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Shimla Shiv Mandir Landslide: पूरा हुआ दुख और पीड़ा का सर्च ऑपरेशन, मलबे के भीतर काल के अंधकार में मिट गए 20 अनमोल जीवन - हिमाचल प्रदेश न्यूज

मानसून सीजन हिमाचल के लिए भारी तबाही का कारण बना है. शिमला के समीप समरहिल के प्राचीन शिव मंदिर पर लैंडस्लाइड से 20 अनमोल जीवन काल का ग्रास बने. सावन के अंतिम सोमवार को 14 अगस्त की सुबह आई आपदा ने मंदिर को ध्वस्त कर दिया. गुरुवार 24 अगस्त को मलबे से तीन शव निकाले गए. इस तरह हादसे से लेकर 24 अगस्त तक 12 दिन के अंतराल में एनडीआरएफ व अन्य बचाव एजेंसियों का सर्च ऑपरेशन पूरा हुआ. इस हादसे ने कई परिवारों को कभी न भरने वाले जख्म दिए हैं. यहां पढ़िए पीड़ा की अकथ कहानी. (shimla landslide).

shimla landslide update
पूरा हुआ दुख और पीड़ा का सर्च ऑपरेशन
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 24, 2023, 9:48 PM IST

Updated : Aug 24, 2023, 9:54 PM IST

शिमला: जिस ऑपरेशन का परिणाम जीवन की आशा हो, उसे हर कोई उत्साह से पूरा करता है, लेकिन शिमला में शिव मंदिर का सर्च ऑपरेशन महज दुख और पीड़ा का था. बीस अनमोल जीवन मलबे के भीतर पसरे काल के अंधकार की भेंट चढ़ गए. जिस समय प्रकृति के कोप का मलबा शिव मंदिर पर आ धमका, महाकाल की आराधना के लिए जुटे 20 प्राणवान शरीर जड़ हो गए. भारी मलबे में दबे लोगों ने एक बारगी सोचा होगा कि ईश कृपा से कोई चमत्कार हो जाएगा, लेकिन शिव अपने काल रूप में थे. मलबे में दबे लोगों की ईश्वर से कातर पुकार और बाहर विचलित अवस्था में मौजूद परिजनों की प्रार्थनाएं भी काम न आईं. हजारों टन मलबे में दबे बीस प्राण सावन के अंतिम सोमवार को अपने अंतिम सफर पर रवाना हो गए. परिजनों को भी ये अहसास था कि अब शायद ही कोई चमत्कार हो, लेकिन आस की डोर भला कब टूटती है.

अब गुरुवार 24 अगस्त को पार्थिव शरीरों की तलाश का अभियान पूरा हो गया है. दादा-पोती और एक युवक नीरज का पार्थिव शरीर सबसे अंत में मिला. ये सर्च ऑपरेशन आत्मा के सबसे कोमल धागों को क्रूरता से तोड़ने वाली दुख और पीड़ा का एक ऑपरेशन था. काश! ये सर्च की जगह रेस्क्यू ऑपरेशन कहलाता. काश! गणित, वकालत, खेल और कारोबार की दुनिया के लोग इस हादसे की भेंट न चढ़ते. काश! मंदिर के पुजारी फिर से शिव की पूजा करवाने के लिए चमत्कारी रूप से सुरक्षित बच जाते. काश! गणित की प्रोफेसर मानसी के गर्भ में पल रही नन्हीं जान मां सहित बच जाती और भविष्य में किसी भी क्षेत्र का चमकता सितारा बनती. काश! प्यारी-प्यारी दो छोटी-छोटी बहनें हंसी-खुशी दादू के साथ वापस अपने घर लौट पाती. न जाने इस हादसे के जख्म कब भरेंगे.

shimla landslide update
शिव मंदिर की पुरानी फोटो.

देवभूमि हिमाचल की जनता स्वभाव से ही आस्थावान है. सावन के अंतिम सोमवार को आजादी से एक दिन पहले 14 अगस्त की सुबह काली सुबह बनकर आई. गणित के प्रोफेसर पीएल शर्मा अपनी पत्नी और होनहार बेटे ईश के साथ शिव उपासना के लिए समरहिल के शिव मंदिर पहुंचे थे. शिवलिंग के जलाभिषेक के लिए हंसी-खुशी शिव मंदिर की तरफ बढ़ रहे पीएल शर्मा को क्या पता था कि महाकाल उनकी जीवन संगिनी चित्रलेखा और जिगर के टुकड़े ईश की जीवन रेखा मिटा देंगे. शर्मा परिवार में पहले घर की लक्ष्मी की पार्थिव देह मिली, फिर उनके पति की और अंत में बेटे का निर्जीव शरीर मलबे से बाहर निकाला गया. एक ही घर से अलग-अलग दिन तीन अर्थियां निकली. जिस घर पर ऐसा कहर टूटा हो, उसके दुख की क्या ही कल्पना की जाए.

