शिमला: लंबे समय के बाद धार्मिक स्थलों के द्वार खोल दिए गए हैं. राजधानी शिमला में भी आज मंदिरों के कपाट खोल दिए गए और भक्तगण मंदिरों में भगवान के दर्शन करने के लिए पहुंचे. शिमला में प्रसिद्ध जाखू मंदिर के साथ ही गंज मंदिर, शिव मंदिर मिडल बाजार, राम मंदिर राम बाजार संकट मोचन ओर तारा देवी मंदिर को भक्तों के लिए खोला गया.
हालांकि पहले दिन कम ही भीड़ मंदिरों में देखने को मिली और कुछ एक लोग ही मंदिरों में माथा टेकने के लिए पहुंचे, लेकिन मंदिरों में एस ओ पी के तहत सभी तरह के इंतजाम किए गए थे. कुछ एक मंदिरों के द्वार तो सुबह ही खोल दिए गए थे लेकिन कुछ एक मंदिर राजधानी में दोपहर बाद ही खुले. आरती और पूजन मंदिरो में हुआ.
तय एसओपी के तहत नियमों को पूरा किया जा सके इसके लिए मंदिरों को देरी से भी खोला गया. जो मंदिर खुले हैं उनमें प्रवेश द्वार पर ही मंदिर में आने वाले भक्तों के हाथ सेनिटाइज करवाने के साथ थर्मल स्केनिंग करने की व्यवस्था की गई है.
वहीं, हाथ धोने का प्रावधान में मंदिर के प्रवेश गेट के बाहर यह साथ में किया गया है, जिससे कि जो भी लोग मंदिर में दर्शन के लिए आ रहे हैं वह अपने हाथ सेनिटाइज कर या हाथ धोकर ही मंदिर में प्रवेश करें. इसके साथ ही मंदिर आने वाले हर व्यक्ति का रिकॉर्ड भी दर्ज किया जा रहा है.
मंदिरों की घंटियों को कपड़ों से बांध दिया गया है और मूर्तियों से लोगों की दूरी बनी रहे इसके लिए रस्सियों का प्रयोग किया गया है, जिससे कि लोग मूर्तियों को हाथ न लगाएं और उनसे दूरी बना कर रखें. इसके साथ ही मंदिर के गर्भगृह में 1 मिनट से ज्यादा लोगों को नहीं रुकने दिया जा रहा है. तो वहीं, एसओपी के नियमों के तहत ना तो प्रसाद बांटा जा रहा है और ना ही जल छिड़का जा रहा है.
शिमला के गंज बाजर स्थित राधा कृष्ण मंदिर के पुजारी सुशील चंद ने कहा कि लंबे अंतराल के बाद आरोपी के तहत मंदिरों को खोल दिया गया है. मंदिर को खोलने को लेकर सभी प्रावधान एस ओ पी के तहत किए गए हैं. लोग मंदिर में आकर भगवान के दर्शन कर रहे हैं लेकिन मूर्तियों को हाथ नहीं लगा सकते हैं.
इसके साथ ही प्रवेश से पहले हाथ सैनिटाइज करवाने के साथ उनकी थर्मल स्केनिंग की जा रही है ओर रिकॉर्ड भी दर्ज किया जा रहा है. इसके लिए प्रवेश द्वार पर ही पीपीई किट पहनकर बैठाया गया है. वहीं गर्भ गृह में रखी गयी मूर्ति से दूरी बनी रहे उसके लिए रस्सियों का इस्तेमाल किया गया है.
उन्होंने बताया कि एसओपी में 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों, 10 साल से कम आयु के बच्चे और गर्भवती महिलाओं के मंदिर आने पर रोक लगाई गई है, लेकिन इसके बाद भी कुछ एक बुजुर्ग मंदिर में दर्शनों के लिए आ रहे हैं हालांकि उन्हें मंदिर में ना आने की अपील की जा रही है, लेकिन लोगों को समझाना थोड़ा मुश्किल हो रहा है. वहीं, मंदिरों के खुलने से लोग भी काफी खुश हैं.
उनका कहना है कि काफी समय से इस दिन का इंतजार था कि मंदिर खोल दिए जाएं,आज जब मंदिर खुल गए हैं तो मंदिर आ कर काफी अच्छा लग रहा है. वैसे रोजाना मंदिर के बंद दरवाजे के बाहर से ही माथा टेक कर जाते थे लेकिन आज जब मंदिर खुले है तो मंदिर के अंदर जा कर भगवान के दर्शन कर बहुत ही अच्छा लग रहा है. मंदिर खोलने को लेकर लोगों ने सरकार का आभार भी जताया है.
वहीं, शिमला के राम बाजार में स्थित राम मंदिर को भी आज भक्तों के लिए खोल दिया गया. 12 बजे एसओपी के तहत सभी तरह के प्रावधान पूरे होने के बाद ही मंदिर को खोला गया. मंदिर का संचालन कर रही सूद सभा के सचिव संदीप सूद ने कहा की 21 मार्च को मंदिर कोविड की वजह से बंद हो गए थे जिन्हें आज फिर से खोला गया है.
आज राम मंदिर को एसओपी के तहत सभी इंतेजाम पूरे करने के बाद 12 बजे खोला गया. कुछ एक लोग मंदिरों में दर्शन के लिए आ रहे है तो उनकी थर्मल स्केनिंग के साथ ही हाथ सेनिटाइज करवाने से जुड़े सभी तरह के इंतजाम किए गए है. मंदिर को भी सेनिटाइज किया जा रहा है. वहीं, मंदिर की घंटियों को भी कवर कर दिया गया है. लोग मूर्तियों को हाथ नहीं लगा पाएंगे.
हालांकि अभी श्राद्ध चल रहे हैं तो उस वजह से भी मंदिरों के खुलने के बाद भी लोग कम आ रहे है नवरात्रों में अब मंदिरों में दोबारा से भीड़ देखने को मिलेगी. प्रसाद की जगह सेनिटाइजर, दूर से ही हो रहे भगवान के दर्शनमंदिर खुल तो गए हैं, लेकिन मंदिर में आने वाले भक्तों को प्रसाद की जगह सेनिटाइजर दिया जा रहा है.
वहीं, भगवान के दर्शन भी दूर से ही भक्तों को कोविड 19 के वजह से मंदिरों में लागू की गई व्यवस्था की वजह से करने पड़ रहे है. एसओपी में नियम कड़े रखे गए है. यही वजह है कि ना तो मंदिरों में प्रसाद बांटा जा रहा है ना ही मूर्तियों को हाथ लगाने दिया जा रहा है. यहां तक कि मंदिर में आने और जाने के लिए भी अलग-अलग रास्ते रखें गए हैं.