शिमला: 29 सितंबर को हर साल विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है. इस दिन मनाने का उद्देश्य लोगों को हार्ट बीमारी के प्रति जागरुक करना है, लेकिन लाइफस्टाइल चेंज और अनहेल्दी खाने की वजह से हार्ट मरीजों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है. वहीं, अब कम वाले युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. हार्ट डिजीज को लेकर जागरुकता नहीं होने की वजह से कई बार लोगों की जान भी चली जाती है.
हिमाचल में युवा को दिल हो रहा कमजोर: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी युवाओं का दिल कमजोर होता जा रहा है. जहां पहले हार्ट अटैक की समस्या 50 से अधिक उम्र वाले लोगों को होती थी. वहीं, अब यह बीमारी युवाओं को भी होने लगी है. प्रदेश के अस्पताल में आने वाले एक तिहाई हार्ट मरीज युवा हैं, जिनकी आयु 40 साल से कम है. ऐसे में यह एक चिंता का विषय बनता जा रहा है.
हिमाचल में 100 हार्ट मरीज में 33 युवा शामिल: इसको लेकर हमने आईजीएमसी में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अरविंद कंदोरिया से बात की, जिसमें उन्होंने बताया कि उनके ओपीडी में आने वाले 100 हार्ट मरीजो में 33 मरीज युवा होते हैं. जिनकी आयु 40 साल से कम है. इसके साथ ही हार्ट फेलियर के भी मरीज सामने आ रहे हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हिमाचल वासियों का दिल कमजोर होता जा रहा है. प्रदेश में खासकर युवाओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़ने लगे हैं.
नाचते-नाचते हार्ट अटैक से मौत की वजह: हिमाचल के जिला सिरमौर में बीते दिनों एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक युवक की शादी समारोह में नाचते-नाचते मौत हो गई थी. वहीं कई जगह जिम में युवाओं की एक्सरसाइज के दौरान मौत की घटना सामने आई है. इसका मुख्य कारण चिकित्सक आनुवांशिक मानते हैं. डॉक्टर ने बताया कि कई बार बिना लक्षण के मरीज की मौत हो जाती है, उसका कारण वंशानुगत भी होता है. ऐसे में हार्ट बीट बढ़ जाती है और जब नियंत्रित नहीं रहती तो अटैक पड़ जाता है. वही जिम में भी ऐसा ही होता है. यहां हार्ट बीट बढ़ने से दिल अनियंत्रित हो जाता है तो, व्यक्ति को हार्ट अटैक आ जाता है.
हार्ट अटैक के मुख्य कारण: डॉक्टर अरविंद कंदोरिया ने हार्ट अटैक के तीन मुख्य कारण बताए हैं. उन्होंने पहला कारण बताया है कि 30 प्लस लोग, जिसमें 40-50 साल के लोगों में जो अचानक अटैक पड़ रहा है. उनमें हार्ट अटैक का मुख्य कारण आर्टिरीज में ब्लॉकेज होता है. जिससे हॉट तक ब्लड नहीं पहुंच पाता और हार्ट बीट बढ़ जाने से वह नियंत्रण में नहीं रहता, जिससे दिल का दौरा पड़ता है. ऐसे में अगर सही समय पर मरीज को अस्पताल नहीं पहुंचाया जाए तो उसकी मौत हो जाती है.
हार्ट अटैक के पीछे आनुवाशंकि कारण: वहीं, हार्ट अटैक का दूसरा कारण अनुवांशिक होता है. इसमें युवाओं में हार्ट की बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन अचानक उनकी हार्ट बीट बढ़ जाती है. जिससे हार्ट में आंतरिक अनियंत्रित होने से व्यक्ति की मौत हो जाती है. वहीं, तीसरा मुख्य कारण मसल्स के थिकनस का बढ़ना हार्ट अटैक का कारण बन जाता है. इसमें व्यक्ति की हार्ट बीट बढ़ जाती है, बीपी डाउन जाने लगता है और यदि समय पर इलाज न मिले तो व्यक्ति की मौत हो जाती है. ऐसा ज्यादातर मिडल एज ग्रुप की मरीजों में समस्या देखने को मिल रही है. डॉक्टर ने बताया है कि हार्ट अटैक के और भी कई कारण हो सकते हैं. हार्ट अटैक पड़ने पर मरीज को शीघ्र अस्पताल ले जाना चाहिए और इलाज करवाना चाहिए.
ओपीडी में 60-70 फीसदी हार्ट मरीज: आईजीएमसी शिमला के कार्डियोलॉजी विभाग में आने वाले प्रतिदिन मरीजों में 60 से 70 फीसदी हार्ट मरीज होते हैं. जबकि 15 फीसदी मरीज हार्ट डिजीज के होते हैं. वहीं, कई बार हार्ट फेलियर के भी मरीज आते हैं, जिनका इलाज किया जाता है.
हार्ट अटैक के लक्षण: हार्ट अटैक के लक्षण में सीने में दर्द होना, बाजू में दर्द होना, ठंड लगने के साथ पसीना आना, कई बार उल्टी और कमजोरी की समस्या, खड़े होने पर आंखों के सामने अंधेरा छा जाना हार्ट अटैक के लक्षण हैं.
हार्ट अटैक आने पर क्या करें: जब भी किसी को हार्ट अटैक के लक्षण दिखे या उसे अटैक पड़े तो मरीज को जल्दी से अस्पताल ले जाना चाहिए. डॉक्टर पीसी नेगी ने बताया कि लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि यह गैस्ट्रिक, मस्कुलर या सर्वाइकल पेन है. क्योंकि ऐसा करने में समय बर्बाद होगा और मरीज की मौत भी हो सकती है. इसलिए मरीज को शीघ्र अस्पताल पहुंचाना चाहिए. जिससे समय पर मरीज को समय पर इलाज मिल सके और उसकी जान बच जाए.
वहीं, डॉक्टरों ने कहा युवाओं में नशे का चलन भी हार्ट अटैक का मुख्य कारण होता है. आजकल के युवा नशे के लत में फंसते जा रहे हैं. युवाओं में हार्ट अटैक का एक मुख्य कारण नशा भी है. आईजीएमसी में कई ऐसे मरीज आते हैं, जिन्हें हार्ट अटैक हुआ और वह नशे का सेवन करते थे. डॉ. अरविंद ने युवाओं को नशे से दूर रहने और अच्छा जीवन जीने का संदेश दिया है.
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