शिमला: इस राज्य संग्रहालय से हमे प्राचीन इतिहास और दुर्लभ वस्तुओं के बारे में जानकारी मिलती है, लेकिन राजधानी शिमला में एक संग्रहालय ऐसा है जहां इन सबके साथ ही आपको भारतीय संविधान के बारे में भी जानकारी मिलेगी.
यह जानकारी आपको संग्रहालय में रखी गई पूरानी एंटीक या दुर्लभ वस्तुओं से नहीं बल्कि राज्य संग्रहालय में सहेज कर रखी गई भारतीय संविधान की हस्तलिखित प्रति से मिलेगी. इस प्रति को राज्य संग्रहालय में सहेज कर रखा गया है और यहां संग्रहालय को देखने के लिए आने वाले पर्यटकों के साथ ही अन्य लोग भी संविधान की प्रति को देखना नहीं भूलते है.
जो भी विजिटर यहां आते हैं वो संविधान की इस किताब के पन्ने पलट पर भारत के संविधान को जानने में खासी रूचि दिखाते हैं. इस हस्तलिखित संविधान की प्रति को पहले जहां संग्रहालय में ही गैलरी में डिस्प्ले पर लगाया गया था. तो यहां आने वाले लोग इसके पन्ने पलटते थे, जिसकी वजह से इसके पन्ने ओर कवर खराब हो गया था.
इसके बाद इसे संरक्षित करने के लिए संग्रहालय की लैब में ही इसका सुधार कार्य किया गया है. अब इसे दोबारा म्यूजियम में ही लगाने की तैयारी की जा रही है ताकि जिस उद्देश्य से इस संविधान की प्रति को यहां रखी गई है वो पूरा हो सके.
इस प्रति की खास बात यह है कि जब भारतीय संविधान को तैयार किया गया था तो उसे हाथ से लिखा गया था और यह प्रति संविधान की मूल प्रति का ही सुलेख है और इसे मिलबोर्न लोन कागज पर लिखा गया. यह संविधान 500 पन्नों का है और वर्ष 1954 में लिखकर पूरा हुआ था.
संविधान की मूल प्रति को शांति निकेतन से जुड़े मशहूर चित्रकार नंदलाल बोस ने चार साल का समय लगाकर सजाया. इसे हिंदी भाषा मे लिखा गया है और इसका कवर काले रंग का है. जिस पर सुनहरे रंग की स्याही का इस्तेमाल कर भारतीय संविधान लिखा गया है.
इसके अंदर के पन्ने सफेद और चमकदार रंग के हैं. जिनकी चमक आज भी बरकरार है. अंदर के पन्नों में भी सुनहरे रंग का चौड़ा बॉडर है. जिसके अंदर संविधान की जनाकारी को हाथों से लिखा गया है और संविधान सभा के सदस्यों के भी हस्ताक्षर इस प्रति पर है.
शिमला राज्य संग्रहालय के उच्च अधिकारी हरि सिंह चौहान ने कहा कि जिस संविधान की जो प्रतियां नासिक में छपी थी. उनमें से एक प्रति को राज्य संग्रहालय ने भी प्रीजर्व किया है. खास बात यह है कि हम सभी ने संविधान के बारे में मात्र पढ़ा है, लेकिन यह किस तरह तैयार हुआ. किस-किस ने इसमें अपनी भागीदारी दी. यह संविधान की इस प्रति में लोगों को देखने को मिलता है. जिसे लोग काफी ज्यादा पसंद करते है.
उन्होंने कहा कि संविधान की इस प्रति को पहले म्यूजियम की गैलरी में ही लगाया गया था, लेकिन लोग उत्सुकतावश इसके पन्ने पलटते थे. जिसकी वजह से इसके पन्ने फटने के साथ ही खराब हो गए थे. इसके बाद म्यूजियम की ही कंजेर्वेशन लैब में इस सही किया गया है.
बता दें कि जल्द ही इस प्रति को दोबारा से म्यूजियम की गैलरी में डिस्प्ले पर लगा दिया जाएगा. जिससे यहां आने वाले लोग संविधान के बारे में जानने के साथ ही इस हस्तलिखित संविधान की प्रति को देख भी सकेंगे. अभी इस प्रति को म्यूजियम के ही पुस्तकालय में रखा गया है. लोकसभा सचिवालय ने वर्ष 1999 में संविधान की मूल प्रति की 1200 ऑफसेट प्रतियां छपवाई थी. जिसमें से एक प्रति को सैलानियों ओर आम जनता की जिज्ञासा के लिए शिमला के राज्य संग्रहालय में रखा गया है.