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मुख्य सचिव अनिल खाची ने किया नौणी विश्वविद्यालय का दौरा, वैज्ञानिकों के प्रयासों को सराहा

हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव अनिल खाची ने किया नौणी विश्वविद्यालय का दौरा केया.उन्होनें राज्य में बागवानी और वानिकी के विकास के लिए वैज्ञानिकों के प्रयासों को सराहा. इस दौरान डॉ. कौशल ने शिक्षा और अनुसंधान के लिए विश्वविद्यालय को अनुदान प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया. साथ ही राज्य सरकार से विशेष रूप से सेब और गुठलीदार फलों की रोपण सामग्री को बड़े पैमाने पर तैयार करने की विश्वविद्यालय की योजना के लिए आवश्यक मदद मांगी.

Nauni University
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Published : Jan 21, 2021, 7:42 PM IST

सोलनः हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव अनिल खाची ने राज्य में बागवानी और वानिकी के विकास के लिए वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की. वह गुरुवार को डॉ. वाई एस परमार औद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के एक दिवसीय दौरे पर थे.

कुलपति डॉ. परविंदर कौशल ने मुख्य सचिव को शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार शिक्षा में विश्वविद्यालय द्वारा किए गए कार्यों से अवगत करवाया. उन्होंने विश्वविद्यालय कामकाज पर कोवि-19 महामारी के प्रभावों को कम करने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में मुख्य सचिव को अवगत करवाया.

राज्य सरकार से मांगी आवश्यक मदद

अपनी प्रस्तुति में डॉ. कौशल ने शिक्षा और अनुसंधान के लिए विश्वविद्यालय को अनुदान प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया. साथ ही राज्य सरकार से विशेष रूप से सेब और गुठलीदार फलों की रोपण सामग्री को बड़े पैमाने पर तैयार करने की विश्वविद्यालय की योजना के लिए आवश्यक मदद मांगी. जिससे विदेश से आयात होने वाली रोपण सामग्री पर निर्भरता कम की जा सके और बागवानों को पौधों की आपूर्ति की जा सके. इस मौके पर डॉ कौशल ने विश्वविद्यालय द्वारा किसानों के लिए नवीनतम कृषि-बागवानी जानकारी से युक्त किसान नोटबुक और अन्य प्रकाशन उन्हें भेंट किए.

राष्ट्रीय रैंकिंग में उच्च स्थान हासिल करने के लिए विश्वविद्यालय की सराहना

इस अवसर पर मुख्य सचिव ने मानव संसाधन विकास के मोर्चे पर और बागवानी, वानिकी और संबन्धित क्षेत्रों में ज्ञान के सृजन के लिए विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे कार्यों और राष्ट्रीय रैंकिंग में उच्च स्थान हासिल करने के लिए विश्वविद्यालय की सराहना की. उन्होंने वैज्ञानिकों से उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया जिससे देश में अन्य संस्थानों से विश्वविद्यालय अपनी अलग पहचान बना सके. उनका विचार था कि विश्वविद्यालय को बागवानी और वानिकी में विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई तकनीकों और प्रक्रियाओं के लिए पेटेंट दाखिल करने का प्रयास करना चाहिए.

ये भी पढ़ें: जन्नत से भी खूबसूरत है हिमाचल का ये 'कश्मीर', पूर्व पीएम मनमोहन सिंह भी हैं इसकी खूबसूरती के कायल

मुख्य सचिव ने कृषि-वानिकी के क्षेत्र का निरीक्षण किया

मुख्य सचिव ने वनस्पति विज्ञान, हाई-टेक फ्लोरीकल्चर, कीवी ब्लॉक, सेब की सघन खेती सहित विश्वविद्यालय के कई फार्म का दौरा किया. उन्होंने विदेश से आयात रोपण सामग्री के लिए पोस्ट एंट्री क्वारेंटाइन साइटों का भी निरीक्षण किया और रूटस्टॉक में अच्छी उत्तरजीविता दर सुनिश्चित करने के लिए किए गए प्रयास के लिए विश्वविद्यालय की सराहना की. उन्होंने कृषि-वानिकी के क्षेत्र में हो रहे प्रयोगों को भी देखा, और मॉडल फार्म का भी दौरा किया. जहां विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई रोपण सामग्री किसानों को वितरित की जा रही है.

