शिमला: आज विश्व एड्स दिवस मनाया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश में भी एड्स के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. एड्स पर काबू पाने के लिए प्रदेश सरकार व एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. जिससे जागरूक होकर हिमाचल के लोग जांच करवाने के लिए अब आगे आ रहे हैं.
हिमाचल में एड्स के 5534 मरीज एड्स कंट्रोल सोसाइटी शिमला के अधिकारी के मुताबिक हिमाचल में मौजूदा समय में 5534 के करीब लोग एचआईवी पॉजिटिव हैं. इनमें पुरुष व महिला दोनों शामिल हैं. हिमाचल में मरीजों की संख्या बीते साल 5132 थी. प्रदेश सरकार व एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है, जिसके जरिए लोगों को एड्स के प्रति जागरूक किया जाता है. हिमाचल में सैंपलिंग बढ़ने से एचआईवी से ग्रसित मरीजों की संख्या भी बढ़ी है.
IGMC में एड्स के 996 मरीज: आईजीएमसी अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर डॉ. निधि शर्मा के मुताबिक एआरटी सेंटर में मौजूदा समय में कुल 996 मरीजों का इलाज चल रहा है. इनमें 591 पुरुष, 380 महिलाएं, 11 बच्चे और 12 छोटी बच्चियां शामिल हैं. साल 2022 में मरीजों की संख्या 930 थी. यानी बीते वर्ष के मुकाबले यहां एड्स से ग्रसित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है. आईजीएमसी अस्पताल में प्रतिदिन 80 के करीब सैंपल लिए जाते हैं. जिसमें से एक माह में करीब 5 से 7 मरीज एचआईवी संक्रमित पाए जाते हैं.
किसी भी आयु वर्ग में एड्स: डॉ. निधि शर्मा बताती हैं कि एड्स किसी भी आयु वर्ग के लोगों को हो सकता है. अगर किसी बच्चे की मां एड्स से पीड़ित है और वह समय पर इलाज नहीं करवाती है तो बच्चे में एड्स होने की संभावना ज्यादा रहती है. इसीलिए डॉक्टरों द्वारा हमेशा ये तर्क दिया जाता है कि जैसे ही महिलाओं को एड्स के लक्षण दिखाई दें, वे तुरंत अपना चेकअप करवाएं. एड्स कंट्रोल सोसाइटी शिमला के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में बीते 3 सालों में एड्स संक्रमित गर्भवती महिलाओं के बच्चे एड्स से संक्रमित पैदा नहीं हुए हैं.
एड्स को लेकर भ्रांतियां: डॉ. निधि शर्मा का कहना है कि कुछ लोगों में अभी भी एड्स को लेकर कई भ्रांतियां हैं. यह रोग छूने, आपसी मेलजोल, मच्छरों के काटने, साथ रहने, खाना खाने या कपड़े पहनने और शौचालय के प्रयोग से नहीं होता है. जानकारी के अनुसार हिमाचल में साल 1986 में एड्स का पहला मामला हमीरपुर जिले में सामने आया था. इसके बाद धीरे-धीरे प्रदेश के अन्य हिस्सों में एड्स फैलता चला गया. जिसके बाद ही एड्स कंट्रोल सोसाइटी का गठन किया गया.
एड्स के कारण: डॉ. निधि शर्मा बताती हैं कि एड्स फैलने के कई कारण हैं. हिमाचल प्रदेश में बीते कुछ सालों से बड़ी संख्या में युवा नशे की चपेट में आ रहे हैं. जिसके लिए अक्सर युवा वर्ग सिरिंज के इस्तेमाल से कई तरह के नशे का प्रयोग करता है. अक्सर देखा गया है कि नशे के आदी ये युवा मेडिकल बेस्ट से सिरिंज लेकर भी नशा करते हैं, क्योंकि प्रदेश में मेडिकल शॉप में बिना डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के सिरिंज नहीं मिलती है. ऐसे में मेडिकल वेस्ट की इन सिरिंज के इस्तेमाल से एड्स का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा भी युवा नशे के लिए अपने समूह में एक ही सिरिंज का इस्तेमाल करते हैं जो एड्स को खुला न्योता देता है.
टैटू करवाते समय रखें ध्यान: डॉ. निधि शर्मा बताती हैं कि आज के दौर में युवाओं में टैटू करवाने का खासा क्रेज है, लेकिन टैटू करवाते समय कुछ सावधानियां बरतना बेहद जरूरी है. डॉ. निधि शर्मा ने बताया कि कई बार टैटू आर्टिस्ट टैटू बनाने के लिए हर बार नई सिरिंज की जगह एक ही सिरिंज का इस्तेमाल करते रहते हैं. ऐसे में अगर उस सिरिंज से पहले किसी एचआईवी संक्रमित का टैटू बनाया गया है और फिर उसी सिरिंज से किसी स्वस्थ व्यक्ति का टैटू बनाया जाता है तो उस स्वस्थ व्यक्ति के संक्रमित होने की संभावनाएं भी बहुत बढ़ जाती हैं.
