रामपुरः हिमाचल को प्राचीन काल से ही देवभूमि के नाम से जाना जाता है. यहां कई देवी-देवताओं का निवास स्थान हैं. धर्मग्रन्थों में भी हिमाचल के कई क्षेत्रों का वर्णन किया गया है. देवभूमि कहे जाने वाला हिमाचल की प्रसिद्धि केवल भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी है. यहां हर साल लाखों सैलानी आते हैं.
प्रदेश के इन्हीं धार्मिक स्थलों में से एक है ऊपरी शिमला जिला के रोहडू क्षेत्र में स्थित शक्तिपीठ माता हाटकोटी मंदिर. यह शिमला से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर पब्बर नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है.
मान्यता है कि माता के मंदिर में आने से अपार शांति का अनुभव होता है. यहां दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते है. माता के मंदिर में चारों ओर असीम सोंदर्य सैलानियों को अपनी और आकर्षित करता है. पौरणिक मान्यताओं के अनुसार यहां अज्ञात वास के समय में पांडव आए थे और यहां कुछ दिन बिताए. इसका प्रमाण आज भी वहां देखने को मिलते हैं.
यह भी कहा जाता है कि यहां माता की मूर्ति को ले जानें के लिए नेपाल के राजा आए थे, वो माता की मूर्ति को अपने साथ ले जाना चाहते थे और अपने राज्य में स्थापित करना चाहते थे, लेकिन वो यहां से माता को उठाने में नाकाम रहे. अंत में उन्होंने हार मान ली और वापस लौट गए.
हाटकोटी माता का एक पैर पाताल लोक तक है, जिसका आज तक कोई भी पता नहीं लगा पाया है. मान्यता है कि माता ने महिषासुर का वध किया था. माता के मंदिर में तांबे का घड़ा, शिव मंदिर, पत्थरों से बनाए गए पांच पांडव विराजमान हैं.