शिमला: हिमाचल में आम चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियां खूब पसीना बहा रही है. प्रदेश के चारों संसदीय क्षेत्रों से वोटर्स को लुभाने की कोशिश की जा रही है. हर वर्ग को उनकी मांगों को पूरा करने के वादों के साथ वोट की अपील की जा रही है.
हिमाचल में सरकारी कर्मचारी सबसे बड़ा वोट बैंक है. अपनी मांगों को लेकर कर्मचारी वर्ग में रोष है. प्रदेश में दो लाख से अधिक कर्मचारी हैं. लोकसभा चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम बड़ा मुद्दा रहेगा. इसके अलावा अनुबंध कर्मचारी नियुक्ति की तिथि से सीनियोरिटी का लाभ मांग रहे हैं. इन मसलों पर कर्मचारियों में नाराजगी है.
इसके साथ ही आउटसोर्स कर्मचारी अपने लिए स्थाई नीति की मांग कर रहे हैं. प्रदेश के 51 लाख वोटर्स में से कम से कम दस लाख वोटर्स सरकारी कर्मचारी व उनके परिवार से जुड़े हैं. ऐसे में ये अहम मुद्दा रहेगा.
हिमाचल की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाला कर्मचारी वर्ग इस लोकसभा चुनाव में किसकी ओर रुख करता है ये देखना रोचक रहेगा. देखना ये भी रोचक होगा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों की सरकारों के वक्त से कर्मचारियों की ये मांगे चलती आई है ऐसे में कर्मचारी वर्ग किस पर भरोसा जताएगा.
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हिमाचल के पौने दो लाख कर्मचारी केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं और 80 हजार ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के लिए आंदोलन में जुटे हैं. इसके अलावा अनुबंध और आउट सोर्स कर्मचारी भी अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं.
प्रदेश के हजारों कर्मचारी की मांग है कि 2003 के बाद सरकारी नौकरी पर लगे कर्मचारियों को नई पेंशन स्कीम से कोई लाभ नहीं मिल रहा हैय सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम में लाने को लेकर कई बार आंदोलन भी कर्मचारी कर चुके हैं, लेकिन मांग को अनसुना किया जा रहा है.