पांवटा साहिब: प्रदेश सरकार हिमाचल में बेहतर सड़कों की बात करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात कुछ और ही हैं. मौजूदा वक्त में हिमाचल में आज भी कई ऐसे ग्रामीण इलाके हैं जहां पर सड़क सुविधा नहीं है. सड़क ना होने से कई गांव आजादी के इतने समय बीत जाने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं.
जिला सिरमौर शमियाला गांव के 15 परिवार भी ऐसे ही हालातों का सामना कर रहे हैं. इस गांव में आजादी के 72 साल बीत जाने के बाद भी सड़क नहीं पहुंच पाई है. ग्रामीण आज भी बीमार व्यक्ति को कंधे पर उठाकर अस्पताल तक पहुंचाते हैं. दो दशकों से ग्रामीण सड़क बनाने की मांग को लेकर प्रशासन और स्थानीय नेताओं से गुहार लगा चुके हैं पर समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है.
पांवटा खंड विकास अधिकारी गौरव धीमान के संज्ञान में जब यह मामला आया तो उन्होंने खुद मौके पर ग्रामीणों के साथ पैदल चलकर गांव का जायजा लिया. पैदल खड़ी चढ़ाई चढ़ते समय खंड विकास अधिकारी का मनोबल बढ़ाने के लिए ग्रामीणों ने पहाड़ी नाटी और गीत गाकर उनका मनोरंजन किया. खंड विकास अधिकारी ने लोगों से बातचीत की और गांव के लोगों को आश्वासन दिलाया कि मनरेगा के अंतर्गत अब इस सड़क को बनाया जाएगा ताकि यहां के गांव के लोग सड़क की सुविधा से वंचित ना रहे.
गांव के स्थानीय निवासी प्रताप सिंह ठाकुर ने बताया कि एक ओर सरकार जहां ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, शुद्ध पेयजल आदि सुविधा उपलब्ध कराने का दावा कर रही है वहीं दूसरी ओर गांव के युवा रोजाना स्कूल कॉलेज के लिए 6 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं. वोटों की राजनीति करने वाले नेता ओर जिला शासन प्रशासन कुंभकरण नींद सो रहे हैं.
पांवटा खंड विकास अधिकारी गौरव धीमान में बताया कि गांव के लोगों को पक्की सड़क और गांव की गलियों में स्ट्रीट लाइट और अन्य मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने के लिए वह खुद आगे रह कर काम करवाएंगे.
गौरतलब है कि प्रदेश में सड़क से वंचित कई गांवों की किस्मत शमियाला गांव जैसी नहीं है. जिसमें खंड विकास अधिकारी गौरव धीमान जैसे जिम्मेदार अधिकारी हैं. जिन ग्रामीण इलाकों में सड़क की सुविधा नहीं है, उसकी जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं बल्कि गैर जिम्मेदार अधिकारियों की भी है जो अपने कार्यों को सही से निभा नहीं रहे.
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