रामपुरः उत्तराखंड त्रासदी के बाद अब एसजेवीएनएल भी सतर्क को गया है. एसजेवीएनएल के परियोजना प्रमुख रविचंद्रन नेगी ने बताया कि उत्तराखंड की त्रासदी के बाद एसजेवीएनएल परियोजना का खाबा से लेकर रामपुर बायल प्रोजेक्ट तक टीम ने निरीक्षण किया.
13 सेंसर लगाए गए
परियोजना प्रमुख रविचंद्रन नेगी ने बताया कि परियोजना ने विभिन्न स्थानों पर 13 सेंसर लगाए हैं. जिसके माध्यम से जनता को यह जानकारी प्राप्त हो जाती है कि पानी का स्तर बढ़ रहा है. उन्होंने बताया कि यह सेंसर जिला किन्नौर के खाब से रामपुर बाल प्रोजेक्ट के बीच में लगाए गए हैं. उन्होंने बताया कि जैसे ही पानी का स्तर बढ़ना शुरु हो जाता है वैसे ही यह सेंसर आवाज करने लगते हैं. जिससे नदी के आस-पास लोग सुनते ही सतर्क हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि फिलहाल 60 से 70 क्यूब मिक्स पानी डेम में जमा हैं.
ऑटोमेटिक तरीके से पानी छोड़ते हैं गेट
परियोजना प्रमुख रविचंद्रन नेगी कहा कि यदि डेम में पानी का स्तर बढ़ जाता है तो वहां पर गेट ऑटोमेटिक तरीके से एक्स्ट्रा पानी को छोड़ देता है. उन्होंने बताया की त्रासदी के बाद एसजेवीएनएल की टीम भी पूरी तरह से मुस्तैद है.परियोजना प्रमुख रविचंद्रन नेगी ने बताया कि परियोजना का कार्य लोगों की समस्याओं का समाधान करना है जिसके लिए वह समय-समय पर प्रयास करते रहते हैं.
देश की सबसे बड़ी भूमिगत परियोजना एसजेवीएनएल
बता दें कि एसजेवीएनएल 1500 मेगा वॉट देश की सबसे बड़ी भूमिगत परियोजना है. ये परियोजना देश के नौ राज्य को बिजली आपूर्ति करती है.
ये भी पढ़ेंः- पेट्रोल-डीजल रसोई गैस के दामों के खिलाफ सड़कों पर उतरी कांग्रेस, किया चक्का जाम