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'बीमार' है स्वास्थ्य केंद्र शिलाई, न x-ray न अल्ट्रासाउंड और न मिलती है दवाई - उत्तराखंड के कवेणु

अल्ट्रासाउंड समते छोटे-छोटे टेस्ट के लिए लोगों को 70 किलोमीटर दूर का सफर कर पांवटा साहिब जाना पड़ता है.

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिलाई
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Published : Apr 24, 2019, 10:17 AM IST

नाहन: सिरमौर जिला के दुर्गम क्षेत्र शिलाई का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरकार के बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल रहा है. लंबे अरसे से यहां लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को तरस रहे हैं, लेकिन अब तक सुविधाओं के नाम पर लोगों को सिर्फ ठगा ही गया है.

सबसे पहले बता दें कि शिलाई की 30 पंचायतों के अलावा उत्तराखंड के कवेणु के लोग भी उपचार के लिए इसी सामुदायिक केंद्र पर निर्भर है. एक्सरे, अल्ट्रासाउंड समते छोटे-छोटे टेस्ट के लिए लोगों को 70 किलोमीटर दूर का सफर कर पांवटा साहिब जाना पड़ता है. हालात यह है कि अधिकतर मरीजों को यहां से पांवटा साहिब रेफर कर दिया जाता है.

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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डाक्टरों व अन्य स्टाफ सहित कई सुविधाओं से जूझ रहा है. लिहाजा मरीज यहां रामभरोसे ही हैं. गर्भवती महिलाओं के लिए यहां अल्ट्रासाइंड की सुविधा तक नहीं है. अस्पताल में कई पद यहां खाली पड़े हैं. स्टाफ की कमी मरीजों का मर्ज ओर अधिक बढ़ा देती है. स्वास्थ्य केंद्र को डाक्टरों की कमी भी खल रही है. नर्सों तक को फार्मासिस्ट का काम करना पड़ रहा है. ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं यहां धूल चाटती नजर आती हैं.

अस्पताल में कई बार मरीजों को दवाइयां तक भी उपलब्ध मिल पाती है. ग्रामीणों का कहना है कि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा बढ़ाया जाना चाहिए, साथ ही यहां डाक्टरों के अलावा अन्य सुविधाएं भी मुहैया करवाई जानी चाहिए, ताकि उन्हें घर द्वार पर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें.

शिलाई स्वास्थ्य केंद्र के इंचार्ज डॉ. पियूष ने माना कि एक्स-रे टेक्नीशियन न होने की वजह से यहां से मरीजों को रेफर किया जाता है. एक्स-रे प्लांट तक लगा है, लेकिन वह चालू नहीं है. अल्ट्रासाउंड की सुविधा भी यहां नहीं है. इसके लिए लोगों को पांवटा साहिब या नाहन जाना पड़ता है. स्टाफ के यहां कई पद खाली हैं. उच्चाधिकारियों को इस समस्या के बारे में समय-समय पर लिखा जाता है.

नाहन: सिरमौर जिला के दुर्गम क्षेत्र शिलाई का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरकार के बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल रहा है. लंबे अरसे से यहां लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को तरस रहे हैं, लेकिन अब तक सुविधाओं के नाम पर लोगों को सिर्फ ठगा ही गया है.

सबसे पहले बता दें कि शिलाई की 30 पंचायतों के अलावा उत्तराखंड के कवेणु के लोग भी उपचार के लिए इसी सामुदायिक केंद्र पर निर्भर है. एक्सरे, अल्ट्रासाउंड समते छोटे-छोटे टेस्ट के लिए लोगों को 70 किलोमीटर दूर का सफर कर पांवटा साहिब जाना पड़ता है. हालात यह है कि अधिकतर मरीजों को यहां से पांवटा साहिब रेफर कर दिया जाता है.

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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डाक्टरों व अन्य स्टाफ सहित कई सुविधाओं से जूझ रहा है. लिहाजा मरीज यहां रामभरोसे ही हैं. गर्भवती महिलाओं के लिए यहां अल्ट्रासाइंड की सुविधा तक नहीं है. अस्पताल में कई पद यहां खाली पड़े हैं. स्टाफ की कमी मरीजों का मर्ज ओर अधिक बढ़ा देती है. स्वास्थ्य केंद्र को डाक्टरों की कमी भी खल रही है. नर्सों तक को फार्मासिस्ट का काम करना पड़ रहा है. ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं यहां धूल चाटती नजर आती हैं.

