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प्रशासनिक ट्रिब्यूनल भंग करने पर बोले सुखविंद्र सुक्खू, कर्मचारियों का बढ़ेगा उत्पीड़न - ईटीवी भारत

हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल भंग करने पर पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने जयराम सरकार पर उठाए सवाल. सुक्खू ने कहा कि ट्रिब्यूनल भंग होने से तबादला माफिया को फलने-फूलने में मदद मिलेगी.

सुखविंद्र सिंह सुक्खू पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष
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Published : Jul 5, 2019, 7:11 AM IST

शिमला: पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल भंग करने पर जयराम सरकार के खिलाफ सवाल उठाए हैं. सुक्खू ने कहा कि ट्रिब्यूनल भंग होने से कर्मचारियों का उत्पीड़न बढ़ेगा. वहीं, तबादला माफिया को फलने-फूलने में मदद मिलेगी. ट्रिब्यूनल न होने से कर्मचारी कोर्ट के चक्कर काटकर परेशान होंगे. पूर्व कांग्रेस सरकार ने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल गठित कर कर्मचारियों का तबादला होने पर उनको अपनी बात रखने का एक माध्यम प्रदान किया था, जहां उन्हें आसानी से राहत मिल जाती थी.

वहीं, उन्होंने कहा कि प्रदेश हाईकोर्ट के पास पहले ही काम का बहुत बोझ है. अब कर्मचारियों के तबादले संबंधी मामले हाईकोर्ट में जाने से केस बढ़ेंगे. वहीं, कर्मचारियों को तत्काल राहत भी नहीं मिल पाएगी. सूक्खू ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस फैसले कड़ा विरोध करती है. जयराम सरकार ने ट्रिब्यूनल भंग कर अपने कर्मचारी विरोधी होने पर मुहर लगा दी है. फैसले से कर्मचारियों में भारी रोष है.

तबादले की स्थिति में अब कर्मचारियों को मानसिक रूप से भी परेशान होना पड़ेगा. सूक्खू का कहना है कि कांग्रेस सरकार सत्ता में आने पर प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बहाल करेगी. उन्होंने सीएम जयराम सरकार से फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. सूक्खू ने कहा कि इससे लाखों कर्मचारी सीधे तौर पर प्रभावित होंगे.

बता दें कि जयराम सरकार ने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद करने का फैसला लिया है. बीते बुधवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अगुवाई में आयोजित कैबिनेट मीटिंग में ये फैसला लिया गया. प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में सरकारी कर्मचारियों से जुड़े सेवा मामलों की सुनवाई होती थी.

इससे पहले प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार ने भी प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद किया था. बाद में वीरभद्र सिंह सरकार के समय 28 फरवरी 2015 को हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बहाल किया गया था. ट्रिब्यूनल के बंद होने से सारे मामलों का भार हिमाचल हाईकोर्ट पर आएगा.

दिलचस्प बात है कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने 2015 में पुनर्गठन के बाद 23125 मामलों का निपटारा किया है. ट्रिब्यूनल के पास 30 जून तक 34111 मामले आए थे, जिनमें से 23125 निपटाए गए. इस तरह अभी भी करीब 11 हजार मामले ट्रिब्यूनल के पास निपटारे के लिए पेंडिंग थे, जिनका भार अब हिमाचल हाईकोर्ट पर आएगा.

शिमला: पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल भंग करने पर जयराम सरकार के खिलाफ सवाल उठाए हैं. सुक्खू ने कहा कि ट्रिब्यूनल भंग होने से कर्मचारियों का उत्पीड़न बढ़ेगा. वहीं, तबादला माफिया को फलने-फूलने में मदद मिलेगी. ट्रिब्यूनल न होने से कर्मचारी कोर्ट के चक्कर काटकर परेशान होंगे. पूर्व कांग्रेस सरकार ने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल गठित कर कर्मचारियों का तबादला होने पर उनको अपनी बात रखने का एक माध्यम प्रदान किया था, जहां उन्हें आसानी से राहत मिल जाती थी.

