शिमला: कर्ज के बोझ तले हिमाचल सरकार फिर से लोन लेने जा रही है. वर्ष 2023 के खत्म होने से पहले एक बार फिर से लोन लेने का फैसला हुआ है. सुखविंदर सिंह सरकार अब 1200 करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है. ये कर्ज कुल 25 साल की अवधि के लिए होगा. कर्ज दो किश्तों में लिया जाना है. इसमें 700 करोड़ रुपए का लोन 15 साल के लिए और 500 करोड़ रुपए का लोन 10 साल की अवधि के लिए होगा. उल्लेखनीय है कि हिमाचल सरकार के लिए इस साल की लोन लिमिट 6600 करोड़ रुपए की है.
मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार 4100 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है. लोन लिमिट के हिसाब से अभी राज्य सरकार 2500 करोड़ रुपए का कर्ज और ले सकती है. इस वित्त वर्ष में 1200 करोड़ रुपए को मिलाकर कुल कर्ज 5300 करोड़ रुपए का कर्ज हो जाएगा. इसके बाद भी मौजूदा वित्त वर्ष में 1300 करोड़ रुपए का कर्ज और लिया जा सकता है. इस तरह सुखविंदर सिंह सरकार के पास अभी कर्ज के मसले पर सांस लेने लायक जगह बची है. मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल से लेकर दिसंबर तक कर्ज का आंकड़ा 5300 करोड़ रुपए हो जाएगा.
76 हजार करोड़ से ज्यादा का हुआ कर्ज: हिमाचल गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. कैग दो दशक पहले ही हिमाचल को कर्ज के जाल में फंसने को लेकर चेतावनी दे चुका है. राज्य पर कर्ज का बोझ हर साल बढ़ता चला जाता है. जिस समय वीरभद्र सिंह सरकार ने 2017 में प्रदेश की सत्ता छोड़ी थी, तब राज्य पर 47906 करोड़ रुपए का कर्ज था. ये अब बढ़कर 76 हजार करोड़ से अधिक हो चुका है.
कर्ज से चल रही हिमाचल की गाड़ी: आलम ये है कि सरकार के पास वेतन और पेंशन देने के लिए भी पर्याप्त खजाना नहीं है. एक तरह से हिमाचल की गाड़ी कर्ज के सहारे चल रही है. सरकार को अभी कर्मचारियों की बकाया देनदारियां चुकानी है. डीए व एरियर को मिलाकर ये रकम 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक बनती है. फिलहाल तो सुखविंदर सिंह सरकार को साल खत्म होने से पहले ही कर्ज लेना पड़ रहा है. नए साल की शुरुआत भी कर्ज से हो सकती है. कारण ये है कि अभी मार्च तक सरकार के पास लिमिट के हिसाब से 1300 करोड़ रुपए कर्ज और लेने का हक है.