शिमला: हिमाचल प्रदेश के डीजीपी रहे आईपीएस संजय कुंडू और एसपी रैंक की अफसर शालिनी अग्निहोत्री की मुसीबत बढ़ गई है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने इन दोनों आईपीएस अफसरों की री-कॉल एप्लीकेशन मंगलवार को खारिज कर दी है. यही नहीं, हाईकोर्ट के 30 से अधिक पन्नों के जजमेंट में कई हैरान करने वाली बातें सामने आई हैं. हाईकोर्ट के आदेश में एसपी शिमला की स्टेटस रिपोर्ट का जिक्र है, जिसमें संजय कुंडू को लेकर कई गंभीर बातें दर्ज की गई हैं.
पेज नंबर 13 पर लिखा गया है- 4 जनवरी 2024 को कोर्ट में दी गई एसपी शिमला की स्टेटस रिपोर्ट कहती है कि डीजीपी (तत्कालीन) संजय कुंडू ने छोटा शिमला थाना में निशांत शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी. उस एफआईआर में कुंडू की तरफ से कहा गया था कि निशांत शर्मा ने उन पर झूठे आरोप लगाकर मानहानि की है. हाईकोर्ट के आदेश पर इसकी जांच के लिए डीएसपी रैंक के अफसर अमित ठाकुर ने पुलिस मुख्यालय का दौरा किया. डीएसपी ने तब पुलिस प्रमुख संजय कुंडू से भी बात की थी. एसपी की स्टेटस रिपोर्ट में जिक्र है कि जांच के दौरान संजय कुंडू का लहजा धमकी भरा था और उन्होंने जांच अधिकारी डीएसपी अमित ठाकुर को परिणाम भुगतने जैसी बात भी कही. डीएसपी अमित ठाकुर ने इस बारे में एसपी शिमला को भी अवगत करवाया था. इस बात की जानकारी हिमाचल सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव को भी दी गई.
संजय कुंडू ने जांच कर रहे डीएसपी को धमकाया- डीएसपी के अनुसार जब वे संजय कुंडू की तरफ से दाखिल की गई एफआईआर की जांच के सिलसिले में उनसे मिले तो पुलिस प्रमुख का व्यवहार धमकी भरा था. इन्हीं सब तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने स्पष्ट किया कि री-कॉल आवेदन खारिज किया जाना जरूरी है. ध्यान रहे कि इससे पूर्व 15 दिसंबर 2023 की एसपी शिमला की स्टेटस रिपोर्ट में स्पष्टता से उल्लेख किया गया था कि कुछ हाई प्रोफाइल अफसर और आपराधिक गैंग वाले मामले में इन्वॉल्व हो सकते हैं, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. एसपी शिमला की स्टेटस रिपोर्ट से ही हाईकोर्ट के समक्ष ऐसे तथ्य आए कि अदालत को संजय कुंडू और शालिनी अग्निहोत्री को 26 दिसंबर 2023 को जारी आदेश में अपनी पोस्टिंग से हटाने के लिए कहना पड़ा था.
काम नहीं आए कुंडू की सराहनीय सेवाओं के तर्क- अदालत में संजय कुंडू की तरफ से पेश वकील संजय जैन ने कहा कि उनके क्लाइंट की तीन माह बाद सेवानिवृति है और वे अपनी सेवाओं से बेदाग छवि के साथ निवृत्त होना चाहते हैं. यही नहीं, आईपीएस शालिनी अग्निहोत्री के वकील श्रवण डोगरा ने भी कहा कि उनकी क्लाइंट की अभी लंबी सेवा अवधि बाकी है. इसके अलावा दोनों आईपीएस अफसरों के वकीलों ने उनकी पुलिस सेवा के दौरान सराहनीय कार्यों की सराहना भी की, लेकिन अदालत के समक्ष ये तर्क काम नहीं आए. दोनों वकीलों ने किसी अन्य जांच एजेंसी जैसे सीबीआई से जांच की बात भी हाईकोर्ट की डबल बैंच के समक्ष कही.
कारोबारी निशांत शर्मा ने हाईकोर्ट को लिखे ई-मेल में कहा था कि उनकी एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही. निशांत ने अपनी जान को खतरा बताया था. बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर कांगड़ा में एफआईआर दर्ज की गई. इस केस में एसपी कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री की धीमी जांच पर हाईकोर्ट ने सवाल उठाए थे. निशांत शर्मा ने भी एसपी कांगड़ा के खुश्क व्यवहार के बारे में कोर्ट में कहा कि जब वो 27 अक्टूबर 2023 को मैक्लोडगंज में हुए हमले के बारे में उनसे बात करने के लिए पहली नवंबर को कार्यालय गए तो एसपी ने कहा-अब हम क्या करें? नाऊ व्हाट शुड वी डू? निशांत शर्मा ने कहा कि जब उनकी पत्नी को डीएसपी ने जांच के लिए बुलाया तो मौके पर कोई महिला कांस्टेबल नहीं थी और चार पुुरुष कर्मी मौजूद थे. यही नहीं, जब एसपी कांगड़ा ऑफिस में केडी श्रीधर की स्टेटमेंट रिकॉर्ड की जा रही थी तो जवाब उनका वकील दे रहा था.
करवा चौथ और दीपावली पर व्यस्तता के तर्क भी नहीं आए काम- आईपीएस शालिनी की तरफ से वकील ने तर्क दिए कि वो करवा चौथ और दीपावली जैसे पर्व को लेकर व्यस्त थी. वकील ने ये तर्क उस समय पेश किए जब हाईकोर्ट ने कहा कि एसपी कांगड़ा ये बात जानती थी कि अदालत केस की मॉनिटरिंग कर रहा है और फिर भी जांच धीमी रही. अदालत ने कहा कि एसपी को जांच में तेजी और गंभीरता दिखानी चाहिए थी. वकील ने तर्क दिया कि एक नवंबर व 12 नवंबर को क्रमश: करवा चौथ व दीपावली जैसे पर्व थे और उनका क्लाइंट इनमें व्यस्त था. इस पर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि एक नागरिक की जान को खतरा हो तो ऐसे समय में ये तर्क समझ से परे हैं. एक जिम्मेदार पुलिस अफसर ऐसी बात कैसे कह सकता है ? फिलहाल, अदालत के 9 जनवरी के फैसले के बाद अब शालिनी का भी अपने पद से हटना तय है. ये देखना होगा कि संजय कुंडू आयुष विभाग में जॉइन करते हैं या नहीं ?
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