समरहिल में रह रही मानसी अपने वकील पति हरीश वर्मा के साथ जा रही थी. मानसी एचपीयू में गणित पढ़ाती थीं. वे पीएल शर्मा की शिष्या थी और उन्हीं के सान्निध्य में पीएचडी की थी. पूजा की सामग्री लिए डॉ. मानसी धीरे-धीरे मंदिर की तरफ बढ़ रही थी क्योंकि उसके गर्भ में एक और जीव पल रहा था. मानसी और हरीश भी काल के ग्रास बन गए. उनके साथ ही गर्भ में पल रहा बच्चा पृथ्वी मां के रंग देखने से पहले ही काल के अंधेरे सफर पर धकेल दिया गया. मंदिर के पुजारी सुमन किशोर को भी क्या मालूम था कि ये उनकी आराध्य के प्रति अंतिम पूजा है. हादसे में कारोबारी परिवार के पवन शर्मा भी अपनी तीन पीढ़ियों के पांच सदस्यों सहित परलोक सिधार गए. मामा शंकर नेगी और भांजा अभिषेक नेगी भी आखिरी सफर पर निकल पड़े. अंतिम दिन नीरज ठाकुर, पवन शर्मा व उनकी नन्हीं पोती के निष्प्राण शरीर मिल गए. हादसे के 12वें दिन पार्थिव शरीरों का तलाशी अभियान पीड़ा के साथ पूरा हुआ.

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शिव मंदिर की हादसे के बाद की फोटो.

वर्ष 2023 का मानसून जीवन के प्रति उसकी निष्ठुरता और क्रूरता के लिए जाना जाएगा. आसमान की सरकार ने तो नियति के अनुसार 20 लोगों की अकाल मृत्यु लिखी थी, लेकिन धरती की सरकारों को भी चेताया है कि प्रकृति के साथ मिलकर चलने में ही भलाई है. खैर, शिव मंदिर हादसे ने ऐसे जख्म दिए हैं, जो वक्त के साथ बेशक भरने लगें, लेकिन उनकी पीड़ा कभी खत्म नहीं होगी. इस हादसे पर आस्थावान लोगों ने अपने आराध्य शिव के प्रति सवाल किए हैं कि हे भोलेनाथ, ये किस बात की सजा मिली है. मानसून सीजन खत्म हो जाएगा. शिव मंदिर के आसपास फिर से जीवन पुराने ढर्रे पर लौट आएगा, लेकिन इस हादसे की भेंट चढ़े 20 लोगों के परिवार शायद ही कभी नार्मल हो पाएं. अपनों की पीड़ादायक मृत्यु उनके दिलों की नाजुक रगों को दर्द देती रहेगी. उनके अवचेतन में अब यही कामना होगी, काश! इस संसार में कभी किसी की अकाल मृत्यु न हो.

ये भी पढ़ें- Shimla Shiv Mandir Landslide: शिमला मंदिर हादसे में सभी शव बरामद, 11वें दिन सर्च ऑपरेशन खत्म, आज शाम को मिले 3 शव

शिमला: जिस ऑपरेशन का परिणाम जीवन की आशा हो, उसे हर कोई उत्साह से पूरा करता है, लेकिन शिमला में शिव मंदिर का सर्च ऑपरेशन महज दुख और पीड़ा का था. बीस अनमोल जीवन मलबे के भीतर पसरे काल के अंधकार की भेंट चढ़ गए. जिस समय प्रकृति के कोप का मलबा शिव मंदिर पर आ धमका, महाकाल की आराधना के लिए जुटे 20 प्राणवान शरीर जड़ हो गए. भारी मलबे में दबे लोगों ने एक बारगी सोचा होगा कि ईश कृपा से कोई चमत्कार हो जाएगा, लेकिन शिव अपने काल रूप में थे. मलबे में दबे लोगों की ईश्वर से कातर पुकार और बाहर विचलित अवस्था में मौजूद परिजनों की प्रार्थनाएं भी काम न आईं. हजारों टन मलबे में दबे बीस प्राण सावन के अंतिम सोमवार को अपने अंतिम सफर पर रवाना हो गए. परिजनों को भी ये अहसास था कि अब शायद ही कोई चमत्कार हो, लेकिन आस की डोर भला कब टूटती है.

