राजगढ़/सिरमौर: शिक्षा विभाग व सरकार की ओर से बोर्ड के निर्देशानुसार सोमवार से 10वीं व 12वीं की कक्षाएं नियमित रूप से शुरू करने के निर्देश जारी किए गए है. स्कूल खुले हुए पांच दिन हो चुके है, लेकिन जिला के ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति न के बराबर है.
पांच दिनों में विद्यार्थी नियमित रूप से स्कुल नहीं पहुंचे. कोरोना के चलते अभिभावक अपने बच्चों को नियमित कक्षाएं लगाने के लिए स्कूल भेजने से घबरा रहे है. हालांकि कुछ अभिभावक बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर स्कूलों में पहुंचे, लेकिन कोरोना के कारण अभिभावक बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजने को लेकर असमंजस में हैं.
वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला नौहराधार के अध्यापक सुरेन्द्र पुंडीर का कहना है कि तीन दिनों में 10वीं का एक भी छात्र स्कुल नहीं पहुंचा है. उन्होंने कहा कि 10 फीसदी अभिभावक ने सहमति पत्र लिख कर दिया है. वहीं 12वीं के 15 फीसदी छात्र अपने अभिभावक पत्र लेकर स्कूल पहुंचे हैं.
वहीं, ग्रामीण क्षेत्र के दुर्गम स्कूलों में उपस्थिति जीरो रही है. हालांकि अध्यापक छात्रों को सभी विषयों का ऑनलाइन होमवर्क भेज रहे हैं. छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए वह शिक्षकों की मदद लेकर अपनी शंकाए दूर भी करते हैं. वहीं जिन स्कूलों में कोई भी छात्र स्कूल नहीं पहुंचा है उन स्कूलों में शिक्षकों ने छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई करवाई.
शिक्षकों ने छात्रों को कहा कि किसी विषय के प्रश्न में शंका को लेकर वह सहमति पत्र के साथ स्कूल आ सकते हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने में पूरी तरह सहमत नहीं है. कई बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए कई किलोमीटर बस में सफर करना पड़ता है.
अभिभावक का कहना है कि स्कूल में बच्चों की सुरक्षा स्कूल प्रबंधक की है, लेकिन कैंपस से बाहर घर पहुंचने व स्कूल पहुंचने तक की सुरक्षा सरकार व विभाग की होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार व विभाग यह जिम्मेदारी नहीं ले रहा है, जिसके चलते वह बच्चों को सहमती पत्र नहीं दे रहे हैं.