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राजगढ़ में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान शिविर का आयोजन, किसानों को बांटे प्रशिक्षण प्रमाण पत्र

कृषि विभाग के सौजन्य से कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) योजना के तहत डॉक्टर सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान कार्यक्रम के तहत दो दिवसीय किसान प्रशिक्षण शिविर का आयोजन पंचड गांव में किया गया. इस दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में लगभग 25 किसानों ने भाग लिया व किसानों को प्रशिक्षण के प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए.

शिविर का आयोजन
शिविर का आयोजन
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Published : Dec 6, 2020, 5:00 PM IST

राजगढ़: कृषि विभाग के सौजन्य से कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) योजना के तहत डॉक्टर सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान कार्यक्रम के तहत दो दिवसीय किसान प्रशिक्षण शिविर का आयोजन राजगढ़ की पंचायत शिलांजी के पंचड गांव में किया गया.

शिविर में मोहित कुमार, हिमेद्र कुमार, कुलदीप कुमार ने किसानों को देसी गाय के गोबर व गौमूत्र से जीवामृत, घन जीवामृत, बीजामृत, ब्रहास्त्र, नीमास्त्र, दश्पर्णी अर्क, कडू अस्त्र, साप्त धान्य अर्क, फफूंद नाशक आदि बनाने का प्रशिक्षण प्रदान किया गया.

वीडियो रिपोर्ट.

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा

इसके साथ-साथ किसानों को सुभाष पालेकर खेती के मुख्य पांच स्तंभों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई. इसका प्रयोग किसान रसायनिक उर्वरकों एवं कीट नाशक दवायों के स्थान पर कर सकते हैं. इसका फलों एवं सब्जियों पर कब और कितनी मात्रा मे प्रयोग करना है. इस बारे में किसानों को विस्तार से बताया गया. इसके साथ-साथ किसानों को यह भी बताया गया कि सरकार की ओर से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों के लिए अनेक अनुदान योजनाएं तैयार की गई हैं.

किसानों को दिए प्रशिक्षण प्रमाण पत्र

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना था कि प्राकृतिक खेती से जहां किसानों को आर्थिक लाभ होता है. इससे पर्यावरण संरक्षण भी होता है. रासायनिक खादों व कीट नाशक दवा के प्रयोग से पार्यावरण भी प्रदूषित होता है. इस दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में लगभग 25 किसानों ने भाग लिया व किसानों को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए.

किसानों को होगा लाभ

किसानों का कहना था कि अब वह रासायनिक उर्वरकों व कीट नाशक दवाइयों का प्रयोग पूरी तरह से कम कर देंगे. इसको करने से ही किसानों को हजारों रुपये का लाभ होगा. इससे पहले उनको फसलों से बेहतर उत्पादन लेने के लिए हजारों रुपये तो रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशक दवाइयों पर खर्च करना पड़ता था.

राजगढ़: कृषि विभाग के सौजन्य से कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) योजना के तहत डॉक्टर सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान कार्यक्रम के तहत दो दिवसीय किसान प्रशिक्षण शिविर का आयोजन राजगढ़ की पंचायत शिलांजी के पंचड गांव में किया गया.

शिविर में मोहित कुमार, हिमेद्र कुमार, कुलदीप कुमार ने किसानों को देसी गाय के गोबर व गौमूत्र से जीवामृत, घन जीवामृत, बीजामृत, ब्रहास्त्र, नीमास्त्र, दश्पर्णी अर्क, कडू अस्त्र, साप्त धान्य अर्क, फफूंद नाशक आदि बनाने का प्रशिक्षण प्रदान किया गया.

वीडियो रिपोर्ट.

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा

इसके साथ-साथ किसानों को सुभाष पालेकर खेती के मुख्य पांच स्तंभों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई. इसका प्रयोग किसान रसायनिक उर्वरकों एवं कीट नाशक दवायों के स्थान पर कर सकते हैं. इसका फलों एवं सब्जियों पर कब और कितनी मात्रा मे प्रयोग करना है. इस बारे में किसानों को विस्तार से बताया गया. इसके साथ-साथ किसानों को यह भी बताया गया कि सरकार की ओर से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों के लिए अनेक अनुदान योजनाएं तैयार की गई हैं.

किसानों को दिए प्रशिक्षण प्रमाण पत्र

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना था कि प्राकृतिक खेती से जहां किसानों को आर्थिक लाभ होता है. इससे पर्यावरण संरक्षण भी होता है. रासायनिक खादों व कीट नाशक दवा के प्रयोग से पार्यावरण भी प्रदूषित होता है. इस दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में लगभग 25 किसानों ने भाग लिया व किसानों को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए.

किसानों को होगा लाभ

किसानों का कहना था कि अब वह रासायनिक उर्वरकों व कीट नाशक दवाइयों का प्रयोग पूरी तरह से कम कर देंगे. इसको करने से ही किसानों को हजारों रुपये का लाभ होगा. इससे पहले उनको फसलों से बेहतर उत्पादन लेने के लिए हजारों रुपये तो रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशक दवाइयों पर खर्च करना पड़ता था.

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