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150 रुपये प्रति किलो बिक रहा राजगढ़ में मटर, किसानों के खिले चहरे

गिरीपार क्षेत्र के ऊपरी क्षेत्रों में बरसाती मटर के भाव ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए है. स्थानीय मंडियों में मटर 140 से 150 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. यह मटर का थौक भाव है और इससे परचून भाव का अंदाजा लगाया जा सकता है. मार्केट में मटर की डिमांड दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. भाव का मुख्य कारण यह भी है कि इस साल अन्य सालों की तुलना में उत्पादन काफी कम है, जिससे भाव में तेजी जा रही है.

मटर
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Published : Nov 10, 2020, 1:20 PM IST

राजगढ़: गिरीपार क्षेत्र के ऊपरी क्षेत्रों में बरसाती मटर के भाव ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए है. स्थानीय मंडियों में मटर 140 से 150 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. यह मटर का थोक भाव है और इससे परचून भाव का अंदाजा लगाया जा सकता है. किसानों की मटर की फसल इन दिनों मार्केट में पहुंच रही है. मटर का जो भाव किसानों को मिल रहा है वह इससे पहले कभी नहीं मिला. इससे किसान काफी उत्साहित दिख रहे है.

मार्केट में मटर की डिमांड दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. भाव का मुख्य कारण यह भी है कि इस साल अन्य सालों की तुलना में उत्पादन काफी कम है, जिससे भाव में तेजी जा रही है. खेतों में मटर की तुड़ान का काम जोरों से पर चल रहा है. कई सालों बाद मटर के दामों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है, लेकिन किसानों के अनुसार इतना बड़ा उछाल पहली बार देखा गया है.

सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र के तीन विधानसभा क्षेत्रों पच्छाद, रेणुकाजी व शिलाई की लगभग सात दर्जन पंचायतों में किसान हर साल बरसात की फसल का उत्पादन अपने खेतों में बड़े पैमाने पर करते हैं. जानकारी के अनुसार जिला के ऊंचाई वाले इन क्षेत्रों में मटर इस साल सिर्फ 50 से 80 एकड़ में उगाया गया है. पहले लगभग 150 से 200 एकड़ जमीन में मटर का उत्पादन हुआ करता था, लेकिन कम भाव व मौसम की बेरुखी के चलते इस फसल को किसानों ने लगाना कम कर दिया है.

किसान नई फसल उगाने का विकल्प तलाश कर रहे है. गौरतलब है कि 60 दिन तैयार होने वाली मटर की फसल को किसानों ने 120 से 150 प्रति किलो के हिसाब से बीज अपने खेतों में लगाया था. यह फसल साल की अंतिम फसल होती है, जो सर्दियों से पहले तैयार होती है. इस नगदी फसल से अगली फसल तक किसान खर्चा चलाते है. इसी फसल से क्षेत्र के ग्रामीण दिवाली की शॉपिंग आदि भी करते है.

इसी अवधि के दौरान मटर का औसत भाव मौजूदा भाव का लगभग आधा भी नहीं होता था. मौजूदा समय मे भाव 50 से 55 रुपये रहता था. किसानों की मटर की पैदावार हुई है. मंडियों में उछाल आने से किसानों के चेहरे पर रौनक लौट आई है. कई सालों बाद किसानों को अपनी नगदी फसल के उचित दाम मिल रहे हैं. लॉकडाउन के बाद किसानों की नगदी फसले आलू के अलावा लहसुन, टमाटर, शिमला मिर्च फ्रासबीन के दाम भी अच्छे मिल रहे हैं.

राजगढ़: गिरीपार क्षेत्र के ऊपरी क्षेत्रों में बरसाती मटर के भाव ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए है. स्थानीय मंडियों में मटर 140 से 150 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. यह मटर का थोक भाव है और इससे परचून भाव का अंदाजा लगाया जा सकता है. किसानों की मटर की फसल इन दिनों मार्केट में पहुंच रही है. मटर का जो भाव किसानों को मिल रहा है वह इससे पहले कभी नहीं मिला. इससे किसान काफी उत्साहित दिख रहे है.

मार्केट में मटर की डिमांड दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. भाव का मुख्य कारण यह भी है कि इस साल अन्य सालों की तुलना में उत्पादन काफी कम है, जिससे भाव में तेजी जा रही है. खेतों में मटर की तुड़ान का काम जोरों से पर चल रहा है. कई सालों बाद मटर के दामों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है, लेकिन किसानों के अनुसार इतना बड़ा उछाल पहली बार देखा गया है.

सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र के तीन विधानसभा क्षेत्रों पच्छाद, रेणुकाजी व शिलाई की लगभग सात दर्जन पंचायतों में किसान हर साल बरसात की फसल का उत्पादन अपने खेतों में बड़े पैमाने पर करते हैं. जानकारी के अनुसार जिला के ऊंचाई वाले इन क्षेत्रों में मटर इस साल सिर्फ 50 से 80 एकड़ में उगाया गया है. पहले लगभग 150 से 200 एकड़ जमीन में मटर का उत्पादन हुआ करता था, लेकिन कम भाव व मौसम की बेरुखी के चलते इस फसल को किसानों ने लगाना कम कर दिया है.

किसान नई फसल उगाने का विकल्प तलाश कर रहे है. गौरतलब है कि 60 दिन तैयार होने वाली मटर की फसल को किसानों ने 120 से 150 प्रति किलो के हिसाब से बीज अपने खेतों में लगाया था. यह फसल साल की अंतिम फसल होती है, जो सर्दियों से पहले तैयार होती है. इस नगदी फसल से अगली फसल तक किसान खर्चा चलाते है. इसी फसल से क्षेत्र के ग्रामीण दिवाली की शॉपिंग आदि भी करते है.

इसी अवधि के दौरान मटर का औसत भाव मौजूदा भाव का लगभग आधा भी नहीं होता था. मौजूदा समय मे भाव 50 से 55 रुपये रहता था. किसानों की मटर की पैदावार हुई है. मंडियों में उछाल आने से किसानों के चेहरे पर रौनक लौट आई है. कई सालों बाद किसानों को अपनी नगदी फसल के उचित दाम मिल रहे हैं. लॉकडाउन के बाद किसानों की नगदी फसले आलू के अलावा लहसुन, टमाटर, शिमला मिर्च फ्रासबीन के दाम भी अच्छे मिल रहे हैं.

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