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सेब के पुराने बागों में आई बहार, सीमेंट के पलस्तर से फिर जी उठे सूख चुके पेड़ - himachal news

शिमला जिला के सेब बागवान सुरेंद्र जरेट ने ने तना सड़न रोग से ग्रसित अपने पुराने सेब बाग में एक प्रयोग आरंभ किया. उन्होंने पौधों के सुख रहे तनो को खुरच कर साफ किया और उस के बाद सड़े हुए खोखले स्थान पर सीमेंट, रेत व बजरी मिला कर कंक्रीट एवं पलस्तर किया. इस से सभी पौधों में आश्चर्यजनक परिवर्तन आया और फिर से पौधे स्वस्थ हो गए.

Solution of problems in apple orchard in Shimla district
फोटो.
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Published : Mar 13, 2021, 5:35 PM IST

Updated : Mar 13, 2021, 7:19 PM IST

रामपुरः हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में सेब का अहम योगदान है. प्रदेश में सेब बागवान बगीचों से अच्छी कमाई कर रोजी चला रहे हैं. लेकिन सेब के पौधों में निश्चित अवधि पूरी होने के बाद जड़ और तना सड़न जैसी समस्याएं बागवानों के सामने आती हैं, जिसका समाधान नहीं निकाल पा रहा था. सेब के पौधे सूख कर मर जाते थे और बागवानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता था.

बागवान सुरेंद्र जरेट ने समस्या का निकाला समाधान

शिमला जिला के कुमार सैन उपमंडल के ओढ़ी गांव के रहने वाले सेब बागवान सुरेंद्र जरेट ने इस समस्या का समाधान निकाल लिया है. कुछ वर्ष पूर्व सुरेंदर ने सड़न रोग से ग्रसित अपने पुराने सेब बाग में एक प्रयोग आरंभ किया. उन्होंने पौधों के सुख रहे तनों को खुरच कर साफ किया और उस के बाद सड़े हुए खोखले स्थान पर सीमेंट, रेत व बजरी मिला कर कंक्रीट एवं पलस्तर किया. इस से सभी पौधों में आश्चर्यजनक परिवर्तन आया और फिर से पौधे स्वस्थ हो गए.

वीडियो.

अन्य बागवानो ने भी अपनाई तकनीक

आज सेब के हर पौधे से वे 10 से 12 पेटी सेब ले रहे हैं. कई अन्य बागवानो ने भी सुरेंद्र के बगीचे का दौरा किया. बागवानों ने सुरेंद्र के तरीकों का प्रयोग शुरु किया और उन्हें भी सफलता मिली. ऐसे में जिन के सेब केबाग पुराने हो चुके हैं और पौधों को काटने की सोच रहे थे उन्हें एक नई दिशा मिली है.

सीमेंट-बजरी एवं रेत मिला कर किया पलस्तर

प्रगतिशील सेब बागवान सुरेंद्र जरेट ने बताया की उन के पुराने सेब बागीचा तना सड़न से नष्ट चुका था, लेकिन उन्होंने एक तरकीब सोची और पौधे के सड़न वाले स्थान को खुरच कर साफ किया व सीमेंट बजरी एवं रेत मिला कर कंक्रीट एवं पलस्तर किया. जिस के बाद पौधों में अभूतपूर्व परिवर्तन आया. आज उन पौधों से दस से बारह पेटी प्रति पौधा सेब ले रहे हैं

किसानो को मिली नई तरकीब

बागवान उमा दत्त ने बताया कि बागवानों को नई तरकीब मिली है. ओढ़ी के बागवान ने सेब के सड़ रहे पुराने पौधों में सीमेंट कंक्रीट कर पलस्तर किया और पौधे फिर से ताजा हो रहे हैं. उन्होंने दूसरे बागवानों से जिन के बगीचे पुराने हो चुके हैं उन्हें यह तरकीब अपनाने की सलाह दी है.

सेब के पुराने बागों में आई जान

बागवान रोशन चौधरी ने बताया सुरेंद्र ने पुराने बागीचे में एक्सपरीमेंट किया है जो सफल हुआ है.जिन बागवानों के सेबबाग पुराने हो चुके हैं उन्हें घबराने की जरूरत नहीं. सुरेंदर की अपनाई गई तकनीक से वे पुनः सेब बाग को स्वस्थ कर सकते हैं.

