीतकर भाजपा से संबंध रखने वाली वार्ड नंबर 3 डुमैहर से आशा परिहार का कहना है कि निर्दलीय कांग्रेस समर्थित सदस्य ही जिला परिषद का अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनाएंगे. उन्होनें कहा कि वर्तमान में नव निर्वाचित सदस्य एकजुट हैं.
अध्यक्ष उपाध्यक्ष को लेकर कोई खींचतानी नहीं है. सभी सदस्य मिलकर अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का निर्णय करेंगे. इतिहास में पहली बार जिला परिषद निर्दलीयों की होगी. वहीं कांग्रेस समर्थित वार्ड नंबर 7 से जिला परिषद सदस्य चुनकर आए राजेंद्र ठाकुर का कहना है कि कांग्रेस का समर्थन निर्दलीयों के साथ है और वे दोनों ही मिलकर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाने को लेकर निर्णय लेंगे.
भाजपा की राह नहीं आसान
बता दें कि यदि निर्दलीय व कांग्रेस समर्थित निर्वाचित सदस्यों को मिलाकर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाने हैं तो हो सकता है कि उसके लिए उन्हें 6 फरवरी का इंतजार करना पड़े. इसके लिए अभी 1 सप्ताह से अधिक समय है. इस दौरान भाजपा बिगड़े हुए समीकरणों को अपने पक्ष में कर सकती है. लेकिन वीरवार को निर्दलीयों के मूड को देखने से भाजपा की राह भी आसान नहीं लग रही है.
अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए गुटबाजी भाजपा पर पड़ रही भारी
अब यह देखना दिलचस्प हो गया है कि अध्यक्ष उपाध्यक्ष पद के लिए किसके नाम पर सहमति बनती है. भाजपा के नेता भी उनकी रणनीति पर नजरें लगाकर बैठे हुए हैं. 17 सदस्यों की जिला परिषद के चुनाव में भाजपा समर्थित निर्वाचित 7 सदस्यों के अलावा तीन बागी भी पार्टी के ही जीते हुए हैं. लेकिन अध्यक्ष उपाध्यक्ष को लेकर उभरी गुटबाजी के कारण पार्टी उन्हें अभी तक अपने साथ जोड़ने में नाकाम रही है.
पढ़ें: हिमाचल प्रदेश में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी AAP: केजरीवाल