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कोरोना संकट में फ्रंट लाइन पर काम कर रहे कोरोना वॉरियर्स, बोले: परिवार के सपोर्ट से हौसले बुलंद

पांवटा साहिब में डॉक्टर, आशा वर्कर और एंबुलेंस कर्मचारी दिन रात अपनी सेवाओं में जुटे हुए हैं. इसी की वजह से यहां कोरोना संक्रमितों का ग्राफ ज्यादा नहीं बढ़ पाया.

पांवटा साहिब अस्पताल
पांवटा साहिब अस्पताल
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Published : Aug 9, 2020, 2:37 PM IST

पांवटा साहिब: चाइना के वुहान से पैदा हुए कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. दिन-ब-दिन कोरोना वायरस के बढ़ रहे मामलों को देखते हुए देश में लॉकडाउन लगाया गया था. लेकिन अब पूरे देश में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई. इन सब के बीच डॉक्टर्स, आशा वर्कर और एंबुलेंस कर्मचारी अहम भूमिकाओं में हैं.

उपमंडल पांवटा साहिब की बात करें तो यहां डॉक्टर, आशा वर्कर और एंबुलेंस कर्मचारी दिन रात अपनी सेवाओं में जुटे हुए हैं जिसकी वजह से कोरोना संक्रमित का ग्राफ यहां ज्यादा नहीं बढ़ पाया. 23 वर्षीय आशा वर्कर पूनम भी कोरोना योद्धा की भूमिका मे काम कर रही हैं जिन्होंने पहले काम को तवज्जो दी और फिर परिवार को.

पूनम में ना केवल कोरोना पॉजिटिव लोगों को अस्पताल तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया बल्कि उनके ठीक हो जाने के बाद उन्हें वापस घर भी पहुंचाया. कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति को छूने से जहां अपने परिवार के लोग भी कतराते हैं, वहां इस 23 वर्षीय महिला ने कोराना पॉजिटिव मरीजों का पूरा खयाल रखा.

108 कर्मचारी लोगों को दे रहे सुविधाएं

108 कर्मचारियों की बात करें तो वे भी दिन हो या रात, पीड़ित लोगों को अस्पताल पहुंचा रहे हैं और कोरोना योद्धाओं की भूमिका में काम करे रहे हैं. अपने परिवार से दूर रहकर 108 कर्मचारी कोरोना संक्रमण व्यक्ति को उनके घर से कॉविड सेंटर तक ला रहे हैं. समय-समय पर लोगों को हर तरह की सुविधा देने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.

परिवार के सपोर्ट से हौसले बुलंद

कोरोना काल में सबसे ज्यादा खतरा फ्रंट लाइन पर काम कर रहे डॉक्टर्स को होता है. पांवटा में कोविट टेस्ट करने वाले डॉ. हिमांशु ने बताया कि देश में कई डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव हुए हैं जिसके चलते परिवार के अंदर दहशत का माहौल बन जाता है. हालांकि उनके परिवार ने उन्हें पूरा सपोर्ट किया है और उन्होंने भी अपने और परिवार की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हुए सावधानियां बरती हैं. डॉ. हिमांशु ने बताया कि परिवार के सपोर्ट से ही हमारे हौसले बुलंद थे और पेशेंट के लिए हर एक मुमकिन कोशिश करने के लिए हम फ्रंट लाइन पर आगे रहे.

कोरोना योद्धाओं की भूमिका

पिछले 5 महीने से फ्रंट लाइन पर काम कर रहे डॉक्टर्स, आशा वर्कर और 108 कर्मचारी कोरोना योद्धा से कम नहीं है. ये सब अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना संक्रमित व्यक्ति की सहायता में जुटे हुए हैं. देश में कई जगह पर डॉक्टर भी कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं, बावजूद इसके डॉक्टरों की टीम बिना हिम्मत हारे अपने काम में जुटी हुई है.

ये भी पढ़ें - कोरोना से जंग! सिरमौर में 10 माह की बच्ची सहित 30 लोगों ने दी कोरोना को मात

पांवटा साहिब: चाइना के वुहान से पैदा हुए कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. दिन-ब-दिन कोरोना वायरस के बढ़ रहे मामलों को देखते हुए देश में लॉकडाउन लगाया गया था. लेकिन अब पूरे देश में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई. इन सब के बीच डॉक्टर्स, आशा वर्कर और एंबुलेंस कर्मचारी अहम भूमिकाओं में हैं.

उपमंडल पांवटा साहिब की बात करें तो यहां डॉक्टर, आशा वर्कर और एंबुलेंस कर्मचारी दिन रात अपनी सेवाओं में जुटे हुए हैं जिसकी वजह से कोरोना संक्रमित का ग्राफ यहां ज्यादा नहीं बढ़ पाया. 23 वर्षीय आशा वर्कर पूनम भी कोरोना योद्धा की भूमिका मे काम कर रही हैं जिन्होंने पहले काम को तवज्जो दी और फिर परिवार को.

पूनम में ना केवल कोरोना पॉजिटिव लोगों को अस्पताल तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया बल्कि उनके ठीक हो जाने के बाद उन्हें वापस घर भी पहुंचाया. कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति को छूने से जहां अपने परिवार के लोग भी कतराते हैं, वहां इस 23 वर्षीय महिला ने कोराना पॉजिटिव मरीजों का पूरा खयाल रखा.

108 कर्मचारी लोगों को दे रहे सुविधाएं

108 कर्मचारियों की बात करें तो वे भी दिन हो या रात, पीड़ित लोगों को अस्पताल पहुंचा रहे हैं और कोरोना योद्धाओं की भूमिका में काम करे रहे हैं. अपने परिवार से दूर रहकर 108 कर्मचारी कोरोना संक्रमण व्यक्ति को उनके घर से कॉविड सेंटर तक ला रहे हैं. समय-समय पर लोगों को हर तरह की सुविधा देने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.

परिवार के सपोर्ट से हौसले बुलंद

कोरोना काल में सबसे ज्यादा खतरा फ्रंट लाइन पर काम कर रहे डॉक्टर्स को होता है. पांवटा में कोविट टेस्ट करने वाले डॉ. हिमांशु ने बताया कि देश में कई डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव हुए हैं जिसके चलते परिवार के अंदर दहशत का माहौल बन जाता है. हालांकि उनके परिवार ने उन्हें पूरा सपोर्ट किया है और उन्होंने भी अपने और परिवार की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हुए सावधानियां बरती हैं. डॉ. हिमांशु ने बताया कि परिवार के सपोर्ट से ही हमारे हौसले बुलंद थे और पेशेंट के लिए हर एक मुमकिन कोशिश करने के लिए हम फ्रंट लाइन पर आगे रहे.

कोरोना योद्धाओं की भूमिका

पिछले 5 महीने से फ्रंट लाइन पर काम कर रहे डॉक्टर्स, आशा वर्कर और 108 कर्मचारी कोरोना योद्धा से कम नहीं है. ये सब अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना संक्रमित व्यक्ति की सहायता में जुटे हुए हैं. देश में कई जगह पर डॉक्टर भी कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं, बावजूद इसके डॉक्टरों की टीम बिना हिम्मत हारे अपने काम में जुटी हुई है.

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