शिमला: हिमाचल प्रदेश में हमीरपुर जिला के भोटा स्थित डेरा ब्यास यानी राधास्वामी सत्संग ब्यास के धर्मार्थ अस्पताल को लैंड सीलिंग एक्ट से छूट देने वाला बिल राजभवन भेज दिया गया है. हिमाचल सरकार ने इस बिल को राजभवन भेजा है. वहां राज्यपाल इसका अध्ययन करने के बाद आगे की प्रक्रिया अपनाएंगे. यदि राज्यपाल को लगा कि बिल में कोई स्पष्टीकरण चाहिए, तो वे इसे राज्य सरकार को वापस भी भेज सकते हैं. यदि राजभवन इस बिल के प्रारूप से संतुष्ट हुआ तो इसे आगे की प्रक्रिया के लिए राष्ट्रपति भवन भेजा जाएगा. वहां से मंजूरी मिलने पर आगे की प्रक्रिया केंद्रीय गृह मंत्रालय की होगी. ऐसे में हिमाचल के सबसे संवेदनशील मामले लैंड सीलिंग एक्ट पर फिर से चर्चा जोर पकड़ेगी.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, राधास्वामी सत्संग ब्यास (आरएसएसबी) यानी डेरा ब्यास अथवा डेरा बाबा जैमल सिंह का भोटा में एक धर्मार्थ अस्पताल है. इसका संचालन डेरा ब्यास की सिस्टर आर्गेनाइजेशन बाबा जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी करती है. जमीन का मालिकाना हक डेरा ब्यास के पास है. डेरा ब्यास चाहता है कि लैंड सीलिंग एक्ट में छूट देकर जमीन का हस्तांतरण महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी के नाम कर दिया जाए. ऐसा करने के लिए लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन की जरूरत थी और उसके लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने विधानसभा के विंटर सेशन में इससे जुड़ा बिल पारित किया था. डेरा ब्यास का तर्क है कि अस्पताल के सुचारू संचालन के लिए जमीन का हस्तांतरण किया जाना चाहिए.
एक ये भी तर्क था कि स्वास्थ्य उपकरण खरीद में महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को भारी-भरकम जीएसटी चुकाना पड़ता है. जमीन का हस्तांतरण हो जाने पर इससे राहत मिलेगी. सरकार का तर्क था कि डेरा ब्यास राज्य में कई तरह के जनहित के कार्यक्रम चलाता है. नशे के खिलाफ अभियान में इस संस्था की भूमिका अहम है. यहां निशुल्क अस्पताल से आसपास के कई गांवों को सुविधा मिलती है. विंटर सेशन के दौरान राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने सदन में जब दि हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग्स एक्ट (अमेंडमेंट), 2024 रखा तो उसमें कहा गया कि संस्था ने राज्य में नैतिक, आध्यात्मिक व धार्मिक शिक्षा के कई केंद्र स्थापित किए हैं. संस्था ने हमीरपुर के भोटा में एक धर्मार्थ अस्पताल चलाया हुआ है. ये भी कहा गया था कि संस्था को लैंड सीलिंग एक्ट के दायरे से बाहर किया गया है. अब धर्मार्थ अस्पताल को सुचारू रूप से चलाने के लिए डेरा की सिस्टर ऑर्गेनाइजेशन को जमीन का हस्तांतरण किया जाए.
दिसंबर 2024 में प्रबंधन ने किया था अस्पताल को बंद करने का ऐलान
डेरा ब्यास प्रबंधन ने कहा था कि यदि उसे लैंड सीलिंग एक्ट में छूट नहीं मिलेगी तो मजबूरन अस्पताल को पहली दिसंबर 2024 से बंद करना पड़ेगा. इसके खिलाफ स्थानीय लोगों ने कई दिन तक विरोध प्रदर्शन किया था. बाद में सरकार के हस्तक्षेप व लैंड सीलिंग एक्ट से जुड़ा बिल लाने के आश्वासन के बाद लोगों ने आंदोलन वापस लिया और संस्था ने भी अस्पताल को बंद करने के फैसले को स्थगित कर दिया था. फिर विंटर सेशन में बिल पारित हुआ और अब इसे राजभवन को भेज दिया गया है. वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है, "लैंड सीलिंग एक्ट हिमाचल के लिए एक अति संवेदनशील मसला है. यदि ऐसे ही इसमें संशोधन कर छूट दी जाती रही तो निकट भविष्य में और भी संस्थाएं आगे आकर राहत मांगेंगी. खैर, अब राजभवन व राष्ट्रपति भवन को ही इस पर फैसला लेना है."