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दूसरा 'वृंदावन' बना गुरु भूमि पांवटा साहिब, गौशाला में मनाई गई फूलों की होली - पांवटा साहिब में फूलों की होली

गौशाला में आए श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्हें यहां पर दूसरा वृंदावन जैसा महसूस हो रहा है. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति वृंदावन में जाकर होली नहीं मना सकते वह खुद यहां पर आकर भगवान के साथ होली खेलते हैं.

Holi of flowers
फूलों की होली
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Published : Mar 6, 2020, 9:58 PM IST

पांवटा साहिब: दिल से दिल मिलाने के खास त्‍यौहार होली को लेकर हर तरफ खुमारी छाने लगी है. गुरु की नगरी पांवटा साहिब के बहराल गांव में स्थित श्री दूधलेश्वर गौ सेवा एवं अध्यात्म उन्नति केंद्र में भक्तों ने फूलों की होली खेली.

एक तरफ जहां भक्तों ने होली के पावन अवसर पर फूलों की होली खेली. वहीं, रंगोली से मंदिर की सजावट की गई. ऐतिहासिक मंदिर में दूरदराज से आए लोगों का जमावड़ा लगा रहा. श्रद्धालुओं ने अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए भगवान से प्रार्थना की वहीं, फूलों की होली के बाद विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया.

वीडियो.

मंदिर के अध्यक्ष दीपक पुंडीर ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी यहां पर होली के पावन अवसर पर फूलों की होली का आयोजन किया गया और भक्तों से निवेदन किया गयाकि वह केवल फूलों की ही होली खेले. अध्यक्ष दीपक पुंडीर ने बताया कि पिछले कई वर्षों से मंदिर में असहाय गोवंश की सेवा की जा रही है.

गौशाला में आए श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्हें यहां पर दूसरा वृंदावन जैसा महसूस हो रहा है. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति वृंदावन में जाकर होली नहीं मना सकते वह खुद यहां पर आकर भगवान के साथ होली खेलते हैं.

ये भी पढ़ें: क्लासिकल व परंपरागत बजट नहीं, सभी वर्गों को मिली निराशा- राकेश सिंघा

पांवटा साहिब: दिल से दिल मिलाने के खास त्‍यौहार होली को लेकर हर तरफ खुमारी छाने लगी है. गुरु की नगरी पांवटा साहिब के बहराल गांव में स्थित श्री दूधलेश्वर गौ सेवा एवं अध्यात्म उन्नति केंद्र में भक्तों ने फूलों की होली खेली.

एक तरफ जहां भक्तों ने होली के पावन अवसर पर फूलों की होली खेली. वहीं, रंगोली से मंदिर की सजावट की गई. ऐतिहासिक मंदिर में दूरदराज से आए लोगों का जमावड़ा लगा रहा. श्रद्धालुओं ने अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए भगवान से प्रार्थना की वहीं, फूलों की होली के बाद विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया.

वीडियो.

मंदिर के अध्यक्ष दीपक पुंडीर ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी यहां पर होली के पावन अवसर पर फूलों की होली का आयोजन किया गया और भक्तों से निवेदन किया गयाकि वह केवल फूलों की ही होली खेले. अध्यक्ष दीपक पुंडीर ने बताया कि पिछले कई वर्षों से मंदिर में असहाय गोवंश की सेवा की जा रही है.

गौशाला में आए श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्हें यहां पर दूसरा वृंदावन जैसा महसूस हो रहा है. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति वृंदावन में जाकर होली नहीं मना सकते वह खुद यहां पर आकर भगवान के साथ होली खेलते हैं.

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