शिमलाः करीब डेढ़ साल से कोरोना के कारण स्कूल-कॉलेज बंद हैं. ऐसे में जिन लोगों का रोजगार स्कूल के विद्यार्थियों के साथ जुड़ा हुआ है, वह लोग भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. ऐसा ही रोजगार था स्कूल के बच्चों को घर से स्कूल के दरवाजे तक पहुंचाने वाले टैक्सी-मैक्सी चालकों का. यह चालक विद्यार्थियों को घर के दरवाजे से स्कूल के दरवाजे तक छोड़ कर आते थे. इस दौरान विद्यार्थियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी इन्हीं चालकों के कंधे पर होती थी, लेकिन कोरोना की वजह से स्कूल बंद है. ऐसे में इनका कारोबार पूरी तरह ठप हो गया है.
कोरोना की वजह से काम ठप
शिमला स्कूल टैक्सी यूनियन (Shimla School Taxi Union) के अध्यक्ष राकेश चौहान ने बताया कि कोरोना की वजह से उनका काम पूरी तरह प्रभावित हुआ है. करीब डेढ़ साल से स्कूल बंद पड़े हुए हैं. ऐसे में उनके लिए टैक्सी की किस्त निकालना भी मुश्किल हो गया है. राकेश चौहान ने बताया कि संकट के समय में सरकार की ओर से उन्हें कोई राहत नहीं दी गई. चौहान ने बताया कि यूनियन की ओर से कई बार सरकार को ज्ञापन दिए गए, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली. हालांकि सरकार की ओर से कुछ हद तक टैक्स माफी की गई है, लेकिन उसे पर्याप्त नहीं माना जा सकता.
घर-परिवार का गुजर-बसर हुआ मुश्किल
राकेश चौहान ने कहा कि आने वाले दिनों में भी स्कूल खोलने को लेकर कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. ऐसे में उनके लिए घर परिवार का गुजर-बसर करना मुश्किल हो गया है. कोरोना की वजह से ही महंगाई भी लगातार बढ़ रही है. घर-परिवार के लिए रोजमर्रा की चीजें खरीदने से लेकर मकान का किराया और बच्चों की फीस देना मुश्किल होता चला जा रहा है.
हालात नहीं सुधरे तो आत्महत्या को मजबूर हो जाएंगे चालक
शिमला स्कूल टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष राकेश चौहान ने कहा कि कोरोना की वजह से हालात दिन-प्रतिदिन खराब होते चले जा रहे हैं. कई टैक्सी चालकों ने टैक्सी बेच दी है. तो कई चालकों की टैक्सी, इंश्योरेंस कंपनी उठाकर ले गई है. हालात लगातार खराब होते चले जा रहे हैं. राकेश चौहान ने सरकार से उनकी सुध लेने की मांग की है. चौहान ने कहा कि अगर सरकार ने उनकी सुध नहीं ली, तो आने वाले समय में कई टैक्सी चालकों को हालात का सामना न कर पाने की वजह से आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि ऐसे दिन किसी को न देखने पड़े. इसके लिए सरकार को चाहिए कि उनके बारे में भी कुछ सोचा जाए.
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