फ्री इलाज-बस में निशुल्क सफर: स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी की ओर से शिमला, बिलासपुर, ऊना, मंडी, टांडा, हमीरपुर सहित अन्य जिलों में एआरटी सेंटर खोले गए हैं. जहां एड्स से पीड़ित लोगों को फ्री दवाइयां दी जाती हैं. इसके अलावा मरीज व उसके साथ एक परिजन को बस में निशुल्क सफर की सुविधा दी जाती है. इसके लिए उन्हें एक पास दिया जाता है. प्रदेश सरकार की ओर से एड्स के मरीजों को हर महीने 1500 रुपए दिए जाते हैं.
कैसे फैलता है एड्स? डॉ. निधि शर्मा ने बताया कि एचआईवी मानव की रोधक क्षमता को कमजोर करने वाला वायरस से होता है, जो कि शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली पर प्रहार करता है. इस सुरक्षा कवच के बिना एड्स के मरीज छूत के रोगों और कैंसर आदि से पीड़ित हो जाते हैं. एक संक्रमित व्यक्ति से एचआईवी संक्रमण रक्त के जरिए भी दूसरे व्यक्ति तक पहुंचता है. एक ही सिरिंज का इस्तेमाल एचआईवी संक्रमित और दूसरे स्वस्थ व्यक्ति पर प्रयोग करने से एड्स फैलता है. इसके अलावा एचआईवी संक्रमित मां से उसके बच्चे को जन्म या उसके आसपास के समय में एचआईवी संक्रमण पहुंचाता है. डॉ. निधि शर्मा ने बताया कि मौखिक संभोग से भी संक्रमण की संभावना रहती है, लेकिन असुरक्षित यौन संबंध बनाने से संक्रमण का खतरा कहीं अधिक बढ़ जाता है.
एड्स के मुख्य लक्षण: डॉ. निधि शर्मा के अनुसार एचआईवी संक्रमित व्यक्ति में कई तरह के लक्षण नजर आते हैं. जैसे कि ऊर्जा की कमी, वजन घटना, बार-बार बुखार और पसीना आना. इसके अलावा लंबे समय तक या फिर बार-बार फंगल की छूत का होना, देर तक डायरिया का रहना, कुछ समय के लिए विस्मृति यानी की कुछ देर के लिए चीजें पूरी तरह से भूल जाना, गुर्दे में फोड़े का होना, ज्यादा समय खांसी का रहना और सांस का फूलना भी एड्स के मुख्य लक्षण है. डॉ. निधि शर्मा ने कहा कि अगर किसी भी व्यक्ति में ये लक्षण नजर आते हैं तो वह जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाकर अपनी जांच करवाएं.
एचआईवी संक्रमण से बचाव: डॉ. निधि शर्मा ने बताया कि कुछ सावधानियां बरतने से लोग एड्स जैसी लाइलाज बीमारी से बच सकते हैं. उन्हें कहा कि अपने साथी के साथ वफादार रहें और ज्यादा व्यक्तियों के साथ यौन संबंध ना बनाएं. सैलून में शेव करवाते समय नई ब्लेड का इस्तेमाल करें. अस्पताल में इंजेक्शन लगाते वक्त नई सिरिंज का प्रयोग करें. वहीं, अगर अस्पताल में खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है तो पहले यह सुनिश्चित कर लें कि खून दान करने वाला व्यक्ति किसी रोग से ग्रसित तो नहीं है.
एड्स में हिमाचल की स्थिति: आईजीएमसी शिमला में मेडिसिन विभाग में सहायक प्रोफेसर व विशेषज्ञ डॉ. विमल भारती ने बताया कि हिमाचल प्रदेश की स्थिति बाकी राज्यों से बेहतर है, क्योंकि विभाग द्वारा विभिन्न संस्थाओं के साथ मिल कर जागरुकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं. विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इन कार्यक्रमों में लोगों से अपील की जाती है कि वह स्वयं भी इस बीमारी से बचकर रहें और दूसरों को भी इस लाइलाज रोग से बचाएं. युवा वर्ग नशे से बचें और असुरक्षित सिरिंज का इस्तेमाल न करें. डॉ. विमल भारती ने बताया कि अस्पतालों में एड्स के मरीजों का इलाज निशुल्क होता है. यदि किसी व्यक्ति में एड्स के लक्षण नजर आते हैं तो वह शीघ्र डॉक्टर से अपना इलाज शुरू करवाएं.
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