शिमलाः देश में चल रही आर्थिक सुस्ती को लेकर सीटू ने चिंता जताई है. शिमला में सीटू के राष्ट्रीय महासचिव तपन सेन ने शनिवार को देश की आर्थिक व्यवस्था को लेकर पत्रकार वार्ता की. सीटू ने आर्थिक सुस्ती के लिए केंद्र में मोदी सरकार की नीतियों को जिम्मेवार ठहराया है.
तपन सेन ने कहा कि देश में जो आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है, वह न्यूनतम वेतन के स्तर को नीचे धकेलना और बेरोजगारी के कारण आई है. आज बाजार में उत्पाद होते हुए भी लोगों के पास खर्च करने के लिए पैसे नहीं हैं. एक तो बेरोजगारी अधिक है, दूसरा न्यूनतम वेतन बहुत कम है. जिससे आर्थिक मंदी लगातार बढ़ती जा रही है.
सीटू के राष्ट्रीय महसचिव ने कहा कि सरकार को आर्थिक मंदी से उभरने के लिए दो रास्ते हैं. न्यूनतम वेतन को बढ़ा कर 18,000 करे या फिर निर्यात अधिक मात्रा में करे, लेकिन स्थिति ऐसी नहीं है कि निर्यात को बढ़ाया जाए.
सेन ने कहा कि बेरोजगारी ही आर्थिक मंदी के लिए जिम्मेवार है, क्योंकि पढ़े-लिखे युवक बेरोजगार हैं. नौकरियों की संख्या सीमित है. सरकार रोजगार के साधन बढ़ाने के बजाए रोजगार के साधन बंद कर रही है.
तपन ने कहा कि बड़े-बड़े उद्योग बंद कर दिए हैं और लोगों की नौकरी जा रही हैं. जिससे आर्थिक मंदी लगातार बढ़ती जा रही है. लोगों को अपना न्यूनतम वेतन 18,000 करने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा और सड़कों पर उतरना पड़ेगा.
देश आर्थिक मंदी से गुजर रहा है और हिमाचल में सरकार विधायकों के भत्ते बढ़ा रही है जो की सही नहीं है. तपन ने कहा कि केंद्र की नीतियों के विरोध में 30 सितंबर को राष्ट्रीय कन्वेंशन आयोजित होगा जिसमें आगे संघर्ष की रणनीति तय की जाएगी.