शिमला : कोरोना संक्रमित मंडी के सरकाघाट के युवक की आइजीएमसी में मौत के बाद मंगलवार रात को शव का अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार के दौरान प्रशासनिक अव्यवस्था कोरोना को लेकर हो रही प्रदेश सरकार की वाहवाही की पूरी पोल खोल दी. श्मशान घाट की अव्यवस्था में स्पष्ट हो गया कि कोरोना जैसी खतरनाक वैश्विक महामारी से निपटने के लिए सरकारी और प्रशासनिक तैयारियां किस स्तर पर हैं.
रात 11 बजे कनलोग में शिमला शहरी एसडीएम नीरज चांदला की देखरेख में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की गई. हालांकि देह संस्कार के दौरान अव्यवस्था देखने को मिली. शहर में इस तरह के शवों को जलाने का काम नगर निगम का होता है, लेकिन निगम ने शव को जलाने से मना कर दिया और निगम की ओर से कोई भी कर्मी शमशान घाट नहीं पहुचा. इस दौरान एसडीएम नीरज चांदला ने कई बार निगम के अधिकारियों को फोन किए, लेकिन अधिकरियों ने शव को जलाने की जिम्मेदारी से साफ इंकार किया. अधिकारी बार-बार ये कहते रहे कि ये उनका प्रोटोकॉल नहीं है, जिसके बाद एसडीएम को खुद शमशान घाट पहुंचना पड़ा और प्रशासन की देखरेख में शव को जलाया गया.
वहीं, नगर निगम के इस रवैये से एसडीएम नीरज चांदला ने कार्रवाई की बात कही है. उन्होने कहा कि शहर में इस तरह के शवों को जलाने का काम नगर निगम का होता है, लेकिन कई बार फोन करने के बाद भी न कोई अधिकारी पहुंचा और न ही कोई कर्मी, जिसके चलते प्रशासन को ये सब प्रक्रिया पूरी करनी पड़ी. उन्होंने कहा कि इसको लेकर वे अपने उच्च अधिकारियों को अवगत करवाएंगे और निगम के खिलाफ करवाई भी की जाएगी.
कोरोना संक्रमण का मामला सामने आने के बाद जहां आईजीएमसी को पूरी तरह से सेनिटाइज किया गया. वहीं, शव के पीछे नगर निगम की टीम शमशान घाट तक सड़क को भी सैनिटाइज करती पहुंची और शव को जलाने के बाद भी शमशान घाट को सैनिटाइज किया गया. साथ ही जो एम्बुलेंस शव लेकर आई थी उसे भी सैनिटाइज किया गया.
बता दें कि मंगलवार को आइजीएमसी अस्पताल में कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत हो गई थी, जिसके बाद शव को देर रात 11 बजे दाह संस्कार किया गया. पूरी एहतिहात से शव को शमशान घाट तक लाया गया. कर्मी पीपीई किट पहनकर शव लेकर आए. इस दौरान युवक के किसी भी परिजन को शमशान घाट में आने की अनुमति नहीं दी गई.