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राजगढ़ के जालग में लोक उत्सव का आयोजन, विभिन्न वेशभूषाओं में कलाकारों ने मचाया धमाल - लोक कलाकार विद्यानंद सरैक

कोरोना महामारी के कारण विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियां भी थम गई थी. लंबे समय से कलाकार घर में कैद होकर परेशान हो गए थे, लेकिन कोरोना के मामले कम होने के साथ ही एक बार फिर से धीरे-धीरे ही सही लोक उत्सव के साथ विभिन्न कार्यक्रमों की शुरुआत होने लगी है. इसी कड़ी में राजगढ़ के जागल गांव में हाब्बी मान सिंह कला केंद्र में लोक उत्सव का आयोजन किया गया. लोक उत्सव के शुभारंभ समारोह के मुख्य अतिथि विद्यानंद सरैक ने संबोधन में कहा कि आज के समय में जब युवा पीढ़ी का रुझान पाश्चात्य संस्कृति की ओर बढ़ रहा है और हमारे पुराने लोकनाट्य विलुप्त होते जा रहे हैं.

folk festival organized in Jalag
राजगढ़ के जालग में लोक उत्सव.
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Published : Sep 29, 2021, 3:18 PM IST

नाहन: सिरमौर जिले के राजगढ़ के जालग गांव के हाब्बी मान सिंह कला केंद्र में लोक उत्सव का आयोजन किया गया. कोरोना महामारी की पाबंदियों के कारण इस लोक उत्सव का आयोजन कोरोना नियमों का पालन करते हुए ऑनलाइन किया गया. इस ऑनलाइन उत्सव का शुभारंभ राष्ट्रपति के हाथों से सम्मानित साहित्यकार एवं लोक कलाकार विद्यानंद सरैक (Folk artist Vidyanand Saraik) ने किया.

दरअसल लोक उत्सव के प्रथम दिवस में लोकनाट्य पांजो भाई रा झाझड़ा का मंचन किया गया, जिसमें नाटी और लघु नाटिका के माध्यम से लोगों को इस प्राचीन संस्कृति से अवगत कराया गया. इसमें कार्यक्रम के मुख्य पात्रों में राम लाल वर्मा, गोपाल हाब्बी, संदीपए अमीचंद, चमन आदि व सरोज अनुजा, सुनपति, लक्ष्मी आदि महिला कलाकारों ने भाग लिया. उत्सव में सुप्रसिद्ध लोक गायक धर्मपाल चौहान, राम वर्मा, सोना व लक्ष्मी, गोपाल, कृष्ण, मुकेश, रमेश अमन आदि कलाकारों ने लोक उत्सव में लोकनाटय के गीतों के गायन व वादन कर अपनी कला कौशल से लोकोत्सव में चार चांद लगा दिए.

वीडियो.

लोक उत्सव के शुभारंभ समारोह के मुख्य अतिथि विद्यानंद सरैक ने संबोधन में कहा कि आज के समय में जब युवा पीढ़ी का रुझान पाश्चात्य संस्कृति की ओर बढ़ रहा है और हमारे पुराने लोकनाट्य विलुप्त होते जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में हेरिटेज सोसाइटी द्वारा लोक उत्सव का आयोजन कर और उसका ऑनलाइन प्रसारण कर हमारे लोकनाट्य स्वांगों का आम जनमानस के लिए प्रदर्शन करना एक सराहनीय कार्य है.

विद्यानंद सरैक ने कहा कि आज कोरोना महामारी के चलते लोक कलाकार काफी अरसे से अपने घरों में ही हैं और उन्हें अपनी प्रस्तुति देने का अवसर बहुत कम मिल रहा है. ऐसी स्थिति में इस लोक उत्सव का आयोजन करना एक बहुत अच्छा प्रयास है. उन्होंने क्षेत्र के लोक कलाकार अपने संबोधन में हेरिटेज सोसाइटी को इस लोक उत्सव के आयोजन के लिए बधाई दी और कलाकारों से आग्रह किया कि अपने पारंपरिक लोकगीतों लोक नृत्यों व लोकनाट्यों की ओर अपने रुचि बढ़ाएं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक लोक कलाकार होने के नाते इन विधाओं के संरक्षण के लिए अपना योगदान देते रहें.

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नाहन: सिरमौर जिले के राजगढ़ के जालग गांव के हाब्बी मान सिंह कला केंद्र में लोक उत्सव का आयोजन किया गया. कोरोना महामारी की पाबंदियों के कारण इस लोक उत्सव का आयोजन कोरोना नियमों का पालन करते हुए ऑनलाइन किया गया. इस ऑनलाइन उत्सव का शुभारंभ राष्ट्रपति के हाथों से सम्मानित साहित्यकार एवं लोक कलाकार विद्यानंद सरैक (Folk artist Vidyanand Saraik) ने किया.

दरअसल लोक उत्सव के प्रथम दिवस में लोकनाट्य पांजो भाई रा झाझड़ा का मंचन किया गया, जिसमें नाटी और लघु नाटिका के माध्यम से लोगों को इस प्राचीन संस्कृति से अवगत कराया गया. इसमें कार्यक्रम के मुख्य पात्रों में राम लाल वर्मा, गोपाल हाब्बी, संदीपए अमीचंद, चमन आदि व सरोज अनुजा, सुनपति, लक्ष्मी आदि महिला कलाकारों ने भाग लिया. उत्सव में सुप्रसिद्ध लोक गायक धर्मपाल चौहान, राम वर्मा, सोना व लक्ष्मी, गोपाल, कृष्ण, मुकेश, रमेश अमन आदि कलाकारों ने लोक उत्सव में लोकनाटय के गीतों के गायन व वादन कर अपनी कला कौशल से लोकोत्सव में चार चांद लगा दिए.

वीडियो.

लोक उत्सव के शुभारंभ समारोह के मुख्य अतिथि विद्यानंद सरैक ने संबोधन में कहा कि आज के समय में जब युवा पीढ़ी का रुझान पाश्चात्य संस्कृति की ओर बढ़ रहा है और हमारे पुराने लोकनाट्य विलुप्त होते जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में हेरिटेज सोसाइटी द्वारा लोक उत्सव का आयोजन कर और उसका ऑनलाइन प्रसारण कर हमारे लोकनाट्य स्वांगों का आम जनमानस के लिए प्रदर्शन करना एक सराहनीय कार्य है.

विद्यानंद सरैक ने कहा कि आज कोरोना महामारी के चलते लोक कलाकार काफी अरसे से अपने घरों में ही हैं और उन्हें अपनी प्रस्तुति देने का अवसर बहुत कम मिल रहा है. ऐसी स्थिति में इस लोक उत्सव का आयोजन करना एक बहुत अच्छा प्रयास है. उन्होंने क्षेत्र के लोक कलाकार अपने संबोधन में हेरिटेज सोसाइटी को इस लोक उत्सव के आयोजन के लिए बधाई दी और कलाकारों से आग्रह किया कि अपने पारंपरिक लोकगीतों लोक नृत्यों व लोकनाट्यों की ओर अपने रुचि बढ़ाएं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक लोक कलाकार होने के नाते इन विधाओं के संरक्षण के लिए अपना योगदान देते रहें.

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