ETV Bharat / state

कोरोना की मार! बस अड्डों और रेलवे स्टेशन पर छाया सन्नाटा, पर्यटकों की संख्या में भी भारी गिरावट - Shimla Railway Station

हिमाचल में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में कोरोना पर काबू पाने के लिए सरकार ने पूरे प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू के रूप में पाबंदिया लागू की हैं. जरुरी सेवाओं को छोड़कर प्रदेश में सब कुछ बंद कर दिया गया है. प्रदेश में सार्वजनिक बसों का भी संचालन रोक दिया गया है. बसें बंद होने के कारण दुकानदारों और टैक्सी चालकों को परेशानी उठानी पड़ रही है.

फोटो.
फोटो.
author img

By

Published : May 21, 2021, 10:12 PM IST

Updated : May 21, 2021, 10:48 PM IST

शिमलाः कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों के बीच आज देश भर में लॉकडाउन जैसे हालात हैं. संक्रमण के आंकड़ों पर काबू पाने के लिए हिमाचल प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू लगाया गया है. कर्फ्यू की बंदिशों के चलते प्रदेश भर में आगामी आदेशों तक बस संचालन पर भी रोक लगाया गया है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के बस अड्डे पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है. कमोबेश यही हाल शिमला रेलवे स्टेशन का है.

प्रदेश में केवल जरुरी सेवाओं से जुड़े लोगों को आवाजाही की इजाजत दी गई है. लॉकडाउन के बीच आम लोगों की आवाजाही न होने से टैक्सी संचालकों को भी भारी नुकसान हो रहा है. साल 2020 में कोरोना वायरस की पहली लहर के समय से ही टैक्सी कारोबारियों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. शिमला के टैक्सी संचालकों के लिए गाड़ी की ईएमआई भरना भी मुश्किल हो गया है.

रेलवे स्टेशन पर पसरा सन्नाटा

राजधानी शिमला के रेलवे स्टेशन की बात की जाए तो यहां सामान्य दिनों में रेलगाड़ी पर्यटकों से भरी रहती थी और पर्यटकों की आमद से जगह-जगह रौनक नजर आती थी. लेकिन कोरोना वायरस के असर कोरोबार पर इस कदर पड़ा कि पर्यटकों से गुलजार रहने वाले रेलवे स्टेशन पर सन्नाटा पसरा हुआ नजर आता है. स्टेशन अधीक्षक जोगेंदर सिंह कहते हैं कि आम दिनों की तुलना में पर्यटकों और आम लोगों की आमद सौ फीसदी से घटकर 30 से 35 फीसदी पहुंच गई है.

टैक्सी संचालकों के लिए परिवार चलाना मुश्किल

शिमला के पुराना बस अड्डे पर टैक्सी यूनियन के प्रधान राजेंद्र कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार की ओर से उन्हें कोई राहत नहीं मिली है. सरकार केवल मजदूर वर्ग को ही राहत देने का काम कर रही है. उन जैसे लोग जो मध्यम वर्ग से संबंध रखने वालों के लिए प्रदेश सरकार की ओर से कोई भी काम नहीं किया जा रहा है. पहली लहर के समय केंद्रीय वित्त मंत्री ने राहत पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन उस राहत पैकेज का एक भी पैसा टैक्सी संचालकों के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया. टैक्सी संचालकों के लिए घर परिवार का भरण-पोषण करना भी मुश्किल हुआ है. बच्चों की फीस से लेकर मकान का किराया और रोजाना के खर्चे पूरा करना भी संचालकों के लिए मुश्किल हो रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

बसों का संचालन न होने से दुकानदार भी परेशान

साल 1978 से शहर के पुराने बस अड्डे पर दुकान चला रहे संजय शर्मा बताते हैं कि उन्होंने इतनी बुरी स्थिति कभी नहीं देखी. कोरोना से कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो गया है. संक्रमण के आंकड़ों पर काबू पाने के लिए कोरोना कर्फ्यू तो जरूरी है, लेकिन ग्राहकों के नहीं पहुंचने से दुकान का खर्चा निकालना मुश्किल हो गया है.

कोरोना कर्फ्यू ने प्रभावित किया कारोबार

हिमाचल प्रदेश में 7 मई से 26 मई तक कोरोना कर्फ्यू लगाने का निर्णय लिया गया है. हालांकि जरूरी सेवाओं से जुड़े लोगों और कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरों को काम करने की छूट दी गई है. संक्रमण से बचाव के लिए कड़ाई से पालन किया जाए. इसके लिए बस संचालन बंद किया गया है, लेकिन इसके दूसरे पहलू पर नजर डाली जाए तो कर्फ्यू की वजह से रोजगार पर बहुत बुरा असर पड़ा है. हालांकि लोग सकारात्मक रूप से सरकार और प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं, लेकिन दो जून की रोटी के लिए रोज कमा कर खाने वाले लोगों के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं.

हिमाचल में यूं ही जारी रहेंगी बंदिशें

संक्रमण के आंकड़ों में गिरावट दर्ज करने के बाद ही प्रदेश सरकार की ओर से बंदिशों में कुछ छूट मिलने की उम्मीद जताई जा सकती है, लेकिन जब तक संक्रमण के आंकड़ों में इजाफा देखने को मिलेगा. तब तक बंदिशें यूं ही जारी रहेंगी. ऐसे में निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों के सामने रोटी का संकट पैदा होना शुरू हो गया है. भविष्य में यदि संक्रमण इसी तरह बढ़ता रहा, तो समस्याएं और ज्यादा बढ़ जाएंगी.

