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सायरी गांव की बदली तस्वीर, कोरोना संकट में आत्म निर्भर बनी महिलाएं

शिमला के समीप एक गांव सायरी जो कि शिमला सोलन की सीमा पर स्थित है. वहां पर गांव की तस्वीर ही बदल गई है. ग्राम पंचायत के सहयोग से न युवा खेती करने लगे हैं बल्कि महिलाएं भी अपना स्वयं सहायता समूह बना कर खेती कर आत्म निर्भर बन गई है. इस सायरी गांव में जमीनी स्तर पर पड़ताल के लिए जब ईटीवी भारत ने गांव के प्रधान अंजू राठौर से बात की.

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Published : Jun 1, 2021, 5:05 PM IST

शिमला: कोरोना संकट में पूरा देश जूझ रहा है. जहां अधिकतर युवाओं की नौकरी से हाथ धोना पड़ा तो वहीं, महिलाओं को भी परेशानी से दो चार होना पड़ रहा है. बात यदि गांव की करें तो ग्रामीणों को भी अपने खेतीबाड़ी की समस्या से जूझना पड़ रहा है, लेकिन शिमला के समीप एक गांव सायरी जो कि शिमला सोलन की सीमा पर स्थित है. वहां पर गांव की तस्वीर ही बदल गई है.

ग्राम पंचायत के सहयोग से न युवा खेती करने लगे हैं बल्कि महिलाएं भी अपना स्वयं सहायता समूह बना कर खेती कर आत्म निर्भर बन गई है. इस सायरी गांव में जमीनी स्तर पर पड़ताल के लिए जब ईटीवी भारत ने गांव के प्रधान अंजू राठौर से बात की.

वीडियो रिपोर्ट.

उन्होंने बताया कि गांव में भी कोरोना के मामले सामने आए हैं, लेकिन उन्हें जागरूक कर इसे बढ़ने नहीं दिया गया और जो पॉजिटिव आए हैं उन्हें आइसोलेट करने की व्यवस्था कर मरीज को जल्दी ठीक करने के लिए प्रयास किए गए. उनका कहना था कि गांव में युवाओं की सहायता से सौनिटाइजेशन की जा रही है और महिलाओं की स्वयं सहायता से घर-घर जा कर जागरूक किया जा रहा है.

गांव में युवक मंडल बनाए हैं

प्रधान अंजू राठौर ने बताया कि कोरोना संकट में अधिकतर युवा बेरोजगार हो गए हैं. अधिकतर युवा नशे की लत पकड़ने लगते हैं ऐसे में युवाओं को नशे की लत से बचाने के लिए और उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए गांव में युवक मंडल बनाए हैं. जिसमें बैठक कर उनकी समस्या सुलझाने का प्रयास किया जाता है. उनका कहना था कि उन्हें खेती से जोड़ा गया और उन्हें उनके फसल दाम अच्छे मिले इसके लिए प्रयास किया जा रहा है.

वहीं, महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बना कर अन्य महिलाओं की समस्या का समाधान किया जाता है. उनका कहना था कि महिलाएं भी खेतों में सब्जी उगाकर आत्म निर्भर बन रही हैं.

गांव में आवारा पशुओं से मिली निजात

गांव में आवारा पशुओं की समस्या बनी रहती है जो हरी भरी फसल को बर्बाद कर देते हैं. ऐसे में प्रधान ने आवारा पशुओं को राजगढ़ गोशाला के भेज दिया. जिससे गांव में आवारा पशुओं की समस्या खत्म हो गई है. वहीं, जब गांव वालों से बात की गई तो उनका कहना था कि वो कोरोना संकट में नियमों का पालन करते हुए खेती कर रहे हैं.

वहीं, स्वयं सहायता समूह में काम करने वाली महिलाओं से बात की गई तो उनका था कि वो खेती कर आत्म निर्भर बन गई हैं, लेकिन अभी भी गांव से मंडी सीधे जाने के लिए लिंक रोड नहीं है. अगर ये लिंक रोड बन जाए तो उनकी फसल मंडी तक समय पर पहुंच जाएगी और दाम भी अच्छे मिलेंगे.

ये भी पढे़ं- केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक दिल्ली एम्स में भर्ती

शिमला: कोरोना संकट में पूरा देश जूझ रहा है. जहां अधिकतर युवाओं की नौकरी से हाथ धोना पड़ा तो वहीं, महिलाओं को भी परेशानी से दो चार होना पड़ रहा है. बात यदि गांव की करें तो ग्रामीणों को भी अपने खेतीबाड़ी की समस्या से जूझना पड़ रहा है, लेकिन शिमला के समीप एक गांव सायरी जो कि शिमला सोलन की सीमा पर स्थित है. वहां पर गांव की तस्वीर ही बदल गई है.

ग्राम पंचायत के सहयोग से न युवा खेती करने लगे हैं बल्कि महिलाएं भी अपना स्वयं सहायता समूह बना कर खेती कर आत्म निर्भर बन गई है. इस सायरी गांव में जमीनी स्तर पर पड़ताल के लिए जब ईटीवी भारत ने गांव के प्रधान अंजू राठौर से बात की.

वीडियो रिपोर्ट.

उन्होंने बताया कि गांव में भी कोरोना के मामले सामने आए हैं, लेकिन उन्हें जागरूक कर इसे बढ़ने नहीं दिया गया और जो पॉजिटिव आए हैं उन्हें आइसोलेट करने की व्यवस्था कर मरीज को जल्दी ठीक करने के लिए प्रयास किए गए. उनका कहना था कि गांव में युवाओं की सहायता से सौनिटाइजेशन की जा रही है और महिलाओं की स्वयं सहायता से घर-घर जा कर जागरूक किया जा रहा है.

गांव में युवक मंडल बनाए हैं

प्रधान अंजू राठौर ने बताया कि कोरोना संकट में अधिकतर युवा बेरोजगार हो गए हैं. अधिकतर युवा नशे की लत पकड़ने लगते हैं ऐसे में युवाओं को नशे की लत से बचाने के लिए और उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए गांव में युवक मंडल बनाए हैं. जिसमें बैठक कर उनकी समस्या सुलझाने का प्रयास किया जाता है. उनका कहना था कि उन्हें खेती से जोड़ा गया और उन्हें उनके फसल दाम अच्छे मिले इसके लिए प्रयास किया जा रहा है.

वहीं, महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बना कर अन्य महिलाओं की समस्या का समाधान किया जाता है. उनका कहना था कि महिलाएं भी खेतों में सब्जी उगाकर आत्म निर्भर बन रही हैं.

गांव में आवारा पशुओं से मिली निजात

गांव में आवारा पशुओं की समस्या बनी रहती है जो हरी भरी फसल को बर्बाद कर देते हैं. ऐसे में प्रधान ने आवारा पशुओं को राजगढ़ गोशाला के भेज दिया. जिससे गांव में आवारा पशुओं की समस्या खत्म हो गई है. वहीं, जब गांव वालों से बात की गई तो उनका कहना था कि वो कोरोना संकट में नियमों का पालन करते हुए खेती कर रहे हैं.

वहीं, स्वयं सहायता समूह में काम करने वाली महिलाओं से बात की गई तो उनका था कि वो खेती कर आत्म निर्भर बन गई हैं, लेकिन अभी भी गांव से मंडी सीधे जाने के लिए लिंक रोड नहीं है. अगर ये लिंक रोड बन जाए तो उनकी फसल मंडी तक समय पर पहुंच जाएगी और दाम भी अच्छे मिलेंगे.

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