शिमला: जब पांव एक्सीलेटर और ब्रेक तक नहीं पहुंचते थे तो उस समय पापा की गोद में बैठकर बस का स्टीयरिंग घुमाने वाली लड़की अब प्रदेश की सर्पीली सड़कों पर बेखौफ परिवहन निगम की बस दौड़ाती नजर आती है.
अब उनके पैरों का एक्सीलेटर और ब्रेक पर ऐसा कंट्रोल है कि गाड़ी की रफ्तार और गाड़ी में ड्राइवर सीट पर बैठी महिला चालक को देखकर हर कोई हैरान हो जाता है. हम बात कर रहे हैं हिमाचल की पहली महिला बस ड्राइवर सीमा ठाकुर की.
सीमा पहली महिला हैं जो हिमाचल पथ परिवहन निगम में बतौर महिला बस चालक के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं. यह शौक उन्हें बचपन मे तब जागा जब उनके पिताजी एचआरटीसी में बतौर चालक सेवाएं दे रहे थे.
ईटीवी से खास बातचीत में जिला सोलन के अर्की में दुधाना गांव की 29 वर्षीय सीमा ठाकुर ने बताया कि उन्होंने अपने पिता के साथ ही पहली बार बस का स्टीयरिंग थामा और फिर बस चलाना सीखा.
उस समय सीमा के मन मे यह ख्याल आता था कि बसों को महिलाएं क्यों नहीं चलाती हैं. जैसे-जैसे वह बड़ी हुईं तो उन्होंने यह ठान लिया की वह एचआरटीसी में बतौर महिला चालक अपनी सेवाएं देंगी और जो अभी तक नहीं हुआ उसे संभव करके दिखाएंगी.
सीमा ठाकुर ने अपने शौक को ही अपना जुनून बना लिया और इस दिशा में तैयारी शुरू कर दी. पहले तो हैवी व्हीकल लाइसेंस बनाया और फिर एचआरटीसी में निकली चालक की भर्ती के लिए आवेदन किया, लेकिन असली सफर की शुरुआत ही यहां से हुई.
टेस्ट क्लियर करने के बाद भी उन्हें 5 मई 2016 को एचआरटीसी में बतौर चालक ज्वाइनिंग देने के बाद भी उन्हें बस ना देकर टैक्सी चलाने को दी गई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और उनकी मेहनत ही है कि फरवरी 2018 में उन्हें एचआरटीसी की बस शिमला से सोलन के लिए चलाने को दी गई.
वर्तमान समय में सीमा शिमला के लोकल रूट पर ही एसआरटीसी की 42 सीटर बस चला रही हैं. सीमा बताती हैं कि जब उन्होंने एचआरटीसी में निकली महिला बस चालकों की भर्ती के लिए आवेदन किया था तो उस समय 121 पदों पर भर्ती निकली थी. सीमा अकेली थीं, जिन्होंने महिला चालक में नौकरी के लिए एप्लाई किया था.
पुरूष प्रधान इस प्रोफेशन को चुनने पर समाज के नजरिए के सवाल पर सीमा बड़ी ही बेबाकी से जवाब देती हैं कि आज भले ही लड़का-लड़की एक समान जैसी बातें की जाती हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि आज भी समाज की सोच महिलाओं के लिए नहीं बदली है.
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सीमा बताती हैं कि जब इस प्रोफेशन को चुना तो उस समय लोगों की बहुत सी बातें सुनने को मिली. उन्होंने कहा की आज भी उनका इस प्रोफेशन में स्ट्रगल लगातार जारी है, लेकिन खुशी इस बात की है कि अपने पापा के सपने को पूरा किया और अब बस चलाने के अपने सपने को भी वह जी रही हैं.
सीमा का एक सपना तो पूरा हो गया है, लेकिन उनका एक सपना अभी भी बाकी है. सीमा का सपना अब एचआपटीसी की वॉल्वो बस चलाने का है. इसके लिए उन्होंने ट्रेनिंग करवाने के लिए विभाग के पास कई बार आवेदन भी किया है.
सीमा यहां बड़े दुखी मन से बताती हैं कि उनके इस सपने के सामने उनका महिला होना परेशानी बन रहा है. यहां सवाल यह खड़ा होता है कि अगर उन्हें वॉल्वो बस चलाने को दी जाती है तो उन्हें दिल्ली में कहां ठहराया जाएगा. यही वजह है कि विभाग उनके आवेदन और मंजूरी की मुहर नहीं लगा रहा है.
महिलाओं को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति हो या प्रधानमंत्री उन्हें लेने भी ड्राइवर ही जाता है और कोई भी प्रोफेशन गलत नहीं होता. महिलाएं इस प्रोफेशन में आए और अपनी मेहनत से खुद को साबित करें. सीमा ठाकुर को अलग-अलग मंचों पर सम्मानित किया गया है और कई पुरुस्कार उन्हें मिले हैं.
सीमा डीएवी स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा लेने के बाद शिमला के कोटशेरा कॉलेज से ग्रेजुएट हैं. इसके अलावा सीमा ने इंग्लिंश एमए हैं.
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