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हिमाचल दौरे पर विश्व बैंक की टीम, राज्य सरकार ने ग्रीन-ईवी-मोबिलिटी प्रोग्राम के लिए मांगी मदद - himachal pradesh news

विश्व बैंक की टीम दो दिवसीय दौरे पर हिमाचल आई है. सोमवार को शिमला में राज्य सचिवालय में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की अगुवाई में विश्व बैंक की टीम के साथ बैठक हुई. इस दौरान हिमाचल प्रदेश में रेजिलिएंट पर्वतीय समुदायों में नए कार्यक्रमों की संभावनाओं पर चर्चा की गई. (World Bank team on Himachal tour) (Prabodh Saxena meeting with World Bank team)

World Bank team on Himachal tour
World Bank team on Himachal tour
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Published : Feb 6, 2023, 9:29 PM IST

शिमला: पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश में विश्व बैंक की सहायता से कई परियोजनाएं चल रही हैं. विश्व बैंक की टीम दो दिवसीय दौरे पर हिमाचल आई. इस दौरान शिमला में राज्य सरकार के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने टीम के साथ एक बैठक में हिमाचल में चल रहे प्रोजेक्ट्स की जानकारी के साथ अन्य परियोजनाओं के लिए भी मदद की मांग उठाई. सोमवार को शिमला में राज्य सचिवालय में मुख्य सचिव की अगुवाई में हुई बैठक में विश्व बैंक की टीम के साथ हिमाचल प्रदेश में रेजिलिएंट पर्वतीय समुदायों में नए कार्यक्रमों की संभावनाओं पर चर्चा की गई.

इसके अलावा ऐसी परियोजनाओं के बारे में भी टीम को जानकारी दी गई, जिनके लिए विश्व बैंक से मदद की जरूरत है. इन योजनाओं में राज्य में कार्बन न्यूट्रैलिटी हासिल करने के लिए ग्रीन-ईवी-मोबिलिटी प्रोग्राम के लिए समर्थन शामिल है. ग्रीन इंडिया मिशन एप्रोच के तहत हिमाचल के लिए हाइड्रो सस्टेनेबिलिटी, सस्टेनेबल फॉरेस्ट्री और नेचुरल कैपिटल मैनेजमेंट के लिए सस्टेनेबल कैचमेंट और पर्यावरण प्रबंधन के लिए कार्यप्रणाली विकसित करने के लिए सभी 12 जिला और क्षेत्रीय परियोजनाओं में शहरों में आवागमन सुचारू बनाना शामिल है.

मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने कहा कि एक इकाई के रूप में नदी बेसिन दृष्टिकोण के साथ विकासात्मक योजनाओं और रणनीतियों के सामंजस्य के लिए और भू-उपयोग योजना, स्थानिक योजना पर काम करने, वन जलग्रहण, जल संरक्षण, आपदा प्रबंधन और कृषि विकास योजनाओं को लैंडस्केप में विकसित करने की जरूरत है. मुख्य सचिव ने कहा कि एकीकृत परिदृश्य पारिस्थितिकी तंत्र को अपनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रीय नीतियों को बढ़ाया जाएगा. मीटिंग में शहरी व ग्रामीण इलाकों में ठोस कचरे के सुरक्षित एवं सुचारू प्रबंध के माध्यम से नेशनल रिसोर्स प्रबंधन (एनआरएम) के समर्थन के लिए भी चर्चा की गई. इसके अलावा (एमएसडब्ल्यू डंपिंग साइट विकसित करने, राज्य में प्लास्टिक निष्पादन के लिए एमआरएफ स्थापित करने, खतरनाक कचरे के लिए सामान्य टीएसडीएफ और प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव कम करने, मीथेन गैस के प्रभाव तथा भूजल प्रदूषण आदि को कम करने पर भी चर्चा की गई.

इस अवसर पर पर्यावरण विभाग के निदेशक ललित जैन ने राज्य में हरित विकास के लिए विभिन्न इनीशिएटिव के बारे में प्रेजेंटेशन दी. वल्र्ड बैंक की टीम में प्रैक्टिस मैनेजर (जल) सुमिला गुल्यानी, कार्यक्रम प्रमुख (सतत विकास) नतालिया कुलिचेंको, वरिष्ठ पर्यावरण विशेषज्ञ पीयूष डोगरा, प्रमुख आपदा जोखिम प्रबंधन विशेषज्ञ दीपक सिंह, प्रमुख संचालन अधिकारी आइपेक अलकन, वरिष्ठ कृषि व्यवसाय विशेषज्ञ आदर्श कुमार, टीम प्रमुख कारमेन यी बतिस्ता और मैथ्यूज मुलक्कल के साथ रामानुजम शामिल थे.