ये भी पढ़ें: कोरोना काल में कई जगह बंद हुई कीमो और रेडियोथेरेपी, इलाज के लिए तरस रहे कैंसर के मरीज

शिमलाः कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों के बीच आज देश भर में लॉकडाउन जैसे हालात हैं. संक्रमण के आंकड़ों पर काबू पाने के लिए हिमाचल प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू लगाया गया है. कर्फ्यू की बंदिशों के चलते प्रदेश भर में आगामी आदेशों तक बस संचालन पर भी रोक लगाया गया है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के बस अड्डे पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है. कमोबेश यही हाल शिमला रेलवे स्टेशन का है.

प्रदेश में केवल जरुरी सेवाओं से जुड़े लोगों को आवाजाही की इजाजत दी गई है. लॉकडाउन के बीच आम लोगों की आवाजाही न होने से टैक्सी संचालकों को भी भारी नुकसान हो रहा है. साल 2020 में कोरोना वायरस की पहली लहर के समय से ही टैक्सी कारोबारियों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. शिमला के टैक्सी संचालकों के लिए गाड़ी की ईएमआई भरना भी मुश्किल हो गया है.

रेलवे स्टेशन पर पसरा सन्नाटा

राजधानी शिमला के रेलवे स्टेशन की बात की जाए तो यहां सामान्य दिनों में रेलगाड़ी पर्यटकों से भरी रहती थी और पर्यटकों की आमद से जगह-जगह रौनक नजर आती थी. लेकिन कोरोना वायरस के असर कोरोबार पर इस कदर पड़ा कि पर्यटकों से गुलजार रहने वाले रेलवे स्टेशन पर सन्नाटा पसरा हुआ नजर आता है. स्टेशन अधीक्षक जोगेंदर सिंह कहते हैं कि आम दिनों की तुलना में पर्यटकों और आम लोगों की आमद सौ फीसदी से घटकर 30 से 35 फीसदी पहुंच गई है.

टैक्सी संचालकों के लिए परिवार चलाना मुश्किल

शिमला के पुराना बस अड्डे पर टैक्सी यूनियन के प्रधान राजेंद्र कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार की ओर से उन्हें कोई राहत नहीं मिली है. सरकार केवल मजदूर वर्ग को ही राहत देने का काम कर रही है. उन जैसे लोग जो मध्यम वर्ग से संबंध रखने वालों के लिए प्रदेश सरकार की ओर से कोई भी काम नहीं किया जा रहा है. पहली लहर के समय केंद्रीय वित्त मंत्री ने राहत पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन उस राहत पैकेज का एक भी पैसा टैक्सी संचालकों के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया. टैक्सी संचालकों के लिए घर परिवार का भरण-पोषण करना भी मुश्किल हुआ है. बच्चों की फीस से लेकर मकान का किराया और रोजाना के खर्चे पूरा करना भी संचालकों के लिए मुश्किल हो रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

बसों का संचालन न होने से दुकानदार भी परेशान

साल 1978 से शहर के पुराने बस अड्डे पर दुकान चला रहे संजय शर्मा बताते हैं कि उन्होंने इतनी बुरी स्थिति कभी नहीं देखी. कोरोना से कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो गया है. संक्रमण के आंकड़ों पर काबू पाने के लिए कोरोना कर्फ्यू तो जरूरी है, लेकिन ग्राहकों के नहीं पहुंचने से दुकान का खर्चा निकालना मुश्किल हो गया है.

कोरोना कर्फ्यू ने प्रभावित किया कारोबार

हिमाचल प्रदेश में 7 मई से 26 मई तक कोरोना कर्फ्यू लगाने का निर्णय लिया गया है. हालांकि जरूरी सेवाओं से जुड़े लोगों और कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरों को काम करने की छूट दी गई है. संक्रमण से बचाव के लिए कड़ाई से पालन किया जाए. इसके लिए बस संचालन बंद किया गया है, लेकिन इसके दूसरे पहलू पर नजर डाली जाए तो कर्फ्यू की वजह से रोजगार पर बहुत बुरा असर पड़ा है. हालांकि लोग सकारात्मक रूप से सरकार और प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं, लेकिन दो जून की रोटी के लिए रोज कमा कर खाने वाले लोगों के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं.

हिमाचल में यूं ही जारी रहेंगी बंदिशें

संक्रमण के आंकड़ों में गिरावट दर्ज करने के बाद ही प्रदेश सरकार की ओर से बंदिशों में कुछ छूट मिलने की उम्मीद जताई जा सकती है, लेकिन जब तक संक्रमण के आंकड़ों में इजाफा देखने को मिलेगा. तब तक बंदिशें यूं ही जारी रहेंगी. ऐसे में निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों के सामने रोटी का संकट पैदा होना शुरू हो गया है. भविष्य में यदि संक्रमण इसी तरह बढ़ता रहा, तो समस्याएं और ज्यादा बढ़ जाएंगी.

ये भी पढ़ें: कोरोना काल में कई जगह बंद हुई कीमो और रेडियोथेरेपी, इलाज के लिए तरस रहे कैंसर के मरीज

Last Updated : May 21, 2021, 10:48 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.