शिमला: हिमाचल प्रदेश में स्क्रब टाइफस को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा हाई अलर्ट जारी किया गया है. स्क्रब टाइफस के मामले को लेकर आईजीएमसी शिमला के एमएस डॉ. राहुल राव ने बैठक की. बैठक में अस्पतालों में स्क्रब टाइफस को लेकर तैयारी के प्रबंधों का जायजा लिया, साथ ही मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने का भी फैसला लिया गया. इस बैठक में बताया गया कि जुलाई में स्क्रब टाइफस के 15 मामले सामने आए हैं, जबकि अगस्त माह अभी तक 21 मामले आए हैं. बुधवार को तीन नए मामले स्क्रब टाइफस के आईजीएमसी शिमला में आए हैं.
सितंबर में फैलता है स्क्रब टाइफस: वहीं, बैठक में इस बात पर भी चर्चा की गई की स्क्रब टाइफस के सबसे ज्यादा मामले सितंबर माह में आते हैं. अक्टूबर तक इसके मामलों में लगातार बढ़ोतरी होती है. वहीं, आईजीएमसी शिमला में रोजाना आई फ्लू के मामलों में भी बढ़ोतरी हो रही है. रोजाना इसके मामले भी बढ़ने लगे हैं. बैठक में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने स्क्रब टाइफस और आई फ्लू की रोकथाम में विशेष बल दिया है.
आई फ्लू से बचाव: एमएस डॉ. राहुल राव ने स्क्रब टाइफस और आई फ्लू को लेकर जागरूकता के विषयों पर विस्तार पूर्वक जानकारी दी. उन्होंने बताया कि लोगों को आई फ्लू से बचाव के लिए हाथ और मुंह की सफाई रखनी चाहिए. इसके साथ ही इसको लेकर डॉक्टरों को भी आम जनता को जागरूक करना चाहिए.
क्या है स्क्रब टाइफस: स्क्रब टाइफस एक ऐसा रोग है जो कि एक तरह के जीवाणु रिकेटशिया से संक्रमित पिस्सू के काटने से होता है. ये खेतों, झाड़ियों, व घास पतवार में रहने वाले चूहों में पनपता है. यह स्किन के जरिए सारे शरीर में फैलता है. ज्यादातर मामलों में स्क्रब टाइफस ग्रामीण इलाकों में फैलता है. इसके होने पर बुखार आता है, शरीर में अकड़न या शरीर का दुखना जैसे लक्षण सामने आते हैं.
स्क्रब टाइफस की रोकथाम: आईजीएमसी शिमला के डॉक्टरों ने बताया कि खेतों में काम करते समय शरीर खासकर टांगे, पांव व बाजू ढककर रखें. बारिश के मौसम में घर के आसपास खरपतवार और घास बिलकुल न उगने दें. उन्होंने यह भी बताया कि पिस्सू के काटने से शरीर में जलने जैसा एक निशान भी बन जाता है. इसके बारे में यदि सब लोगों को जागरूकता रहेगी तो समय पर ही इलाज शुरू हो सकेगा. इस तरह के लक्षण आने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. उन्होंने कहा कि स्क्रब टाइफस एक गैर संक्रामक रोग है. इसकी रोकथाम साफ सफाई से ही संभव है.
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