रामपुर: डॉक्टर को धरती के भगवान का दर्जा हासिल है लेकिन कुछ लोग इस पेशे को कलंकित कर रहे हैं. कुछ झोलाछाप डॉक्टर बिना डिग्री या फर्जी डिग्री और बिना पेशेवर ज्ञान के लोगों की जान से खिलावाड़ कर रहे हैं. देशभर से ऐसे मामले अखबार और टीवी न्यूज चैनलों पर सुर्खियों में होते हैं. ऐसे मामलों में कई बार इन झोलाछाप डॉक्टरों की बदौलत किसी को गंभीर बीमारी हो जाती है औऱ कई बार तो जान भी चली जाती है.
कौन होते हैं झोलाछाप डॉक्टर?
हर राज्य में मेडिकल काउंसिल होती है जो डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें रजिस्टर्ड कर लाइसेंस देती है. अलग-अलग विधा की अलग-अलग काउंसिल होता है जो उस विधा के डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन करता है. साथ ही लाइसेंस को रद्द करने का अधिकार भी काउंसिल के पास होता है.
स्टेट मेडिकल काउंसिल में जो भी डॉक्टर पंजीकृत नहीं हैं, वो सभी झोलाछाप डॉक्टर हैं. इसके अलावा यह भी देखा जाता है कि कुछ डॉक्टर अपनी पैथी को छोड़कर अन्य पैथी में मरीजों का इलाज करते हैं. यानी होम्योपैथी की पढ़ाई करने वाला डॉक्टर प्रैक्टिस एलोपैथी की करने लगता है. यह भी झोलाछाप डॉक्टर की श्रेणी में आता है. कई बार फर्जी डिग्री या बिना डिग्री के सहारे भी कुछ झोलाछाप दुकान खोल लेते हैं.
रामपुर में नहीं आई कोई शिकायत
रामपुर बीएमओ डॉ. आरके नेगी के मुताबिक झोलाछाप डॉक्टर का कोई भी मामला रामपुर बुशहर में नहीं आया है और अगर इस तरह की कोई शिकायत आती भी है तो विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर निरीक्षण करती है.
निरीक्षण के दौरान जिस डॉक्टर के झोलाछाप होने के बारे में शिकायत मिली है. उसकी डिग्री से लेकर मेडिकल काउंसिल के साथ रजिस्ट्रेशन समेत तमाम दस्तावेज देखे जाते हैं. इस दौरान फर्जी डिग्री होने या झोलाछाप होने पर आगे की कार्रवाई की जाती है. जिसमें विभाग को रिपोर्ट भेजने से लेकर पुलिस जांच तक शामिल है.
एसएचओ रामपुर संतोष ठाकुर के मुताबिक पुलिस के पास भी शहर में झोलछाप डॉक्टर की कोई शिकायत नहीं आई है और अगर ऐसी शिकायत मिलेगी तो जरूरी एक्शन लिया जाएगा.
नीम हकीम खतरा-ए-जान
एक पुरानी कहावत है नीम हकीम खतरा-ए-जान आम लफ्जों में इसका मतलब है कि जिसे डॉक्टरी का पूरा ज्ञान ना हो उससे इलाज करवाना अपनी जान को खतरे में डालना है. झोलाछाप डॉक्टर भी लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं क्योंकि उनके पास ना डॉक्टरी डिग्री होती है ना पेशेवर अनुभव.
बीएमओ रामपुर डॉ. आरके नेगी कहते हैं कि छोलाझाप डॉक्टरों से इलाज करवाने से बचें. वो अपील करते हैं कि झोलाछाप के बजाय सरकारी या मान्यता प्राप्त डॉक्टर से ही इलाज करवाएं. आरके नेगी कहते हैं कि पेशेवर ज्ञान की कमी के कारण झोलाछाप डॉक्टर का इलाज और दवा जानलेवा भी साबित हो सकती है. ज्ञान की कमी के कारण गलत दवा देने से रिएक्शन होना या तबीयत बिगड़ना आम बात है. इसलिये झोलाछाप डॉक्टरों से दूरी जरूरी है.
झोलाछाप के निशाने पर कौन ?
छोलाछाप डॉक्टर ज्यादातर अशिक्षित और पिछड़े इलाकों में अपनी दुकान चलाते हैं. क्योंकि ऐसे इलाकों के लोग कम पढ़े लिखे औऱ कम जागरुक होते हैं. जिसके कारण वो आसानी से इन झोलाछाप के शिकार बन जाते हैं. झोलाछाप डॉक्टर सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का भी फायदा उठाते हैं. जिन इलाकों में अस्पताल या डॉक्टरों की कमी होती है वहां ये झोलाछाप डॉक्टर अपना ठिकाना बनाते हैं.
छोलाछाप डॉक्टरों को पकड़ना भी है चुनौती
कई बार ऐसे झोलाछाप एक शहर में ज्यादा नहीं टिकते. उन्हें प्रशासन की नजरों में आने का खतरा रहता है इसलिये वो जगह बदलते रहते हैं जिसके कारण इनपर शिकंजा कस पाना भी प्रशासन के लिए मुश्किल होता है.
ऐसे में सरकार और प्रशासन को चाहिए कि ऐसे झोलाछापों के खिलाफ तंत्र को मजबूत करने के साथ लोगों को इस संदर्भ में जागरुक भी करें. साथ ही सरकार को हर जगह खासकर पिछड़े इलाकों में इसको लेकर जागरुकता के अलावा स्वास्थ्य सुविधाएं भी बेहतर करने की ओर ध्यान देना चाहिए. ताकि लोग इन झोलाछापों के शिकंजे में ना फंसे.
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