कृषि विज्ञान केंद्र और क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र का किया दौरा
इससे पहले, मुख्य सचिव ने कंडाघाट स्थित विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र और क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र का दौरा किया, जहां उन्हें स्टेशन पर की जा रही विभिन्न गतिविधियों से अवगत करवाया गया. इस दौरान विश्वविद्यालय के कुलसचिव, वैधानिक अधिकारी, और विभिन्न विभागों के विभाग अध्यक्ष और वैज्ञानिक उपस्थित रहे.

ये भी पढ़ें: गड़सा घाटी में मकान में लगी आग, एक व्यक्ति की हुई मौत

सोलनः हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव अनिल खाची ने राज्य में बागवानी और वानिकी के विकास के लिए वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की. वह गुरुवार को डॉ. वाई एस परमार औद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के एक दिवसीय दौरे पर थे.

कुलपति डॉ. परविंदर कौशल ने मुख्य सचिव को शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार शिक्षा में विश्वविद्यालय द्वारा किए गए कार्यों से अवगत करवाया. उन्होंने विश्वविद्यालय कामकाज पर कोवि-19 महामारी के प्रभावों को कम करने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में मुख्य सचिव को अवगत करवाया.

राज्य सरकार से मांगी आवश्यक मदद

अपनी प्रस्तुति में डॉ. कौशल ने शिक्षा और अनुसंधान के लिए विश्वविद्यालय को अनुदान प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया. साथ ही राज्य सरकार से विशेष रूप से सेब और गुठलीदार फलों की रोपण सामग्री को बड़े पैमाने पर तैयार करने की विश्वविद्यालय की योजना के लिए आवश्यक मदद मांगी. जिससे विदेश से आयात होने वाली रोपण सामग्री पर निर्भरता कम की जा सके और बागवानों को पौधों की आपूर्ति की जा सके. इस मौके पर डॉ कौशल ने विश्वविद्यालय द्वारा किसानों के लिए नवीनतम कृषि-बागवानी जानकारी से युक्त किसान नोटबुक और अन्य प्रकाशन उन्हें भेंट किए.

राष्ट्रीय रैंकिंग में उच्च स्थान हासिल करने के लिए विश्वविद्यालय की सराहना

इस अवसर पर मुख्य सचिव ने मानव संसाधन विकास के मोर्चे पर और बागवानी, वानिकी और संबन्धित क्षेत्रों में ज्ञान के सृजन के लिए विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे कार्यों और राष्ट्रीय रैंकिंग में उच्च स्थान हासिल करने के लिए विश्वविद्यालय की सराहना की. उन्होंने वैज्ञानिकों से उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया जिससे देश में अन्य संस्थानों से विश्वविद्यालय अपनी अलग पहचान बना सके. उनका विचार था कि विश्वविद्यालय को बागवानी और वानिकी में विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई तकनीकों और प्रक्रियाओं के लिए पेटेंट दाखिल करने का प्रयास करना चाहिए.

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मुख्य सचिव ने कृषि-वानिकी के क्षेत्र का निरीक्षण किया

मुख्य सचिव ने वनस्पति विज्ञान, हाई-टेक फ्लोरीकल्चर, कीवी ब्लॉक, सेब की सघन खेती सहित विश्वविद्यालय के कई फार्म का दौरा किया. उन्होंने विदेश से आयात रोपण सामग्री के लिए पोस्ट एंट्री क्वारेंटाइन साइटों का भी निरीक्षण किया और रूटस्टॉक में अच्छी उत्तरजीविता दर सुनिश्चित करने के लिए किए गए प्रयास के लिए विश्वविद्यालय की सराहना की. उन्होंने कृषि-वानिकी के क्षेत्र में हो रहे प्रयोगों को भी देखा, और मॉडल फार्म का भी दौरा किया. जहां विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई रोपण सामग्री किसानों को वितरित की जा रही है.

कृषि विज्ञान केंद्र और क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र का किया दौरा
इससे पहले, मुख्य सचिव ने कंडाघाट स्थित विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र और क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र का दौरा किया, जहां उन्हें स्टेशन पर की जा रही विभिन्न गतिविधियों से अवगत करवाया गया. इस दौरान विश्वविद्यालय के कुलसचिव, वैधानिक अधिकारी, और विभिन्न विभागों के विभाग अध्यक्ष और वैज्ञानिक उपस्थित रहे.

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