शिमला: प्रदेश में नशे के कारोबार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. पुलिस की ओर से लगातार नशे के काले कारोबार पर कार्रवाई भी की जा रही है. खासकर युवा वर्ग नशे की चपेट में आ रहे हैं. शासन प्रशासन की ओर से जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है.
बुधवार को नशे की लत से परेशान दो युवक आईजीएमसी शिमला पहुंचे. युवकों ने डॉक्टरों से नशे की लत से छुटकारा दिलाने की गुहार लगाई. अस्पताल के डॉक्टर भी युवकों की मदद के लिए आगे आएं. डॉक्टरों ने युवकों की मनोचिकित्सक डॉक्टर से काउंसलिंग करवाकर, उन्हें नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया.
3 साल से नशा कर रहे थे युवक
युवकों ने बताया कि वे पिछले 3 साल से लगभग हर तरह का नशा कर रहे हैं. नशा कहां से मिलता है इस बात की कोई जानकारी नहीं है, लेकिन उनके दोस्त उसे नशा लाकर देते थे. युवकों ने कहा कि नशे को इस्तेमाल करने की जानकारी मिलने पर परिजनों ने उन्हें नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया और इसी के चलते वे आईजीएमसी शिमला पहुंचे हैं.
परिजनों ने नशा छोड़ने के लिए किया प्रेरित
युवक ने बताया कि शुरूआती दौर में नशा करके अच्छा महसूस होता था, लेकिन बाद में इसकी लत लग गई. कई बार चिट्टा खरीदने के लिए घर से चोरी भी की. वहीं, जानकारी मिलने पर परिजनों ने इसे छोड़ने के लिए प्रेरित किया और डॉक्टर की सलाह लेने की बात कही.
आईजीएमसी में आपातकाल विभाग के सीएमओ डॉ. कर्नल महेश ने नशे से पीड़ित युवकों को इसे छोड़ने के लिए प्रेरित किया. साथ ही मनोचिकित्सक डॉक्टर से काउंसलिंग करवाने की बात कही. डॉ. कर्नल महेश ने कहा कि उनके पास हर रोज 4 या 5 युवक ऐसे आते हैं, जो नशा करते हैं. इन युवकों को पुलिस पकड़ कर लाती है या वे ब्रॉड डेड आते हैं.
नशा छोड़ने के लिए युवाओं को सहयोग की जरूरत
डॉ. कर्नल महेश का कहना है कि नशे के आदि युवक शर्म के कारण सामने नहीं आते और नशे के जाल में फंसते जाते हैं. कई युवा नशा छोड़ना चाहते हैं, लेकिन उन्हें मौका और सहयोग नहीं मिल पाता है. उन्होंने डॉक्टरों से ऐसे युवकों की मदद और सहयोग की अपील की है.
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