शिमला: छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियां और नदी-नाले अवैध खनन से बर्बाद हो रहे हैं. जनजातीय जिला किन्नौर से लेकर सिरमौर तक खनन की तस्वीर डरावनी हो चली हैं. मैदानी जिलों कांगड़ा, ऊना आदि की नदियों, खड्डों से भी रेत-बजरी रूपी दौलत को अवैध तरीके से लूटा जा रहा है.
हालात ये है कि हाईकोर्ट को भी अवैध खनन के खिलाफ सख्त टिप्पणी करनी पड़ी है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार के उद्योग विभाग व अन्य संबंधित एजेंसियों ने खनन साइट्स की ड्रोन के जरिए निगरानी शुरू की है. फिर भी हिमाचल प्रदेश में हर साल अवैध खनन के हजारों मामले सामने आते हैं.
पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में सीमांत जिलों में खनन की स्थिति भयावह है. खनन माफिया के हौसले इसलिए भी बुलंद हैं कि उन्हें कुछ ताकतें संरक्षण देती हैं. यही कारण है कि खनन माफिया बेखौफ है. हिमाचल में सिरमौर जिला की सीमा हरियाणा व उत्तराखंड से मिलती हैं.
अवैध खनन में लिप्त माफिया पड़ोसी राज्यों में भी सक्रिय रहते हैं
ऊना व कांगड़ा की सीमाएं पंजाब से मिलती हैं. इन सीमांत जिलों की नदियों व खड्डों में अवैध खनन में लिप्त माफिया पड़ोसी राज्यों में भी सक्रिय रहते हैं. ऊना जिला में स्वां नदी व अन्य खड्डों में रेत-बजरी आदि अवैध तरीके से निकाली जाती है. इसी तरह कांगड़ा में चक्की खड्ड, सिरमौर में यमुना, गिरि, बाता नदी में खनन होता है.
सिरमौर जिला में पहाड़ियों से कीमती पत्थर निकालने के लिए भी अवैज्ञानिक तरीके से ब्लास्ट किया जाता है. जिला प्रशासन की हिदायत है कि खनन गतिविधियां शाम पांच बजे के बाद न की जाए, लेकिन इसका पालन नहीं होता.
जंगी थोपन, शोंगठोंग परियोजना भी चालू होने वाली हैं
वहीं, जनजातीय जिला किन्नौर में हाइडल प्रोजेक्ट स्थापित करने के लिए पहाड़ियों का सीना छलनी किया गया है. किन्नौर में करछम-वांगतू परियोजना, बास्पा परियोजना, नाथपा-झाकड़ी परियोजना स्थापित है. जंगी थोपन, शोंगठोंग परियोजना भी चालू होने वाली हैं.
इस कारण किन्नौर में पहाड़ियों को बहुत नुकसान पहुंचा है. पहाड़ियों को डाइनामाइट के साथ तोड़ा गया. इस कारण सेब उत्पादन भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.
किन्नौर जिला के कई इलाके पहाडिय़ों में ब्लास्ट से प्रभावित हुए हैं. उनमें चगांव, उरणी, मीरू, युला, पुलग आदि प्रमुख हैं. चगांव गांव के शिवकुमार नेगी के अनुसार ब्लास्ट से कई घरों को नुकसान हुआ, दरारें पड़ गईं, लेकिन मुआवजा नहीं मिला. ब्लास्ट के बाद पहाड़ियां कमजोर हो जाती हैं. फिर बारिश व बर्फबारी में चट्टानें खिसकने से तबाही का आलम देखने को मिलता है.
आठ हजार से अधिक अवैध खनन के मामले सामने आए
पुलिस, वन व उद्योग विभाग की सख्ती के बावजूद हिमाचल में अवैध खनन के मामले कम नहीं हो रहे. सबसे अधिक खनन कांगड़ा जिला में देखने को मिलता है. आंकड़ों पर गौर करें तो 2020 में मार्च महीने तक प्रदेश में आठ हजार से अधिक अवैध खनन के मामले सामने आए.
इनमें कांगड़ा जिला में 1926, मंडी जिला में 1773, सिरमौर जिला में 788, हमीरपुर जिला में 756, ऊना में 659, कुल्लू में 608, बिलासपुर में 440, चंबा में 417, सोलन में 205, शिमला में 395, किन्नौर में 130 व लाहौल-स्पीति में 125 मामले पकड़े गए. अवैध खनन वालों से चार करोड़ रुपए से अधिक का जुर्माना वसूल किया गया.
पांच चेकपोस्ट विशेष रूप से स्थापित की जा रही हैं
हिमाचल प्रदेश में अवैध खनन को रोकने के लिए पाच माइनिंग चेकपोस्ट नवंबर से कार्य शुरू कर देंगी. उद्योग विभाग ने इसके लिए तैयारी कर ली हैं. यह पांच चेकपोस्ट विशेष रूप से अन्य राज्यों से आने वाले बड़े ट्रालों व ट्रकों द्वारा अवैध तौर पर की जाने वाली माइनिंग को रोकने के लिए स्थापित की जा रही हैं.
