सोलनः संसद के बजट सत्र की शुरुआत हो गई है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दोनों सदनों को संबोधित किया. 1 फरवरी को देश का आम बजट पेश होगा. हर सेक्टर की तरह कृषि क्षेत्र को भी बजट से कई उम्मीदें है.
आम बजट के लिए किसानों ने अपनी मांग रखी है. किसान चाहते हैं कि भारत में नई तकनीक से खेती को बढ़ावा मिले. किसान नेताओं का कहना है कि जैसे हर क्षेत्र का ध्यान रखा जाता है, वैसे ही किसानों के लिए विशेष ध्यान रखा जाए. जिससे उनकी तरक्की हो सके.
किसान नेता मनोज वर्मा की ईटीवी भारत से बातचीत
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान आगामी बजट को लेकर सोलन से किसान नेता मनोज वर्मा ने कहा कि देश के 70 % लोग कृषि पर निर्भर हैं, इसलिए कृषि पर ध्यान देने के बाद ही बजट बनाया जाए.
उन्होंने कहा कि हमारे देश की लाइफ लाइन खेती और किसान है. चाहे कोई भी सरकार हो, वो सबसे पहले किसानों को लेकर बातचीत करती है.
किसानों की आय बढ़ाने पर करना होगा कार्य
मनोज वर्मा ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था किसानों पर आधारित है. अर्थव्यवस्था का केंद्र बिंदु ही किसान है. उन्होंने कहा कि आगामी बजट से किसानों को यही उम्मीद है कि किसानों की आय किस तरह से बढ़ाई जाए.
उन्होंने कहा कि सरकार इस विषय में कार्य कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसके लिए कार्य किया जाना चाहिए.
सिंचाई योजनाओं को मिले बढ़ावा
मनोज वर्मा ने कहा कि हिमाचल जैसे प्रदेश की बात की जाए तो सरकार को सिंचाई योजनाओं के लिए बजट का प्रावधान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि बीज और उर्वरक जैसी किसान-बागवानों के लिए जरूरतमंद चीज है जो अच्छी मात्रा में उपलब्ध हो.
किसानों को इस पर सब्सिडी दी जानी चहिए. उन्होंने कहा कि सरकार अगर कृषि के क्षेत्र में विकास करना चाहती है, तो इसके लिए बजट का इंजेक्शन लगाना बहुत जरूरी है.
एक जिला-एक उत्पाद पर काम करे सरकार
हिमाचल के किसान-बागवानों के लिए नए बाग-बगीचे लगाने के लिए बजट का प्रावधान किया जाना चाहिए. इसमें किसान-बागवान को बीज अच्छी क्वालिटी में मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा एक जिला एक उत्पाद की योजना को लागू किया जा रहा है, सरकार को इसे बढ़ावा देना चाहिए.
हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक जिला की फल सब्जी उत्पाद को लेकर अपनी खासियत है. बात अगर जिला सोलन की हो तो जिला में टमाटर और मशरूम भरपूर मात्रा में होता है.
फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर बल दे सरकार
मनोज वर्मा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में फल और सब्जियां भरपूर मात्रा में होते हैं. कई बार वह खराब भी हो जाते हैं. इसके लिए सरकार को चाहिए कि वे ऐसी फैक्ट्रियां लगाए, जिससे न बिकने वाली फल-सब्जियों का प्रयोग हो सके.
उन्होंने कहा कि सरकार को फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर जोर दिया जाना चाहिए, ताकि जो उत्पाद सब्जी मंडियों में नहीं बिकते हैं किसान उसका अन्य चीजों जैसे जूस जाम आचार में प्रयोग कर बाजार में उतार आमदनी कर सके.
उत्पाद की गारंटी के लिए एमएसपी जरूरी
किसान आंदोलन पर मनोज वर्मा ने कहा कि किसानों की लड़ाई एमएसपी को लेकर है. उन्होंने कहा कि एमएसपी भी बहुत जरूरी है. इससे गारंटी रहती है, जो किसान मेहनत करके अपनी सब्जी को बाजारों में उतार रहा है उसकी कीमत उसे सही मिल रही है.
नींबू और गलगल के लिए प्रदेश में हो खरीद केंद्र स्थापित
मनोज वर्मा ने बजट को लेकर कहा कि प्रदेश में दो चीजें नींबू और गलगल काफी मात्रा में होते हैं, लेकिन किसान-बागवान इसकी तरफ ध्यान नहीं देते हैं. क्योंकि इन चीजों के लिए कहीं भी खरीद केंद्र नहीं है. अगर इन चीजों के लिए खरीद केंद्र बनाया जाए, तो बिना कुछ किए किसान-बागवान सालाना अच्छी आमदनी कर सकते हैं.
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