शिमला: हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार का रविवार ( 27 दिसंबर 2020) को तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है. कोरोना काल के चलते सरकार ने तीन साल पूरा होने का जश्न बड़े स्तर पर न आयोजित कर वर्चुअल रूप में मनाया. इसी बीच हिमाचल बीजेपी ने एक से बढ़कर एक चेहरा प्रदेश और देश को दिए हैं. छात्र जीवन में राजनीति के लिए जगह हो या नहीं, ये लंबे समय से बहस का विषय है, लेकिन हिमाचल की छात्र राजनीति ने देश की राजनीति को कई चमकते सितारे दिए हैं. जेपी नड्डा के दुनिया की सबसे बड़ी सदस्य संख्या वाले दल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ये जानना दिलचस्प होगा कि छात्र राजनीति ने कैसे हिमाचल और देश में राजनीति को प्रभावित किया है.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से नड्डा ने की राजनीति की शुरुआत
जेपी नड्डा का सफर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से आरंभ हुआ. वे हिमाचल यूनिवर्सिटी में छात्र संघ के अध्यक्ष रहे. अब वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. हिमाचल में सरकार के बारे में तो ये मशहूर ही है कि जयराम सरकार एबीवीपी की सरकार है. वो इसलिए कि जयराम सरकार में खुद मुख्यमंत्री और अन्य कई मंत्री अपने छआत्र जीवन में एबीवीपी में रहे हैं. ऐसे में कम से कम भाजपा के लिहाज से तो ये कहा जा सकता है कि पार्टी के लिए एबीवीपी चुनावी राजनीति की नर्सरी है.
छात्र राजनीति से मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे जयराम ठाकुर
हिमाचल सरकार की बात करें तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने सियासी सफर की बुनियाद छात्र राजनेता के तौर पर रखी थी. भाजपा से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता से शुरू हुआ उनका सफर हिमाचल प्रदेश के सीएम के रूप में अचरज भरी ऊंचाई पर पहुंचा है. छात्र राजनीति की वकालत करने वालों के पास ये जोरदार तर्क है कि जयराम ठाकुर की कैबिनेट में छह मंत्री भी स्टूडेंट पॉलिटिक्स की देन है.
छात्र राजनीति से कैबिनेट मंत्री तक का सफर
मौजूदा सरकार के छह मंत्रियों में सुरेश भारद्वाज, राजीव सैजल, गोविंद ठाकुर, वीरेंद्र कंवर और बिक्रम ठाकुर का नाम शामिल है. अपने अध्ययन काल में ये सभी जुझारू छात्र नेता रहे हैं. सुरेश भारद्वाज एबीवीपी के राष्ट्रीय सचिव रहे हैं. इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार भी एबीवीपी के राष्ट्रीय सचिव रहे हैं. वे कॉलेज व यूनिवर्सिटी समय में बहुत सक्रिय थे. गोविंद ठाकुर व बिक्रम सिंह सहित राजीव सैजल भी छात्र राजनीति से ही निकलकर कैबिनेट मिनिस्टर तक पहुंचे हैं. अपने छात्र काल में ये सभी गर्मागर्म बहस में शामिल होते रहे हैं. इसके अलावा हिमाचल में बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती भी एबीवीपी में सक्रिय रहे हैं. वे भी छात्र राजनीति से सक्रिय राजनीति में आए हैं.
वरिष्ठ मीडिया कर्मी डॉ. एमपीएस राणा का कहना है कि छात्र राजनीति से निकले नेताओं की प्रवृत्ति जुझारू होती है. छात्र नेता सामाजिक बदलाव का सपना लिए रहते हैं. छात्र राजनीति में सक्रिय होने के दौरान युवा नेता गरीबी, बेरोजगारी व भ्रष्टाचार पर जोरदार बहस करते हैं. ऐसे में वे समाज की समस्याओं से खूब परिचित होते हैं.
राजनीति में नड्डा का कद
इस समय भाजपा में राष्ट्रीय स्तर पर अहम भूमिका निभा रहे जेपी नड्डा को जुझारूपन छात्र राजनीति ने ही दिया है. प्रखर वक्ता की उनकी छवि छात्र राजनीति की ही देन है. भाजपा से इतर यदि अन्य नेताओं पर नजर डालें तो प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे सुखविंद्र सिंह सुक्खू भी एनएसयूआई नेता रहे हैं. हिमाचल भाजपा के प्रवक्ता और पूर्व विधायक रणधीर शर्मा एबीवीपी की देन हैं. हिमाचल प्रदेश में माकपा की टिकट पर जीते राकेश सिंघा भी सक्रिय छात्र नेता रहे हैं.
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