बागवानों के लिए नई आशा की किरण

ये कहना गलत नहीं होगा की प्रगतिशील सेब बागवान सुरेंद्र जरेट की तरकीब पुराने सेब बगीचे वाले बागवानों के लिए नई आशा की किरण लेकर आई है. ऐसे में सुरेंद्र सेब बागवानों के लिए प्ररेणादाई साबित हो रहे हैं.

पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव: हिमाचली कलाकारों के नाम रही पहली सांस्कृतिक संध्या

रामपुरः हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में सेब का अहम योगदान है. प्रदेश में सेब बागवान बगीचों से अच्छी कमाई कर रोजी चला रहे हैं. लेकिन सेब के पौधों में निश्चित अवधि पूरी होने के बाद जड़ और तना सड़न जैसी समस्याएं बागवानों के सामने आती हैं, जिसका समाधान नहीं निकाल पा रहा था. सेब के पौधे सूख कर मर जाते थे और बागवानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता था.

बागवान सुरेंद्र जरेट ने समस्या का निकाला समाधान

शिमला जिला के कुमार सैन उपमंडल के ओढ़ी गांव के रहने वाले सेब बागवान सुरेंद्र जरेट ने इस समस्या का समाधान निकाल लिया है. कुछ वर्ष पूर्व सुरेंदर ने सड़न रोग से ग्रसित अपने पुराने सेब बाग में एक प्रयोग आरंभ किया. उन्होंने पौधों के सुख रहे तनों को खुरच कर साफ किया और उस के बाद सड़े हुए खोखले स्थान पर सीमेंट, रेत व बजरी मिला कर कंक्रीट एवं पलस्तर किया. इस से सभी पौधों में आश्चर्यजनक परिवर्तन आया और फिर से पौधे स्वस्थ हो गए.

वीडियो.

अन्य बागवानो ने भी अपनाई तकनीक

आज सेब के हर पौधे से वे 10 से 12 पेटी सेब ले रहे हैं. कई अन्य बागवानो ने भी सुरेंद्र के बगीचे का दौरा किया. बागवानों ने सुरेंद्र के तरीकों का प्रयोग शुरु किया और उन्हें भी सफलता मिली. ऐसे में जिन के सेब केबाग पुराने हो चुके हैं और पौधों को काटने की सोच रहे थे उन्हें एक नई दिशा मिली है.

सीमेंट-बजरी एवं रेत मिला कर किया पलस्तर

प्रगतिशील सेब बागवान सुरेंद्र जरेट ने बताया की उन के पुराने सेब बागीचा तना सड़न से नष्ट चुका था, लेकिन उन्होंने एक तरकीब सोची और पौधे के सड़न वाले स्थान को खुरच कर साफ किया व सीमेंट बजरी एवं रेत मिला कर कंक्रीट एवं पलस्तर किया. जिस के बाद पौधों में अभूतपूर्व परिवर्तन आया. आज उन पौधों से दस से बारह पेटी प्रति पौधा सेब ले रहे हैं

किसानो को मिली नई तरकीब

बागवान उमा दत्त ने बताया कि बागवानों को नई तरकीब मिली है. ओढ़ी के बागवान ने सेब के सड़ रहे पुराने पौधों में सीमेंट कंक्रीट कर पलस्तर किया और पौधे फिर से ताजा हो रहे हैं. उन्होंने दूसरे बागवानों से जिन के बगीचे पुराने हो चुके हैं उन्हें यह तरकीब अपनाने की सलाह दी है.

सेब के पुराने बागों में आई जान

बागवान रोशन चौधरी ने बताया सुरेंद्र ने पुराने बागीचे में एक्सपरीमेंट किया है जो सफल हुआ है.जिन बागवानों के सेबबाग पुराने हो चुके हैं उन्हें घबराने की जरूरत नहीं. सुरेंदर की अपनाई गई तकनीक से वे पुनः सेब बाग को स्वस्थ कर सकते हैं.

बागवानों के लिए नई आशा की किरण

ये कहना गलत नहीं होगा की प्रगतिशील सेब बागवान सुरेंद्र जरेट की तरकीब पुराने सेब बगीचे वाले बागवानों के लिए नई आशा की किरण लेकर आई है. ऐसे में सुरेंद्र सेब बागवानों के लिए प्ररेणादाई साबित हो रहे हैं.

पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव: हिमाचली कलाकारों के नाम रही पहली सांस्कृतिक संध्या

Last Updated : Mar 13, 2021, 7:19 PM IST
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