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शिमला में स्टोन फ्रूट्स पर मंडराया संकट, बागवानों ने सरकार से ये की अपील

कोरोना महामरी के बीच शिमला में कई फ्रूट्स पर संकट के बादल मंडराने लगे है. ऐसे में बागवानों ने सरकार से मांग की है कि इस तरफ ध्यान देकर समस्या का समाधान निकाला जाए.

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शिमला में स्टोन फ्रूट्स पर संकट मंडराया,
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Published : Apr 27, 2020, 3:22 PM IST

रामपुर: कोरोना महामारी ने देश भर में किसानों बागवानों की कमर तोड़ दी है. लॉकडाउन के कारण मजदूर नहीं मिलने के कारण हिमाचल प्रदेश में भी किसानों और बागवानों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. शिमला जिले के रामपुर उपमंडल में स्टोन फ्रूट्स पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. सरकार ने जल्द फ्रूट्स की पैकिंग व मार्केट तक पहुंचाने के लिए कदम नहीं उठाया तो बागबानों को काफी आर्थिक नुकसान झेलना पडे़गा.

रामपुर में स्टोन फ्रूट्स में बादाम,प्लम, निरसू, चैरी की फसल दत्तनगर, तलाई, खखरोला, रचोली, राजपूरा में होती है. अनुमान के मुताबिक 50 हजार से अधिक स्टोन फ्रूट्स पेटियां होती है.

वीडियो

जानकारों की मानें तो अप्रैल माह के अंत में स्टोन फ्रूट्स की फसल मार्केट में जाना शुरू हो जाती है. अभी तक इलाके में न तो खरीददार पहुंचा है और न ही कोई मजदूर. बागबानों ने सरकार से माग की है प्लम की फसल को मार्केट तक पहुंचाने के लिए सुविधाएं दी जाए दत्तात्रेय स्वामी पर्यावरण एवं किसान विकास समिति दत्तनगर ने बताया यहां के लोग इसी पर जीवन यापन करते है.दत्तनगर पंचायत से ही लगभग दो लाख पेटी प्लम और 25 हजार करीब पेटी बादाम की पैदावर होती है.

ये भी पढ़ें: सोलन जिला हुआ कोरोना मुक्त, प्रदेश में घटकर 10 हुई कोरोना संक्रमितों की संख्या

रामपुर: कोरोना महामारी ने देश भर में किसानों बागवानों की कमर तोड़ दी है. लॉकडाउन के कारण मजदूर नहीं मिलने के कारण हिमाचल प्रदेश में भी किसानों और बागवानों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. शिमला जिले के रामपुर उपमंडल में स्टोन फ्रूट्स पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. सरकार ने जल्द फ्रूट्स की पैकिंग व मार्केट तक पहुंचाने के लिए कदम नहीं उठाया तो बागबानों को काफी आर्थिक नुकसान झेलना पडे़गा.

रामपुर में स्टोन फ्रूट्स में बादाम,प्लम, निरसू, चैरी की फसल दत्तनगर, तलाई, खखरोला, रचोली, राजपूरा में होती है. अनुमान के मुताबिक 50 हजार से अधिक स्टोन फ्रूट्स पेटियां होती है.

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जानकारों की मानें तो अप्रैल माह के अंत में स्टोन फ्रूट्स की फसल मार्केट में जाना शुरू हो जाती है. अभी तक इलाके में न तो खरीददार पहुंचा है और न ही कोई मजदूर. बागबानों ने सरकार से माग की है प्लम की फसल को मार्केट तक पहुंचाने के लिए सुविधाएं दी जाए दत्तात्रेय स्वामी पर्यावरण एवं किसान विकास समिति दत्तनगर ने बताया यहां के लोग इसी पर जीवन यापन करते है.दत्तनगर पंचायत से ही लगभग दो लाख पेटी प्लम और 25 हजार करीब पेटी बादाम की पैदावर होती है.

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