वहीं, उन्होंने कहा कि प्रदेश हाईकोर्ट के पास पहले ही काम का बहुत बोझ है. अब कर्मचारियों के तबादले संबंधी मामले हाईकोर्ट में जाने से केस बढ़ेंगे. वहीं, कर्मचारियों को तत्काल राहत भी नहीं मिल पाएगी. सूक्खू ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस फैसले कड़ा विरोध करती है. जयराम सरकार ने ट्रिब्यूनल भंग कर अपने कर्मचारी विरोधी होने पर मुहर लगा दी है. फैसले से कर्मचारियों में भारी रोष है.

तबादले की स्थिति में अब कर्मचारियों को मानसिक रूप से भी परेशान होना पड़ेगा. सूक्खू का कहना है कि कांग्रेस सरकार सत्ता में आने पर प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बहाल करेगी. उन्होंने सीएम जयराम सरकार से फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. सूक्खू ने कहा कि इससे लाखों कर्मचारी सीधे तौर पर प्रभावित होंगे.

बता दें कि जयराम सरकार ने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद करने का फैसला लिया है. बीते बुधवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अगुवाई में आयोजित कैबिनेट मीटिंग में ये फैसला लिया गया. प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में सरकारी कर्मचारियों से जुड़े सेवा मामलों की सुनवाई होती थी.

इससे पहले प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार ने भी प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद किया था. बाद में वीरभद्र सिंह सरकार के समय 28 फरवरी 2015 को हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बहाल किया गया था. ट्रिब्यूनल के बंद होने से सारे मामलों का भार हिमाचल हाईकोर्ट पर आएगा.

दिलचस्प बात है कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने 2015 में पुनर्गठन के बाद 23125 मामलों का निपटारा किया है. ट्रिब्यूनल के पास 30 जून तक 34111 मामले आए थे, जिनमें से 23125 निपटाए गए. इस तरह अभी भी करीब 11 हजार मामले ट्रिब्यूनल के पास निपटारे के लिए पेंडिंग थे, जिनका भार अब हिमाचल हाईकोर्ट पर आएगा.

Intro:
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष व विधायक सुखविंद्र सिंह सूक्खू ने हिमाचल प्रदेश प्रसाशनिक ट्रिब्यूनल को भंग करने पर सवाल उठाए हैं। सूक्खू ने कहा कि इससे कर्मचारियों का उत्पीड़न बढ़ेगा। तबादला माफ़िया और फलने-फूलने में मदद मिलेगी। ट्रिब्यूनल न होने से कर्मचारी न्यायालय के चक्कर काट-काटकर परेशान होंगे। पूर्व कांग्रेस सरकार ने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल गठित कर कर्मचारियों को तबादला होने पर अपनी बात रखने का एक माध्यम प्रदान किया था, जहां उसे आसानी से राहत मिल जाती थी। हाइकोर्ट में पहले से काम का बोझ है। तबादले संबंधी केस जाने से मामलों की संख्या और बढ़ेगी। Body:कर्मचारियों को तत्काल राहत नहीं मिल पाएगी। जेब भी ज्यादा ढीली करनी होगी। सूक्खू ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इसका कड़ा विरोध करती है। सरकार ने ट्रिब्यूनल भंग कर अपने कर्मचारी विरोधी होने पर मुहर लगा दी है। इससे कर्मचारियों में भारी रोष है। तबादले की स्थिति में अब कर्मचारी को मानसिक रूप से भी परेशान होना पड़ेगा। सूक्खू का कहना है कि कांग्रेस सरकार सत्ता में आने पर प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बहाल करेगी। उन्होंने सीएम जयराम सरकार से फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। सूक्खू ने कहा कि इससे लाखों कर्मचारी सीधे तौर पर प्रभावित होंगे।Conclusion:null
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