नाहन: 1621 में बसे नाहन शहर में ऐतिहासिक धरोहरों की किस तरह बर्बादी हो रही है, इसका जीता जागता उदाहरण ऐतिहासिक पक्का तालाब है. धार्मिक आस्था के साथ-साथ ये तालाब शहर की ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल हैं, लेकिन नगर परिषद की नाक तले यहां नियमों को दरकिनार कर दर्जनों वाहनों की पार्किंग की जा रही है.
दरअसल पूरे पक्का तालाब परिसर को नो पार्किंग जोन घोषित किया गया है. हैरानी की बात तो ये है कि इस तालाब का रखरखाव नगर परिषद ही देखती है, जोकि ठीक नगर परिषद के कार्यालय के साथ सटा है. बावजूद इसके नगर परिषद की नाक तले तालाब परिसर में रोजाना दर्जनों वाहन पार्क किए जा रहे हैं. नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ रही है और नप प्रशासन आंखे मूंदे बैठा है.
नगर परिषद ने अपने कई वाहन भी यहां पार्क किए हुए हैं. यही नहीं सड़क निर्माण से संबंधित मशीनें भी इस तालाब के किनारे खड़ी की गई है. तस्वीरों में हालात देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि तालाब का ऐसा कोई कोना नहीं, जहां वाहन पार्क न किए गए हो. तालाब के रखरखाव के लिए एक स्थानीय कमेटी भी बनाई गई है, लेकिन वह भी केवल मीडिया में तस्वीरें खिंचाने तक ही सीमित है. हालात ये हैं कि तालाब परिसर में वाहन पार्क होने के चलते कई जगहों पर फर्श तक टूट गया है. दर्जनों की तादाद में वाहन पार्क होने से हालात ऐसे हैं कि पेड़ों की छाव तक में बैठने के लिए बुजुर्ग व अन्य लोग तरस रहे हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐतिहासिक पक्का तालाब किनारे नो पार्किंग होने के बावजूद भी धड़ल्ले से वाहनों की पार्किंग की जा रही है. सभी नियम दरकिनार किए जा रहे हैं. नगर परिषद के अपने वाहन तक यहां पार्क होते हैं. यहां भारी मशीन समेत अन्य वाहनों के कारण तालाब की सुंदरता को भी ग्रहण लग गया है. लोगों ने प्रशासन से यहां पर पार्क किए गए वाहनों को हटाने की मांग की है.
गौरतलब यह भी है कि तालाब के किनारे साल में एक बार वामन द्वादशी के मेले का आयोजन होता है. इसी बीच भगवान वामन की पालकी को भी तालाब में नौका विहार करवाया जाता है. लिहाजा ये तालाब धार्मिक आस्था से भी जुड़ा है. बावजूद इसके फ्री में यहां वाहनों की पार्किंग दिन रात हो रही है.