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सिरमौर का ये गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से महरूम, सड़क, स्कूल व अस्पताल न होने से लोग परेशान - शिलाई क्षेत्र के दुर्गम पंचायत टेटयाना खाड़ो गांव

टटियाना खाड़ो गांव में सड़क न होने के कारण स्थानीय लोगों को मजबूरन मरीजों को पीठ पर उठा कर 3 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता है. आजादी के सात दशक बीत जाने के बावजूद भी इस गांव में सड़क सुविधा अभी तक नहीं पहुंची है.

सिरमौर का ये गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से महरूम
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Published : Oct 18, 2019, 5:37 PM IST

Updated : Oct 18, 2019, 6:44 PM IST

पांवटा साहिब: जिला सिरमौर के शिलाई क्षेत्र के दुर्गम पंचायत टटियाना खाड़ो गांव में लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी यहां के लोग शिक्षा, सड़क, पानी जैसी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. इसे प्रशासन की लापरवाही कहें या नेताओं की अनदेखी, लेकिन इन लोगों को मूलभूत सुविधाएं न मिलने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

टटियाना खाड़ो गांव में सड़क न होने के कारण स्थानीय लोगों को मजबूरन मरीजों को पीठ पर उठा कर 3 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता है. इस गांव में सड़क सुविधा अभी तक नहीं पहुंची है. यहां तक की बच्चों को स्कूल के लिए 6 किलोमीटर जंगल के रास्ते से पैदल आना जाना करना पड़ता है. लोगों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं के लिए प्रदेश सरकार हर प्रकार की सुविधाएं दे रही है, लेकिन यह सुविधाएं बड़े-बड़े लोगों तक की ही पहुंच पा रही है.

वीडियो

वहीं, महिलाओं ने बताया कि गर्भवती महिला को पगडंडी में उठाकर सड़क तक पहुंचाने की कोशिश की गई , लेकिन महिला ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म देकर अपना दम तोड़ दिया. वहीं, डॉक्टर की सुविधा ना मिलने के कारण जुड़वा बच्चों ने भी अपना दम तोड़ दिया.

लोगों ने प्रदेश और केंद्र सरकार से सड़क सुविधा बहाल करने की मांग की है. स्थानीय लोगों ने कहा कि कई बार नेताओं से सड़क की मांग उठाई गई, लेकिन नेताओं ने चुनाव के दौरान उन्हें आश्वासन दिया.

पांवटा साहिब: जिला सिरमौर के शिलाई क्षेत्र के दुर्गम पंचायत टटियाना खाड़ो गांव में लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी यहां के लोग शिक्षा, सड़क, पानी जैसी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. इसे प्रशासन की लापरवाही कहें या नेताओं की अनदेखी, लेकिन इन लोगों को मूलभूत सुविधाएं न मिलने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

टटियाना खाड़ो गांव में सड़क न होने के कारण स्थानीय लोगों को मजबूरन मरीजों को पीठ पर उठा कर 3 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता है. इस गांव में सड़क सुविधा अभी तक नहीं पहुंची है. यहां तक की बच्चों को स्कूल के लिए 6 किलोमीटर जंगल के रास्ते से पैदल आना जाना करना पड़ता है. लोगों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं के लिए प्रदेश सरकार हर प्रकार की सुविधाएं दे रही है, लेकिन यह सुविधाएं बड़े-बड़े लोगों तक की ही पहुंच पा रही है.

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वहीं, महिलाओं ने बताया कि गर्भवती महिला को पगडंडी में उठाकर सड़क तक पहुंचाने की कोशिश की गई , लेकिन महिला ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म देकर अपना दम तोड़ दिया. वहीं, डॉक्टर की सुविधा ना मिलने के कारण जुड़वा बच्चों ने भी अपना दम तोड़ दिया.

लोगों ने प्रदेश और केंद्र सरकार से सड़क सुविधा बहाल करने की मांग की है. स्थानीय लोगों ने कहा कि कई बार नेताओं से सड़क की मांग उठाई गई, लेकिन नेताओं ने चुनाव के दौरान उन्हें आश्वासन दिया.

Intro:मोदी जी और जय राम जी हमारे गांव की और भी देखो कब हमें सड़कें स्कूल और पानी मिलेगा

सड़क ना होने से जान जोखिम में डालकर आवाजाही करने को मजबूर स्कूली छात्र और बुजुर्ग
पूरा गांव सड़क शिक्षा और पानी से मेहरूBody:
आजादी के 72 साल बीत जाने के बावजूद शिलाई क्षेत्र के अंतर्गत खाड़ो गांव के लोग मरीजों को 3 किलोमीटर उठाकर सड़क तक पहुंचाना के लिए मजबूर है

