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हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले पर SC ने लगाई मुहर, जानें क्या है हिन्दू उत्तराधिकारी अधिनियम की धारा 22

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Published : Mar 14, 2019, 11:11 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया सही हिन्दू उत्तराधिकारी अधिनियम की धारा 22 कृषि भूमि पर भी होगी लागू

डिजाइन फोटो.

शिमला: सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए स्पष्ट किया कि हिन्दू उत्तराधिकारी अधिनियम की धारा 22 कृषि भूमि पर भी लागू होगी.

highcourt
डिजाइन फोटो.

धारा 22 के अनुसार, संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति का बंटवारा होने से पहले यदि उत्तराधिकार में मिली सम्पति को कोई एक सदस्य बेचना चाहे, तो अन्य वारिस उस सम्पति को खरीदने का दावा प्राथमिकता के आधार पर कर सकते हैं, यानी सम्पति को किसी तीसरे व्यक्ति को बेचने से पहले अन्य वारिसों की सहमति जरूरी होगी. बता दें कि इस व्यवस्था से पहले कृषि भूमि को हिस्सेदार किसी अन्य खरीददार को दूसरे हिस्सेदार से बिना पूछे बेच सकता था.

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने स्पष्ट किया था कि हिंदू सक्सेशन एक्ट के प्रावधान कृषि भूमि से जुड़े विवादों पर भी लागू होंगे. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी की खंडपीठ ने दो विरोधाभासी एकल पीठों के निर्णयों पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए यह निर्णय सुनाया था.

बता दें कि साल 2008 में हाईकोर्ट की एकलपीठ ने फैसला सुनाया था कि हिंदू सक्सेशन एक्ट के प्रावधान कृषि भूमि की बिक्री पर लागू नहीं होते, जबकि वर्ष 2015 में पारित फैसले में दूसरी एकलपीठ ने यह निर्णय सुनाया कि हिंदू सक्सेशन एक्ट के प्रावधान कृषि भूमि की बिक्री पर लागू होते हैं. इसके बाद दो विरोधाभासी फैसलों के ध्यान में आने के बाद एकल पीठ ने इस मामले को हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष उचित फैसले के लिए भेजा था.

शिमला: सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए स्पष्ट किया कि हिन्दू उत्तराधिकारी अधिनियम की धारा 22 कृषि भूमि पर भी लागू होगी.

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धारा 22 के अनुसार, संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति का बंटवारा होने से पहले यदि उत्तराधिकार में मिली सम्पति को कोई एक सदस्य बेचना चाहे, तो अन्य वारिस उस सम्पति को खरीदने का दावा प्राथमिकता के आधार पर कर सकते हैं, यानी सम्पति को किसी तीसरे व्यक्ति को बेचने से पहले अन्य वारिसों की सहमति जरूरी होगी. बता दें कि इस व्यवस्था से पहले कृषि भूमि को हिस्सेदार किसी अन्य खरीददार को दूसरे हिस्सेदार से बिना पूछे बेच सकता था.

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने स्पष्ट किया था कि हिंदू सक्सेशन एक्ट के प्रावधान कृषि भूमि से जुड़े विवादों पर भी लागू होंगे. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी की खंडपीठ ने दो विरोधाभासी एकल पीठों के निर्णयों पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए यह निर्णय सुनाया था.

बता दें कि साल 2008 में हाईकोर्ट की एकलपीठ ने फैसला सुनाया था कि हिंदू सक्सेशन एक्ट के प्रावधान कृषि भूमि की बिक्री पर लागू नहीं होते, जबकि वर्ष 2015 में पारित फैसले में दूसरी एकलपीठ ने यह निर्णय सुनाया कि हिंदू सक्सेशन एक्ट के प्रावधान कृषि भूमि की बिक्री पर लागू होते हैं. इसके बाद दो विरोधाभासी फैसलों के ध्यान में आने के बाद एकल पीठ ने इस मामले को हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष उचित फैसले के लिए भेजा था.

सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए स्पष्ट किया कि हिन्दू उत्तराधिकारी अधिनियम की धारा 22 कृषि भूमि पर भी लागू होगी। धारा 22 के अनुसार संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति का बंटवारा होने से पहले यदि उत्तराधिकार में मिली सम्पति को कोई एक सदस्य बेचना चाहे, तो अन्य वारिस उस सम्पति को खरीदने का दावा प्राथमिकता के आधार पर कर सकते है। यानी सम्पति को किसी तीसरे व्यक्ति को बेचने से पहले अन्य वारिसों की सहमति जरूरी होगी। इस व्यवस्था से पहले कृषि भूमि को हिस्सेदार किसी अन्य खरीददार को दूसरे हिस्सेदार से बिना पूछे बेच सकता था। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने स्पष्ट किया था कि हिंदू सक्सेशन एक्ट के प्रावधान कृषि भूमि से जुड़े विवादों पर भी लागू होंगे। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी की खंडपीठ ने दो विरोधाभासी एकल पीठों के निर्णयों पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए यह निर्णय सुनाया था। गौरतलब है कि वर्ष 2008 में हाइकोर्ट की एकलपीठ ने फैसला सुनाया था कि हिंदू सक्सेशन एक्ट के प्रावधान कृषि भूमि की बिक्री पर लागू नहीं होते। जबकि वर्ष 2015 में पारित फैसले में दूसरी एकलपीठ ने यह निर्णय सुनाया कि हिंदू सक्सेशन एक्ट के प्रावधान कृषि भूमि की बिक्री पर लागू होते हैं। इसके बाद दो विरोधाभासी फैसलों के ध्यान में आने के बाद एकल पीठ ने इस मामले को हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष उचित फैसले के लिए भेजा था । जिस पर खंडपीठ ने वर्ष 2015 में पारित फैसले को सही करार देते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि हिंदू सक्सेशन एक्ट की धारा 22 के मुताबिक कृषि योग्य भूमि सहित सभी तरह की भूमि से जुड़े विवादों के लिए हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे। इस फैसले के आधार पर न्यायाधीश सीबी बारोवलिया ने 7 मई 2018 को बाबू राम की अपील को खारिज करते हुए उक्त व्यवस्था को उचित ठहराया था। बाबू राम ने सुप्रीमकोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।    
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