शिमला: राजधानी के रिज मैदान पर घुड़सवारी करवा कर अपना और अपने परिवार का गुजर-बसर करने वाले घोड़ा संचालकों की नगर निगम शिमला ने मुश्किलें बढ़ा दी है. कोरोना के इस संकटकाल में वैसे ही काम ठप हो चुका है.
वहीं, नगर निगम ने घोड़ा संचालकों को हर माह 1 लाख 25 हजार जमा करवाने या फिर रिज पर घोड़ों की लीद उठाने की व्यवस्था करने के फरमान जारी की है. हालांकि नगर निगम शिमला ने पहले घुड़सवारी से होने वाली आय का 10 फीसदी निगम को देने का फैसला लिया था, लेकिन ये सिरे नहीं चढ़ पाया. वहीं, कोरोना के चलते पहले ही शिमला में पर्यटक नहीं पहुंच रहे हैं और न ही लोग ज्यादा घरों से बाहर निकल रहे हैं जिससे घुड़सवारी का काम भी ठप हो चुका है.
कोरोना के चलते घुड़सवारी का काम पूरी तरह से ठप
घोड़ा संचालकों का कहना है कि कोरोना के चलते पहले काम पूरी तरह से ठप हो चुका है और दिन में 100 रुपये से ज्यादा की कमाई नहीं हो रही है. जिससे घोड़ों का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है. ऐसे में नगर निगम ने उन्हें 1 लाख 25 हजार रुपये देने को कहा है या फिर घोड़ों की लीद उठाने के लिए अपने कर्मचारी रखने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं.
उनका कहना है कि वे पिछले कई वर्षों से यहां पर लोगों को घुड़सवारी करवाते हैं और घोड़ों की लीद नगर निगम के कर्मचारी उठाते आए हैं, लेकिन अब नगर निगम उन्हें ही घोड़ों के लिए उठाने की व्यवस्था करने की बात कर रहा है, जबकि पहले ही काम नहीं है ऊपर से नगर निगम इस तरह के निर्देश दे रहा है. ऐसे में इतनी राशि हर माह देना उनके लिए नामुमकिन है.
घुड़सवारी पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र
बता दें कि ऐतिहासिक रिज मैदान पर घुड़सवारी पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है और यहां पर पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोग भी घुड़सवारी का आनंद उठाते हैं. नगर निगम केवल घोड़ा संचालकों से वार्षिक शुल्क ही वसूल करता है, लेकिन अब निगम ने घोड़ों की लीद उठाने के लिए व्यवस्था करने की खुद ही इंतजाम करने निर्देश जारी कर दिए हैं.
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