अब गुरुवार 24 अगस्त को पार्थिव शरीरों की तलाश का अभियान पूरा हो गया है. दादा-पोती और एक युवक नीरज का पार्थिव शरीर सबसे अंत में मिला. ये सर्च ऑपरेशन आत्मा के सबसे कोमल धागों को क्रूरता से तोड़ने वाली दुख और पीड़ा का एक ऑपरेशन था. काश! ये सर्च की जगह रेस्क्यू ऑपरेशन कहलाता. काश! गणित, वकालत, खेल और कारोबार की दुनिया के लोग इस हादसे की भेंट न चढ़ते. काश! मंदिर के पुजारी फिर से शिव की पूजा करवाने के लिए चमत्कारी रूप से सुरक्षित बच जाते. काश! गणित की प्रोफेसर मानसी के गर्भ में पल रही नन्हीं जान मां सहित बच जाती और भविष्य में किसी भी क्षेत्र का चमकता सितारा बनती. काश! प्यारी-प्यारी दो छोटी-छोटी बहनें हंसी-खुशी दादू के साथ वापस अपने घर लौट पाती. न जाने इस हादसे के जख्म कब भरेंगे.

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शिव मंदिर की पुरानी फोटो.

देवभूमि हिमाचल की जनता स्वभाव से ही आस्थावान है. सावन के अंतिम सोमवार को आजादी से एक दिन पहले 14 अगस्त की सुबह काली सुबह बनकर आई. गणित के प्रोफेसर पीएल शर्मा अपनी पत्नी और होनहार बेटे ईश के साथ शिव उपासना के लिए समरहिल के शिव मंदिर पहुंचे थे. शिवलिंग के जलाभिषेक के लिए हंसी-खुशी शिव मंदिर की तरफ बढ़ रहे पीएल शर्मा को क्या पता था कि महाकाल उनकी जीवन संगिनी चित्रलेखा और जिगर के टुकड़े ईश की जीवन रेखा मिटा देंगे. शर्मा परिवार में पहले घर की लक्ष्मी की पार्थिव देह मिली, फिर उनके पति की और अंत में बेटे का निर्जीव शरीर मलबे से बाहर निकाला गया. एक ही घर से अलग-अलग दिन तीन अर्थियां निकली. जिस घर पर ऐसा कहर टूटा हो, उसके दुख की क्या ही कल्पना की जाए.

समरहिल में रह रही मानसी अपने वकील पति हरीश वर्मा के साथ जा रही थी. मानसी एचपीयू में गणित पढ़ाती थीं. वे पीएल शर्मा की शिष्या थी और उन्हीं के सान्निध्य में पीएचडी की थी. पूजा की सामग्री लिए डॉ. मानसी धीरे-धीरे मंदिर की तरफ बढ़ रही थी क्योंकि उसके गर्भ में एक और जीव पल रहा था. मानसी और हरीश भी काल के ग्रास बन गए. उनके साथ ही गर्भ में पल रहा बच्चा पृथ्वी मां के रंग देखने से पहले ही काल के अंधेरे सफर पर धकेल दिया गया. मंदिर के पुजारी सुमन किशोर को भी क्या मालूम था कि ये उनकी आराध्य के प्रति अंतिम पूजा है. हादसे में कारोबारी परिवार के पवन शर्मा भी अपनी तीन पीढ़ियों के पांच सदस्यों सहित परलोक सिधार गए. मामा शंकर नेगी और भांजा अभिषेक नेगी भी आखिरी सफर पर निकल पड़े. अंतिम दिन नीरज ठाकुर, पवन शर्मा व उनकी नन्हीं पोती के निष्प्राण शरीर मिल गए. हादसे के 12वें दिन पार्थिव शरीरों का तलाशी अभियान पीड़ा के साथ पूरा हुआ.

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शिव मंदिर की हादसे के बाद की फोटो.

वर्ष 2023 का मानसून जीवन के प्रति उसकी निष्ठुरता और क्रूरता के लिए जाना जाएगा. आसमान की सरकार ने तो नियति के अनुसार 20 लोगों की अकाल मृत्यु लिखी थी, लेकिन धरती की सरकारों को भी चेताया है कि प्रकृति के साथ मिलकर चलने में ही भलाई है. खैर, शिव मंदिर हादसे ने ऐसे जख्म दिए हैं, जो वक्त के साथ बेशक भरने लगें, लेकिन उनकी पीड़ा कभी खत्म नहीं होगी. इस हादसे पर आस्थावान लोगों ने अपने आराध्य शिव के प्रति सवाल किए हैं कि हे भोलेनाथ, ये किस बात की सजा मिली है. मानसून सीजन खत्म हो जाएगा. शिव मंदिर के आसपास फिर से जीवन पुराने ढर्रे पर लौट आएगा, लेकिन इस हादसे की भेंट चढ़े 20 लोगों के परिवार शायद ही कभी नार्मल हो पाएं. अपनों की पीड़ादायक मृत्यु उनके दिलों की नाजुक रगों को दर्द देती रहेगी. उनके अवचेतन में अब यही कामना होगी, काश! इस संसार में कभी किसी की अकाल मृत्यु न हो.

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Last Updated : Aug 24, 2023, 9:54 PM IST
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