नाहन: 77वें स्वतंत्रता दिवस पर लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन चौगान में तिरंगा फहराया. इस दौरान मंत्री ने पुलिस, होम गार्ड, एनसीसीए एनएसएस व स्काउट एवं गाइड की टुकड़ियों द्वारा प्रस्तुत आकर्षक मार्च पास्ट की सलामी ली. इससे पूर्व उन्होंने डॉ. वाईएस परमार की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की. वहीं, शहीद चौक पर उन्होंने शहीदों को भी श्रद्धा सुमन अर्पित भी किए
इस मौके पर विक्रमादित्य सिंह ने जिलावासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस का यह गौरवमयी दिन उन वीर सपूतों को स्मरण करने का अवसर है, जिन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर कर हमें आदादी दिलवाई. आजादी की लड़ाई में हिमाचल के वीर सपूतों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया. स्वतंत्रता संग्राम में धामी गोलीकांड, प्रजामंडल आंदोलन, सुकेत सत्याग्रह और पझौता आंदोलन का प्रमुख योगदान है.
उन्होंने कहा स्वाधीनता संग्राम से लेकर देश की सीमाओं की सुरक्षा तक प्रदेश के जवानों ने वीरता का परचम लहराया है. यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है कि देश का पहला परमवीर चक्र प्रदेश के वीर सपूत मेजर सोमनाथ शर्मा को प्राप्त हुआ था. कैप्टन विक्रम बत्तरा, कर्नल डीएस थापा तथा सूबेदार मेजर संजय कुमार को भी उल्लेखनीय पराक्रम के लिए परमवीर चक्र से नवाजा गया.
विक्रमादित्य सिंह ने कहा सरकार हिमाचल प्रदेश में आने वाले सालों में विकास की एक नई गाथा लिखेंगी. इसके लिए उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति के सहयोग को आवश्यक बताया. उन्होंने कहा कि इस साल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा ने तबाही का भयानक मंजर दिखाया. यह पिछले कई वर्षों में सबसे बड़ी आपदा है, जिसमें अनेक सड़कें, पुल, जल विद्युत और पेयजल आपूर्ति योजनाओं को भारी क्षति पहुंची. प्रदेश के पुनर्निमाण के लिए कड़ी मेहनत करके पुनः एक आदर्श राज्य के तौर पर स्थापित करेंगे.
विक्रमादित्य सिंह ने कहा बरसात के चलते राज्य में लगभग 8 हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है. प्रदेश में अकेले लोक निर्माण विभाग को 2 हजार करोड़ की क्षति पहुंची है. उन्होंने कहा प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से राहत एवं पुनर्वास कार्यों के लिए 2 हजार करोड़ रुपये की राशि तुरंत जारी करने का आग्रह किया. मंत्री ने कहा इतने बड़े पैमाने पर आपदाओं को प्रकृति का कहर नहीं कह सकते. इसके लिए कहीं न कहीं मानव जिम्मेवार है.
उन्होंने कहा नदी-नालों में डंपिंग, सड़क किनारे डंपिंग, सड़कों और नदी नालों के पास मकान बनाने की होड़, ये सभी कारण बाढ़ और भूस्खलन को आमंत्रित करने वाली हैं. उन्होंने कहा कि शासन प्रशासन और प्रत्येक व्यक्ति को बिगड़ते पर्यावरण और मौसमी परिवर्तन पर आत्मचिंतन करने की जरूरत है. पूर्व में जो कमियां रहीं हैं, उनसे हम सबक सिखेंगे और प्रदेश को विकास के मार्ग पर आगे ले जाने का काम करेंगे.
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