ये भी पढ़ें: सरकार के दबाव में बातचीत को मजबूर हुआ अडानी समूह, जल्द निकलेगा सीमेंट विवाद का हल- सीएम सुक्खू

शिमला: पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश में विश्व बैंक की सहायता से कई परियोजनाएं चल रही हैं. विश्व बैंक की टीम दो दिवसीय दौरे पर हिमाचल आई. इस दौरान शिमला में राज्य सरकार के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने टीम के साथ एक बैठक में हिमाचल में चल रहे प्रोजेक्ट्स की जानकारी के साथ अन्य परियोजनाओं के लिए भी मदद की मांग उठाई. सोमवार को शिमला में राज्य सचिवालय में मुख्य सचिव की अगुवाई में हुई बैठक में विश्व बैंक की टीम के साथ हिमाचल प्रदेश में रेजिलिएंट पर्वतीय समुदायों में नए कार्यक्रमों की संभावनाओं पर चर्चा की गई.

इसके अलावा ऐसी परियोजनाओं के बारे में भी टीम को जानकारी दी गई, जिनके लिए विश्व बैंक से मदद की जरूरत है. इन योजनाओं में राज्य में कार्बन न्यूट्रैलिटी हासिल करने के लिए ग्रीन-ईवी-मोबिलिटी प्रोग्राम के लिए समर्थन शामिल है. ग्रीन इंडिया मिशन एप्रोच के तहत हिमाचल के लिए हाइड्रो सस्टेनेबिलिटी, सस्टेनेबल फॉरेस्ट्री और नेचुरल कैपिटल मैनेजमेंट के लिए सस्टेनेबल कैचमेंट और पर्यावरण प्रबंधन के लिए कार्यप्रणाली विकसित करने के लिए सभी 12 जिला और क्षेत्रीय परियोजनाओं में शहरों में आवागमन सुचारू बनाना शामिल है.

मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने कहा कि एक इकाई के रूप में नदी बेसिन दृष्टिकोण के साथ विकासात्मक योजनाओं और रणनीतियों के सामंजस्य के लिए और भू-उपयोग योजना, स्थानिक योजना पर काम करने, वन जलग्रहण, जल संरक्षण, आपदा प्रबंधन और कृषि विकास योजनाओं को लैंडस्केप में विकसित करने की जरूरत है. मुख्य सचिव ने कहा कि एकीकृत परिदृश्य पारिस्थितिकी तंत्र को अपनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रीय नीतियों को बढ़ाया जाएगा. मीटिंग में शहरी व ग्रामीण इलाकों में ठोस कचरे के सुरक्षित एवं सुचारू प्रबंध के माध्यम से नेशनल रिसोर्स प्रबंधन (एनआरएम) के समर्थन के लिए भी चर्चा की गई. इसके अलावा (एमएसडब्ल्यू डंपिंग साइट विकसित करने, राज्य में प्लास्टिक निष्पादन के लिए एमआरएफ स्थापित करने, खतरनाक कचरे के लिए सामान्य टीएसडीएफ और प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव कम करने, मीथेन गैस के प्रभाव तथा भूजल प्रदूषण आदि को कम करने पर भी चर्चा की गई.

इस अवसर पर पर्यावरण विभाग के निदेशक ललित जैन ने राज्य में हरित विकास के लिए विभिन्न इनीशिएटिव के बारे में प्रेजेंटेशन दी. वल्र्ड बैंक की टीम में प्रैक्टिस मैनेजर (जल) सुमिला गुल्यानी, कार्यक्रम प्रमुख (सतत विकास) नतालिया कुलिचेंको, वरिष्ठ पर्यावरण विशेषज्ञ पीयूष डोगरा, प्रमुख आपदा जोखिम प्रबंधन विशेषज्ञ दीपक सिंह, प्रमुख संचालन अधिकारी आइपेक अलकन, वरिष्ठ कृषि व्यवसाय विशेषज्ञ आदर्श कुमार, टीम प्रमुख कारमेन यी बतिस्ता और मैथ्यूज मुलक्कल के साथ रामानुजम शामिल थे.

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