पांवटा साहिब: कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण के दौर में भी श्मशान घाट चालू है. श्मशान घाट बंद होने पर लाशों के ढेर लग जाएंगे. ऐसे में महामारी के बीच पांवटा साहिब के श्मशान घाट में काम करने वाले लोग भी अपनी सुरक्षा को लेकर एहतियात बरत रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान यहां कोरोना संक्रमण से मरने वालों के अलावा कई शवों का अंतिम संस्कार किया गया. ऐसे में लोगों के बीच कोरोना के डर को लेकर यहां काम करने वाले लोगों ने कई नए अनुभव भी किए.
कोरोना संकट काल में पांवटा साहिब में करीब 50 शवों का अंतिम संस्कार किया गया. यहां कई ऐसे शवों का संस्कार भी किया गया, जिनका कोई परिजन नहीं था. वहीं, कुछ ऐसे मामले भी देखने को मिले, जहां परिजनों ने कोरोना के डर से अपनों के शव को छूने से मना कर दिया. ऐसे में श्मशान घाट में काम करने वालों को ही उन शवों का अंतिम संस्कार करना पड़ा.
वहीं, सरल संस्कार एवं वेलफेयर सोसायटी के संस्थापक हेमंत शर्मा ने कहा कि श्मशान घाट में काम करने वाली टीम ने सेनिटाइजेशन का ख्याल रखा. शवों को फ्रीजर में रखने और उन्हें बाहर निकालने का काम श्मशान में काम करने वाले लोग कर रहे हैं क्योंकि मृतकों के परिजनों ने कोरोना के डर से कई बार शव को छूने से मना कर दिया. साथ ही शवों को फ्रीजर से निकालने के बाद उन्हें ही फ्रीजर को साफ करना पड़ा. उन्होंने कहा कि घर जाने से पहले वे अपने आप को अच्छे से सेनिटाइज करने के बाद ही घर जा रहे हैं.
वहीं, श्मशान घाट में काम करने वाले सफाई कर्मी ने कहा कि कोरोना संकट में अपना बचाव खुद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लोग शवों को निकालने के बाद फ्रीजर भी साफ करके नहीं देते.
वहीं, पांवटा साहिब अस्पताल में तैनात वरिष्ठ डॉक्टर जैन ने बताया कि कोरोना काल के दौरान एहतियात बरतने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि डॉक्टर सुरक्षा उपकरणों के साथ पोस्टमार्टम कर रहे हैं. इस समय पीपीई किट, ग्लव्स, मास्क और सेनिटाइजर का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि कोरोना संक्रमण से बचा जा सके.
एक ओर जहां देश में कोरोना संक्रमण के आंकड़े दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं. वहीं, इससे मरने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है. हालांकि देश में संक्रमण से मरने वालों की संख्या रिकवर करने वालों से काफी कम है. इसके बावजूद भी लोगों में कोरोना को लेकर डर का माहौल है.
ये भी पढ़ें: शिलाई में पुलिस और महिलाओं ने नष्ट किए 'भांग' के 3 हजार पौधे