पांवटा साहिब: कोरोना ने ना जाने कितने लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया है. करोड़ों लोग इस महामारी से जूझ रहे हैं. लाखों लोग कोविड से मर चुके हैं और ना जाने कितने लोग रोजाना कोरोना से स्वस्थ होकर घर लौट रहे हैं, लेकिन कोरोना ने समाज पर एक घात ऐसा भी किया है, जो हर किसी को नजर नहीं आ रहा. कोरोना से स्वस्थ हुए लोगों को अस्पृश्यता यानि अनटचेबिलिटी जैसे हालातों का भी सामना करना पड़ रहा है. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव बुजुर्गों को झेलना पड़ रहा है, जो कुछ ही पलों में अपने परिवार के लिए ही पराए हो गए हैं.
कोरोना महामारी के दौरान देशभर में ऐसे कई किस्से सामने आए, जहां कोरोना से स्वस्थ हुए लोगों को उनके अपनों ने ही अपनाने से इंकार कर दिया, लेकिन हिमाचल के पांवटा में स्थिति बेहरत हैं. पांवटा साहिब में बुजुर्गों और गंभीर रूप से पीड़ितों प्रशासन के साथ-साथ वार्ड और परिवार के सभी सदस्य स्वागत कर रहे हैं.
बुजुर्ग के परिजनों ने बताया कि उनके कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद पूरे परिवार को होम क्वारंटाइन कर दिया गया था, लेकिन आस-पड़ोस के लोगों ने उनके साथ कोई सौतेला व्यवहार नहीं किया बल्कि उनकी हर जरूरत का पूरा ख्याल रखा गया.
पांवटा साहिब के वार्ड 13 एक व्यक्ति ने बताया कि उसके कोरोना पॉजिटिव आने के बाद पड़ोसियों का व्यवहार सही नहीं था, शरुआत में उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन जब वह स्वस्थ होकर घर लौटा, तो उसके पड़ोसियों ने ही उसका जोरदार स्वागत किया.
पावंटा में कोरोना से स्वस्थ होकर लौटे लोगों के साथ भले ही अनटचेबिलिटी जैसी घटनाएं नहीं घटी, लेकिन इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता है कि कोरोना के दौर में ऐसी कई घटनाएं सामने आ रही हैं, जहां स्वस्थ होकर अपने घर लौट रहे लोगों का स्वागत तक नहीं किया जा रहा. पांवटा सिविल अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर हिमांशु ने बताया कि कोविड सेंटर में बुजुर्ग व्यक्तियों का विशेष ध्यान रखा जाता है.
बता दें कि ऐसे कई कारण है, जिसकी वजह से कोरोना से स्वस्थ हुए लोगों को उनके अपने ही नजरअंदाज कर रहें हैं. कोरोना वायरस को लेकर समाज में ऐसी मानसिकता बन चुकी है कि लोग एक दूसरे को छूने से भी कतरा रहे हैं. बेशक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरुरी है, लेकिन आपसी संबंधों में ही डर के चलते दूरी बना लेना भी बुद्धिमानी नहीं है.