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नारी शक्ति ने नशे के खिलाफ आवाज की बुलंद, महिलाओं के खिलाफ हिंसा का बताया सबसे बड़ा कारण - कामकाजी महिलाओं

जनवादी महिला समिति की जिला सचिव फालमा चौहान ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि नशा, महिलाओं के खिलाफ हिंसा का सबसे बड़ा कारण है. महिला शक्ति अन्य संगठनों के साथ मिल कर नशे के खिलाफ अभियान चलाएगी.

नारी शक्ति ने नशे के खिलाफ आवाज की बुलंद
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Published : Jul 28, 2019, 5:35 PM IST

शिमला: जनवादी महिला समिति की जिला सचिव फालमा चौहान ने रविवार को समिति की कुसुम्पटी इकाई के सम्मेलन का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि नशा महिलाओं के साथ हिंसा का सबसे बड़ा कारण रहा है. नशे के कारण न केवल घरेलू महिलाओं को हिंसा का सामना करना पड़ता है बल्कि इसके कारण घरों से बाहर निकलने वाली छात्राओं, कामकाजी महिलाओं को भी हिंसा का सामना करना पड़ रहा है.
फालमा चौहान ने कहा कि अन्य संगठनों के साथ मिल कर वे नशे के खिलाफ अभियान चलाएगी. उन्होंने कहा कि जनवादी महिला समिति देश में महिलाओं का सबसे बड़ा जन संगठन है. जिसकी सदस्यता 1 करोड़ 20 लाख से ऊपर पहुंच चुकी है. फालमा चौहान ने कहा कि बसों में मिलने वाला 33 प्रतिशत आरक्षण महिला समिति के संघर्षों का नतीजा है.

shimla
जनवादी महिला समिति की बैठक
इस मौके पर उपस्थित महिला समिति की जिला उपाध्यक्ष और कुसुम्पटी इकाई की प्रभारी डॉ. रीना सिंह ने कहा कि महिलाओं के साथ हिंसक घटनाएं पहले भी होती थीं, लेकिन सामने नहीं आती थीं, लेकिन अब महिलाएं अपने खिलाफ हिंसा की घटनाओं को खुलकर सामने लाने की हिम्मत कर रही हैं और सदियों से हो रहे भेदभावों के खिलाफ भी आवाज़ उठा रही हैं.
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नारी शक्ति ने नशे के खिलाफ आवाज की बुलंद

शिमला: जनवादी महिला समिति की जिला सचिव फालमा चौहान ने रविवार को समिति की कुसुम्पटी इकाई के सम्मेलन का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि नशा महिलाओं के साथ हिंसा का सबसे बड़ा कारण रहा है. नशे के कारण न केवल घरेलू महिलाओं को हिंसा का सामना करना पड़ता है बल्कि इसके कारण घरों से बाहर निकलने वाली छात्राओं, कामकाजी महिलाओं को भी हिंसा का सामना करना पड़ रहा है.
फालमा चौहान ने कहा कि अन्य संगठनों के साथ मिल कर वे नशे के खिलाफ अभियान चलाएगी. उन्होंने कहा कि जनवादी महिला समिति देश में महिलाओं का सबसे बड़ा जन संगठन है. जिसकी सदस्यता 1 करोड़ 20 लाख से ऊपर पहुंच चुकी है. फालमा चौहान ने कहा कि बसों में मिलने वाला 33 प्रतिशत आरक्षण महिला समिति के संघर्षों का नतीजा है.

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जनवादी महिला समिति की बैठक
इस मौके पर उपस्थित महिला समिति की जिला उपाध्यक्ष और कुसुम्पटी इकाई की प्रभारी डॉ. रीना सिंह ने कहा कि महिलाओं के साथ हिंसक घटनाएं पहले भी होती थीं, लेकिन सामने नहीं आती थीं, लेकिन अब महिलाएं अपने खिलाफ हिंसा की घटनाओं को खुलकर सामने लाने की हिम्मत कर रही हैं और सदियों से हो रहे भेदभावों के खिलाफ भी आवाज़ उठा रही हैं.
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नारी शक्ति ने नशे के खिलाफ आवाज की बुलंद
Intro:नशा महिला के खिलाफ हिंसा का सबसे बड़ा कारण
महिला शक्ति नशे के खिलाफ चलायेगी अभियान -फालमा
शिमला।
नशा महिला के खिलाफ हिंसा का सबसे बड़ा कारण है। नशे के कारण न केवल घरेलू महिलाओं को हिंसा का सामना करना पड़ता है बल्कि इसके कारण घरों से बाहर निकलने वाली छात्राओं, कामकाजी महिलाओं को भी हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। जनवादी महिला समिति की जिला सचिव फालमा चैहान ने रविवार को समिति की कसुम्पटी इकाई के सम्मेलन के उद्घाटन करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि महिला समिति नशे के खिलाफ अभियान चलाएगी और अन्य संगठनों के साथ भी इस मुद्दे को लेकर शामिल होगी। फालमा चैहान ने कहा कि जनवादी महिला समिति देश में महिलाओं का सबसे बड़ा जन संगठन है जिसकी सदस्यता 1 करोड़ 20 लाख से ऊपर है। फालमा चैहान ने कहा बसों में 33 प्रतिशत आरक्षण महिला समिति के संघर्षों का नतीजा है।

Body:महिला समिति की जिला उपाध्यक्ष और कसुम्पटी इकाई की प्रभारी डाॅ. रीना सिंह ने कहा कि ऐसी घटनाएं पहले भी होती थीं लेकिन सामने नहीं आती थीं। महिला के साथ दुव्र्यवहार या हिंसा की घटना के बावजूद उसे ही दोषी करार दिया जाता था या उसे ही बुरे परिणाम झेलने पड़ते थे। उन्होंने कहा कि अब सकारात्मक बात यह है कि महिलाएं अपने खिलाफ हिंसा की घटनाओं को खुलकर सामने लाने की हिम्मत कर रही हैं और सदियों से हो रहे भेदभावों के खिलाफ भी आवाज़ उठा रही हैं।

Conclusion:डाॅ. रीना ने कहा कि राजधानी के नज़दीक होने से शिमला के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों को इसका फायदा मिल सकता था खासतौर पर महिलाओं के लिए रोज़गार के साधन मुहैया हो सकते थे लेकिन यहां सरकारों और क्षेत्र की नुमाइंदगी करने वालों की सोच और नज़रिया कभी इस क्षेत्र के सुनियोजित विकास का नहीं रहा। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए संसद और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण के वादे के आधार पर सत्ता में आई सरकार अब जान बूझकर आरक्षण के विधेयक को दरकिनार कर रही है।
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