हिमाचल सरकार तय माइनिंग साइट्स में नियमों के अनुसार खनन की मंजूरी देती है. राज्य सरकार को हर साल माइनिंग से दो सौ करोड़ रुपए से अधिक की कमाई होती है. राज्य में सत्ता में कोई भी दल हो, चुनाव में खनन माफिया मुद्दा बनता आया है.
प्रदेश सरकार ने माइनिंग चेक पोस्ट स्थापित करने का ऐलान किया था
हाल ही में प्रदेश सरकार ने माइनिंग चेक पोस्ट स्थापित करने का ऐलान किया था. यहां नदियों और खड्डों से अवैध खनन कर रेत बजरी निकालने पर लगाम कसने के लिए ऊना जिला के बाथड़ी, पूनिया, गगरेट, मैहतपुर व पंडोगा में माइनिंग चेक पोस्ट स्थापित की जा रही हैं. इसके अलावा एक पोस्ट सोलन जिला के बद्दी में काम करेगी. इसका मकसद अवैध तरीके से रेत-बजरी ले जाने वालों पर शिकंजा कसना है.
तीन साल पहले हाईकोर्ट ने दिया था सख्त आदेश
हिमाचल में अवैख खनन के खिलाफ अदालतों ने भी समय-समय पर सख्त आदेश जारी किए हैं. हाईकोर्ट ने अप्रैल 2017 में राज्य सरकार को खनन माफिया के खिलाफ छह सप्ताह में नीति तैयार करने को कहा था. साथ ही हाईकोर्ट ने खनिजों के वैज्ञानिक व उचित दोहन के लिए भी काम करने को कहा है, ताकि सरकार को इससे नियमित राजस्व मिलता रहे.
हिमाचल हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मंसूर अहमद मीर व न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ ने सरकारी ढील पर भी सख्त टिप्पणी की थी. वर्ष 2016 में खनन माफिया पर कार्रवाई करने के लिए चर्चा में आए युवा आईपीएस अफसर गौरव सिंह का उस समय की सरकार ने तबादला कर दिया था. गौरव सिंह ने बद्दी के एएसपी रहने के दौरान एक प्रभावशाली राजनेता के रिश्तेदार का टिप्पर जब्त किया था.
इसके अलावा सरकार ने युवा आईएएस अफसर युनूस को भी ट्रांसफर किया था. हाईकोर्ट ने सरकार से इन दोनों अफसरों का तबादला करने के कारण पूछे थे. अदालत ने खनन माफियाओं की बढ़ती सक्रियता पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से पूछा था कि सरकार ने उन अधिकारियों के खिलाफ क्या एक्शन लिया, जिनकी नाक के नीचे खनन माफिया अपना अवैध कारोबार जारी रखे हुए है.
जयराम सरकार ने बनाई है नई खनन नीति
हिमाचल सरकार ने एनजीटी व हाईकोर्ट के आदेश के बाद नई खनन नीति तैयार की है. इस नीति में अवैध खनन को रोकने के कई प्रावधान हैं. खनन साइटों को नीलाम करने की प्रक्रिया पारदर्शी व ऑनलाइन है. साथ ही माइनिंग के लिए नियम व शर्तें लागू की गई हैं.
रिवर बैड के सौ मीटर के दायरे में खनन की मनाही है. साथ ही शाम को खनन गतिविधियां न करने और नियमों को खिलाफ खनन पर भारी जुर्माने का प्रावधान है. वहीं, हाईकोर्ट के आदेश पर खनन साइट्स का ड्रोन के माध्यम से निगरानी का प्रावधान भी किया गया है.
भाजपा नेता जवाहर शर्मा ने कहा कि हिमाचल के बॉर्डर एरिया में हो रहे अवैध खनन को रोकने के लिए उद्योग विभाग प्रदेश में दस चैकपोस्ट लगाएगा. पहले चरण में ऊना और बद्दी में चैकपोस्ट लगाए जा रहे हैं. इससे प्रदेश में 100 बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलेगा.
अलग अलग जगहों पर चैक पोस्ट लगाने की तैयारी
ऊना के बॉर्डर एरिया में अवैध खनन के बढ़ते मामलों को देखते हुए विभाग ने यहां पर छह अलग अलग जगहों पर चैक पोस्ट लगाने की तैयारी की है, ताकि यहां से जाने वाले हर वाहन पर 24 घंटे निगरानी रखी जा सके. अवैध खनन को रोकने के लिए सरकार ने दूसरे अन्य विभागों को भी कार्रवाई के लिए अधिकृत किया है, पर अवैध खनन के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे है.
अवैध खनन के दोषियों को किसी भी सूरत में बक्शा नहीं जा रहा है. पिछले डेढ़ साल के भीतर प्रदेश में अवैध खनन के 6000 मामले पकड़े गए हैं. इससे विभाग ने तीन से 4 करोड़ रुपए का जुर्माना वसूला है. ड्रोन की मदद से भी विभाग अवैध खनन पर अपनी नजर बनाए हुए है. विभाग जिन खननधारकों को खनन पट्टे लीज पर दे रहा है, वह खनन धारक अपनी तय जगह पर खनन करे इसके लिए विभाग ड्रोन से नजर रख रहा है.