सिस्टम के बड़े-बड़े दावों की पोल तब खुलती है जब धरातल की सच्चाई कुछ और ही बयां करती है मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे गांव के लोग आज 72 साल बाद भी शिक्षा सड़क पानी से वंचित है एक और केंद्र और प्रदेश सरकार धरातल पर किसानों की आमदनी बढ़ाई जाएगी किसानों को हर प्रकार की सुविधाएं भी पहुंचाई जाएगी पर जब पूरा गांव हैं सड़क शिक्षा पानी से महरूम हो तो यह सारे किए वादे फेल हो जाते हैं शासन प्रशासन या नेताओं की लापरवाही कहें या अनदेखी लेकिन सच्चाई तो यही है कि जो वहां पर आज भी अपना गुजर-बसर कर रहे हैं उनकी हालत देखने कोई भी नही देवभूमि हिमाचल विकास की राह पर आगे तो बढ़ रहा है लेकिन यहां के आज भी कई गांव ऐसे हैं जो बिना सड़क से महरूम है क्यों सरकार इसकी और ध्यान नहीं दे रही है जिला सिरमौर के शिलाई क्षेत्र के दुर्गम पंचायत टेटयाना खाड़ो गांव के लोगों को रोड ना होने के कारण मजबूरन मरीजों को पीठ पर उठा के 3 किलोमीटर चढ़ाई चल के मरीजों को रोड तक ले जाना पड़ता है विडंबना यह है कि आजादी के 72 साल बीत जाने के बावजूद भी इस गांव मैं रोड की सुविधा अभी तक नहीं पहुंची है रोड ना होने के कारण गांव के लोगों को हर समान पीठ पर उठाकर घर तक पहुंचाना पड़ता है लोगों को रोड ना होने के कारण इतनी समस्या है कि छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल के लिए 6 किलोमीटर घने जंगल के रास्ते पैदल आना जाना करना पड़ता है ऐसे में रोज अभिभावकों को अपने बच्चों के चिंता सताए जाती है कि कोई रास्ते में कोई अनहोनी ना हो जाए ।


गर्भवती महिलाओं के लिए प्रदेश सरकार हर प्रकार की सुविधाएं दे रही है लेकिन यह सुविधाएं बड़े-बड़े लोगों तक की पहुंच पा रही है गांव की महिलाओं ने बताया गर्भवती महिला को पगडंडी में उठाकर सड़क तक पहुंचाने की कोशिश की परंतु महिला ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म देकर अपना दम तोड़ दिया
यही नहीं बच्चों को अभी डॉक्टर की सुविधा ना मिलने के कारण जुड़वा बच्चे भी अपना दम तोड़ दिया ऐसी घटनाओं को देखकर क्षेत्र की महिलाएं काफी चिंतित है और प्रदेश और केंद्र सरकार से रोड की गुहार लगा रही है

बाइट क्षेत्र की महिलाएं

हिंदुस्तान में रहने वाले हम हिंदुस्तान के ही निवासी है यही अपना गुजर-बसर कर रहे हैं क्यों सरकार हमारी अनदेखा कर रहे हैं हमें क्यों मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है क्षेत्र के लोगों ने बताया कि हमने कई बार स्थानीय नेताओं से कई बार रोड की मांग उठाई है पर इलेक्शन के दौरान वोट मांगने तो आ जाते हैं और हर बार वादा करके चले जाते हैं उसके बाद गांव में देखने तक नहीं आते सबसे ज्यादा परेशानी हमारे स्कूली बच्चों को हो रही है जिन्हें लगभग 6 किलोमीटर रोज पैदल स्कूल आना जाना पड़ता है जिसमें की कई छोटे बच्चे भी होते हैं स्कूली बच्चे भी कई बार रास्ते में गिर कर उन्हें चोटे लगती रहती है हम प्रशासन से यह कहना चाहते हैं कि जल्द से जल्द हमें रोड की सुविधा दी जाए ताकि हमारी समस्या का समाधान हो सके। लोगों ने केंद्र व प्रदेश सरकार से हाथ जोड़कर जोरदार आग्रह किया है गांव तक कम से कम सड़क तो पहुंचाई जाए ताकि लोगों को राहत मिल सके

बाइट क्षेत्र के ग्रामीण

ईटीवी भारत की टीम जब मौके पर पहुंची और लोगों की समस्या सुनी जहां केंद्र सरकार 4G से 5G के सपने देख रहा है वही इस गाँव के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से भी कोसों दूर है गांव के लोग आदि मानव के जीवन व्यतीत करने को मजबूर है वोट मांगने वाले पंचायत प्रधान नेताओं और प्रशासन को क्यों इन गांव के लोगों पर दया नहीं आई क्यों इन मासूमों को अनदेखा कर रहे हैं ईटीवी भारत प्रदेश सरकार से जोरदार आग्रह करता है ऐसे गरीब लोगों की सहायता की जाए उन्हें मात्र 3 किलोमीटर का रोड दिया जाए ताकि इनकी इस विकराल समस्या का जीर्णोद्धार हो सकेConclusion:
Last Updated : Oct 18, 2019, 6:44 PM IST
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