अस्पताल में कई बार मरीजों को दवाइयां तक भी उपलब्ध मिल पाती है. ग्रामीणों का कहना है कि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा बढ़ाया जाना चाहिए, साथ ही यहां डाक्टरों के अलावा अन्य सुविधाएं भी मुहैया करवाई जानी चाहिए, ताकि उन्हें घर द्वार पर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें.

शिलाई स्वास्थ्य केंद्र के इंचार्ज डॉ. पियूष ने माना कि एक्स-रे टेक्नीशियन न होने की वजह से यहां से मरीजों को रेफर किया जाता है. एक्स-रे प्लांट तक लगा है, लेकिन वह चालू नहीं है. अल्ट्रासाउंड की सुविधा भी यहां नहीं है. इसके लिए लोगों को पांवटा साहिब या नाहन जाना पड़ता है. स्टाफ के यहां कई पद खाली हैं. उच्चाधिकारियों को इस समस्या के बारे में समय-समय पर लिखा जाता है.

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ये है 30 पंचायतों के अस्पताल के हाल, एक्सरे तक के लिए 70 किमी का सफर 
-न एक्सरे की सुविधा, न अल्ट्रासाउंड, फिर खाली स्टाफ भी बढ़ा देता है मर्ज 
-नर्सें ही संभाल रही फार्मासिस्टों का काम, एक्सरे मशीने सालों से शोपीस 
नाहन। सरकार के बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल सिरमौर जिला के दुर्गम क्षेत्र शिलाई में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खोल रहा है। लंबे अरसे से यहां लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को तरस रहे हैं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
सबसे पहले बता दें कि शिलाई की 30 पंचायतों के अलाव उत्तराखंड के कवेणु के लोग भी उपचार के लिए इसी सामुदायिक केंद्र पर निर्भर है। हालात यह है कि अधिकतर मरीजों को यहां से पांवटा साहिब रैफर कर दिया जाता है। एक्सरे, अल्ट्रासाउंड तक की सुविधा के लिए लोगों को 70 किलोमीटर दूर का सफर कर पांवटा साहिब पहंुचना पड़ता है। 
यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डाक्टरों व अन्य स्टाफ सहित कई सुविधाओं से जूझ रहा है। लिहाजा मरीज का स्वास्थ्य यहां रामभरोसे ही है। गर्भवती महिलाओं के लिए यहां अल्ट्रासाइंड की सुविधा तक नहीं है। यही नहीं एक्सरे की सुविधा से भी यह क्षेत्र महरूम है। स्टाफ के कई पद यहां खाली पड़े हैं। यहां तक इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को डाक्टरों की कमी भी काफी अधिक खल रही है। 
कई बार तो दवाइयां तक भी उपलब्ध नहीं हो पाती है। छोटे-छोटे टैस्टों के लिए भी ग्रामीणों को पांवटा साहिब का रूख करना पड़ता है। स्टाफ की कमी मरीजों का मर्ज ओर अधिक बढ़ा देती है। नर्सों तक को फार्मासिस्ट का काम करना पड़ रहा है। ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं यहां धूल चाटती नजर आती है।
ग्रामीणों का कहना है कि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा बढ़ाया जाना चाहिए। साथ ही यहां डाक्टरों के अलावा अन्य सुविधाएं भी मुहैया करवाई जानी चाहिए, ताकि उन्हें घर द्वार पर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके।
बाइट: स्थानीय ग्रामीण
उधर पूछे जाने पर शिलाई स्वास्थ्य केंद्र के इंचार्ज डा. पियुष ने माना कि एक्सरे टैक्नीशियन न होने की वजह से यहां से मरीजों को रैफर किया जाता है। एक्सरे प्लांट तक लगा है, लेकिन वह चालू नहीं है। अल्ट्रासाउंड की सुविधा भी यहां नहीं है। इसके लिए लोगों को पांवटा साहिब या नाहन जाना पड़ता है। उन्होंने यह भी माना कि स्टाफ के यहां कई पद खाली है। उच्चाधिकारियों को इस बाबत समय-समय पर लिखा जाता है। 
बाइट: डा. पियुष, इंचार्ज, शिलाई सामुदायिक केंद्र 
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